सौलर फोटोवोल्टिक लाइटों पर 70 प्रतिशत अनुदानः मुख्यमंत्री

सौर पैनलों/ऊर्जा प्लांटों के लिएकिया जा रहा है 70 प्रतिशत अनुदान प्रदान

राज्य के दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को 24 घंटे सौर ऊर्जा सुनिश्चित बनाने के लिए हिमऊर्जा ने की है योजना आरम्भ

 

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश के लोग नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय के दिशा निर्देशानुसार 70 प्रतिशत अनुदान पर सौर फोटोवोल्टिक लाइटों के रूप में नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा साधन को अपना सकते हैं। मुख्यमंत्री आज यहां हिमऊर्जा की शासकीय निकाय की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि ग्रिड से जुड़े रूफ टॉक सौर पैनलों/ऊर्जा प्लांटों के लिए 70 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा के निजी उपयोग के उपरांत सरप्लस ऊर्जा को पांच रुपये प्रति यूनिट की दर से हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड खरीदेगा, जिससे व्यक्ति विशेष की आय में वृद्धि होने के साथ-साथ वह निःशुल्क सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकेगा।

राज्य के दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को 24 घंटे सौर ऊर्जा सुनिश्चित बनाने के लिए हिमऊर्जा ने एक योजना आरम्भ की है, जिससे अन्तर्गत आरम्भ में प्रत्येक लाभार्थी को एक से 168 किलोवाट तक ऊर्जा उपलब्ध करवाएगा, जिसके लिए जनजातीय क्षेत्रों के अलावा अभी तक 46 आपूर्ति आदेश प्राप्त हो चुके हैं।

वीरभद्र सिंह ने कहा कि हालांकि प्रदेश में शत प्रतिशत विद्युतिकरण के लक्ष्य को हासिल कर लिया गया है, लेकिन आज भी राज्य के दूरदराज व जनजातीय क्षेत्रों की कुछ बस्तियां कम वोल्टेज तथा विद्युत आपूर्ति में अवरोध की समस्या से जूझ रही हैं। इन क्षेत्रों के लिए सौर ऊर्जा ही एकमात्र विकल्प है। विकेन्द्रीकृत सौर वोल्टिक एप्लिकेशन के माध्यम से इन क्षेत्रों को निर्बाध ऊर्जा आपूर्ति उपलब्ध हो सकेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल विद्युत ऊर्जा मंहगी होने के बावजूद भी हिमऊर्जा ने राज्य के दूरदराज एवं जनजातीय क्षेत्रों में 100 किलोवाट से लेकर 5 मैगावाट क्षमता के 10 जल विद्युत परियोजनाएं स्थापित की हैं। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा अधिक चिरस्थाई है और प्रदेश के किसी भी भाग में सुगतमापूर्वक स्थापित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बहु चैनलों से ऊर्जा उपलब्ध करवाई जा रही है और कोयले तथा गैस के स्थान पर विश्वसनीय एवं सुरक्षायुक्त नवीकरण एवं स्वच्छ ऊर्जा के विकल्प को अपनाया जा सकता है। भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय द्वारा शिमला तथा हमीरपुर शहरों को सौर सिटी के रूप में विकसित करने के लिए अंतिम मास्टर योजना स्वीकृत की गई है। इस परियोजना के अन्तर्गत पंचायत भवन शिमला में 15 किलोवाट तथा पुराना बस अड्डा शिमला में 20 किलोवाट क्षमता के पावर प्लांट आरम्भ किये गये हैं। रिज मैदान पर 20 किलोवाट का सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करने के लिए धरोहर समिति से स्वीकृति की प्रतीक्षा है तथा शिमला के आसपास स्लम बस्तियों में 1790 एसपीवी होम लाईटें वितरित करने की प्रक्रिया जारी है।

इसके अतिरिक्त, कुल्लू के दलाश, चम्बा के भरमौर, कुल्लू के अरसू, चम्बा के डलहौजी, किन्नौर के कल्पा, मूरंग और पूह, लाहौल स्पीति जिले के काजा, केलंग, लिंगटी, कांगड़ा जिले के धर्मशाला तथा शिमला जिले के चौपाल में पवन ऊर्जा प्लांट स्थापित करने के प्रयास जारी हैं।

बैठक में अवगत करवाया गया कि राज्य में अभी तक विभिन्न स्थानों पर 1422.5 किलोवाट क्षमता के सौर प्लांट स्थापित किए गए हैं, जिनमें बड़ू साहिब में 200 किलोवाट, कांगड़ा के रेंसर आईलैंड में 10 किलोवाट, विभिन्न पुलिस थानों में 426 किलोवाट, कांगड़ा स्थित सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के भवन में 350 किलोवाट, स्पीति में निजी तौर पर 82 किलोवाट, हि.प्र. सचिवालय शिमला में 100 किलोवाट तथा हि.प्र. उच्च न्यायालय में 100 किलोवाट क्षमता के सौर प्लांट शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, शिमला के फेयरलॉन में 100 किलोवाट, किब्बर में 10 किलोवाट और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में 50 किलावाट क्षमता के सौर फोटोवोल्टिक ऊर्जा प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सौर थर्मल प्रसार कार्यक्रम के अन्तर्गत सौर वाटर हीटर प्रणाली, सौर कुक्कर तथा सौर स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी आधारित कुकिंग प्रणाली को प्रोत्साहित किया जा रहा है तथा राज्य के लाभार्थियों को ये उपकरण प्रदान किये जा रहे हैं। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 37285 बॉक्स प्रकार के सौर कुक्कर, 761 डिश सौर कुक्कर लाभार्थियों को वितरित किए गए हैं।

राज्य में अभी तक सौर फोटोवोल्टिक कार्यक्रम के अन्तर्गत 66967 एसपीवी स्ट्रीट लाईटें, 23386 एसपीवी घरेलू लाईटें, 39246 एसपीवी लालटेन और 1222.5 किलोवाट एसपीवी ऊर्जा प्लांट स्थापित किए गए हैं। 12वीं पचंवर्षीय योजना के दौरान 10,000 एसवीपी स्ट्रीट लाईटें, 2000 एसपीवी घरेलू लाईटें, 1000 एसपीवी लालटेन तथा 1000 किलोवाट एसवीपी ऊर्जा प्लांट स्थापित करने का लक्ष्य था।

कृषि एवं बहुद्देशीय मंत्री सुजान सिंह पठानिया, विधायक अजय महाजन, मुख्य सचिव पी.मित्रा, अतिरिक्त मुख्य सचिव वी.सी. फारका, हिमऊर्जा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भानु प्रताप सिंह, निदेशक के.एल. ठाकुर और गैर सरकारी सदस्य भी बैठक में अन्यों सहित उपस्थित थे।

 

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