73 प्रमुख शहरों में मैसूर सबसे स्‍वच्‍छ शहर की श्रेणी पर कायम, धनबाद निचले पायदान पर

  • 10 स्‍वच्‍छ शहरों में सूरत, राजकोट, गंगटोक, विशाखापत्‍तनम शामिल, इलाहाबाद में सबसे अधिक सुधार हुआ
  • एनडीएमसी, उत्‍तर और दक्षिण एमसीडी की श्रेणियों में हुआ सुधार, जबकि पूर्वी एमसीडी की श्रेणी में आई कमी
  • एम.वैंकेया नायडू ने कहा-स्‍वच्‍छ भारत अभियान ने बनाया एक सकारात्‍मक प्रभाव
  • स्‍वच्‍छ सर्वेक्षण के परिणामों में उत्‍तरी शहरों में स्‍वच्‍छता में आया सुधार

नई दिल्ली: देशभर में पिछले माह किए गये प्रमुख 73 शहरों के स्‍वच्‍छता सर्वेक्षण के परिदृश्‍य में कर्नाटक का मैसूर शहर सबसे स्‍वच्‍छ शहर की श्रेणी पर जबकि झारखंड का धनबाद शहर सबसे निचले पायदान पर है। शहरी विकास मंत्री एम.वैंकेया नायडू के द्वारा आज एक संवाददाता सम्‍मेलन में ‘’स्‍वच्‍छ सर्वेक्षण-2016’’ के परिणाम जारी किये गये। इस सर्वेक्षण के लिए 10 लाख से ज्‍यादा की आबादी के 53 शहरों और इससे अधिक की जनसंख्‍या न रखने वाली 22 राजधानियों का चयन किया गया था। नोयडा और कोलकाता ने अगले दौर के सर्वेक्षण में शामिल होने की इच्‍छा जताई है।

स्‍वच्‍छता और स्‍वास्‍थ्‍य के संबंध में प्रमुख 10 शहरों की श्रेणी में – मैसूर, चंडीगढ़, तिरूचनापल्‍ली (तमिलनाडु), नई दिल्‍ली नगरपालिका परिषद, विशाखापत्‍तनम (आंध्र प्रदेश), गुजरात से सूरत और राजकोट, सिक्‍किम से गंगटोक, महाराष्‍ट्र से पिंपरी छिंदवाड़ और ग्रेटर मुंबई शामिल हैं। इस वर्ष के सर्वेक्षण में 10 प्रमुख स्‍वच्‍छ शहरों में स्‍थान बनाते हुए विशाखापत्‍तनम (आंध्रप्रदेश), सूरत, राजकोट (गुजरात) और गंगटोक (सिक्‍किम) ने अपनी श्रेणियों में सुधार किया है।

निचले पायदान के 10 शहरों में कल्‍याण डोम्‍बिविली (महाराष्‍ट्र 64वीं श्रेणी), जमशेदपुर (झारखंड), जमशेदपुर (झारखंड), वाराणसी, गाजियाबाद (उत्‍तरप्रदेश), रायपुर (छत्‍तीसगढ़), मेरठ (उत्‍तर प्रदेश), पटना (बिहार), र्इंटानगर (अरूणाचल प्रदेश), आसंनसोलन (पश्‍चिम बंगाल) और धनबाद 73वीं श्रेणी पर हैं।

स्‍वच्‍छता के लिए पिछला सर्वेक्षण एक लाख और इससे अधिक की जनसंख्‍या वाले 476 शहरों में वर्ष 2014 में किया गया था। इस सर्वेक्षण को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के पिछले वर्ष अक्‍टूबर में शुभारंभ किए गये स्‍वच्‍छ भारत अभियान से पूर्व किया गया था। इन शहरों के 2014 के सर्वेक्षण के परिणाम स्‍वच्‍छ भारत अभियान के घटकों जैसे शौचालयों का निर्माण, ठोस अपशिष्‍ट प्रबंधन अैर व्‍यक्‍तिगत निगरानी और व्‍यापक मानदंडों के संबंध में उनके प्रदर्शन पर आधारित थे। इससे स्‍वच्‍छ भारत अभियान के प्रभाव के आकलन के लिए दोनों सर्वेक्षणों के परिणामों की तुलना करने में मदद मिली।

  • इस वर्ष के सर्वेक्षण के परिणामों के साथ आगे भी तुलना करने के लिए 2014 में अपनी श्रेणियों में पहुँचे अंकों के आधार पर 73 शहरों के सर्वेक्षण में उनको इस बार भी श्रेणियां प्रदान की गईं।
  • दो सर्वेक्षणों के अंकों और श्रेणियों की तुलना के आधार पर श्री वैकेया नायडू ने कहा कि:
  • स्‍वच्‍छ भारत अभियान ने स्‍वच्‍छता में सुधार, नागरिकों और स्‍थानीय शहरी निकायों के दृष्‍टिकोणों में जमीन स्‍तर पर सुधार की दिशा में बढ़ाए गये प्रयासों के संदर्भ में शहरी क्षेत्रों में सकारात्‍मक प्रभाव बनाया है।
  • स्‍वच्‍छता की ओर प्रगति के मामले में शहर विभिन्‍न स्‍तरों पर हैं और एक दूसरे से बेहतर बनने की होड़ में आगे निकलने के लिए एक स्‍वस्‍थ प्रतिस्‍पर्धा जारी है।
  • कुल मिलाकर दक्षिण और पश्‍चिम के शहरों ने बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन देश के अन्‍य क्षेत्रों खासतौर पर उत्‍तर में पारंपरिक प्रमुखों तक पहुँचने की शुरूआत कर रहे हैं।
  • पूर्व और उत्‍तर के कुछ क्षेत्रों में धीमी गति पर चल रहे चिन्‍हित शहरों के लिए प्रयासों को बढ़ाने की जरूरत है।
  • प्रमुखों के तौर पर शहरों की श्रेणीकरण, महत्‍वाकांक्षी प्रमुख, अपने प्रयासों को गति देने की इच्‍छा रखने वाले और धीमी गति से आगे बढ़ रहे शहरों के बीच एक स्‍वस्‍थ प्रतिस्‍पर्धा के लिए प्रोत्‍सा़हित किया जाएगा।
  • सर्वेक्षण के निष्‍कर्षों को सार्वजनिक कर देने के फलस्‍वरूप शहरों के बीच स्‍वस्‍थ प्रतिस्‍पर्धा और ज्‍यादा बढ़ जाएगी, क्‍योंकि जिस चीज को भी मापा जाता है, उसे बाकायदा किया जाता है और प्रतिस्‍पर्धा किसी को भी बेहतर प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है।
  • स्‍वच्‍छ सर्वेक्षण-2016 व्‍यापक, प्रोफेशनल, साक्ष्‍य आ‍धारित और सहभागितापूर्ण था।

नायडू ने कहा कि जिन 73 शहरों में सर्वेक्षण किया गया, उनमें से 32 शहरों की रैंकिंग में पिछले सर्वेक्षण के मुकाबले सुधार देखने को मिला है। इनमें उत्‍तर भारत के 17 शहर, पश्चिमी भारत के 6 शहर, दक्षिण भारत के 5 शहर और पूर्वी एवं पूर्वोत्‍तर भारत के 2-2 शहर शामिल हैं। उन्‍होंने कहा कि इससे यह साबित हो जाता है कि उत्‍तर भारत के शहर अब साफ-सफाई के लिए कहीं ज्‍यादा प्रयास कर रहे हैं और शीर्ष स्‍वच्‍छ शहरों में शामिल दक्षिण एवं पश्चिमी भारत के शहरों के वर्चस्‍व को नये शहर चुनौती दे रहे हैं।

उपर्युक्‍त 32 शहरों में शामिल जिन शीर्ष 10 शहरों ने वर्ष 2016 के सर्वेक्षण में अपनी रैंकिंग में काफी ज्‍यादा सुधार किया है उनमें ये भी सम्मिलित हैं : इलाहाबाद (रैंकिंग में 45 पायदानों का सुधार), नागपुर (40 पायदानों का सुधार), विशाखापत्‍तनम (39 पायदानों का सुधार), ग्‍वालियर (34 पायदानों का सुधार), भुवनेश्‍वर (32 पायदानों का सुधार), हैदराबाद (31 पायदानों का सुधार), गुड़गांव (29 पायदानों का सुधार), विजयवाड़ा (23 पायदानों का सुधार) और लखनऊ (23 पायदानों का सुधार)।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली में नगरपालिका निकायों के बीच नई दिल्ली नगरपालिका परिषद की रैंकिंग वर्ष 2014 के सातवें पायदान से सुधर कर वर्ष 2016 में चौथे पायदान पर पहुंच गई। इसी तरह दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की रैंकिंग 47वें पायदान से सुधर कर 39वें पायदान पर और उत्‍तरी दिल्‍ली नगर‍निगम की रैंकिंग 47वें स्‍थान से सुधर कर 43वें स्‍थान पर आ गई है, जबकि पूर्वी दिल्‍ली नगर निगम की रैंकिंग वर्ष 2014 के 47वें पायदान से फिसल कर वर्ष 2016 में 52वें पायदान पर आ गई है।

वर्ष 2016 में जिन शीर्ष 10 शहरों की रैंकिंग काफी नीचे आई है उनमें जमशेदपुर, कोच्चि, शिलांग, चेन्‍नई, गुवाहाटी, आसनसोल, बेंगलुरू, रांची, कल्याण-डोम्बीवली और नासिक शामिल हैं। जहां एक ओर जमशेदपुर की रैंकिंग इस साल 53 पायदान नीचे आ गई है, वहीं नासिक की रैंकिंग 23 पायदान फिसल गई है।

अपनी रैंकिंग में बहुत ज्‍यादा सुधार करने वाले शीर्ष शहरों में से चार शहर उत्‍तर भारत के हैं, जबकि अपनी रैंकिंग में बेहद कमी दर्शाने वाले शीर्ष 10 शहरों में से कोई भी शहर उत्‍तर भारत का नहीं है।

साफ-सफाई की ओर अपने प्रयासों और जमीनी हालात में सुधार करने के दौरान वर्ष 2016 में कुल मिलाकर 33 शहरों की रैंकिंग पिछले सर्वेक्षण के मुकाबले घट गई है। सर्वेक्षण में शामिल उत्‍तर भारत के 28 शहरों में से 11 शहर, दक्षिण भारत के 15 शहरों में से 8 शहर, पश्चिमी भारत के 15 शहरों में से 7 शहर, पूर्वी भारत के 7 शहरों में से 5 शहर और पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के 8 शहरों में से 2 शहर अपनी रैंकिंग में गिरावट दर्शाने वाले इन 33 शहरों में शामिल हैं।

स्‍वच्‍छ सर्वेक्षण-2016 के लिए अपनाए गए तरीकों का उल्‍लेख करते हुए नायडू ने सूचित किया कि 73 शहरों के प्रयासों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए तय किए गए कुल 2,000 अंकों में से 60 फीसदी अंक ठोस कचरे के प्रबंधन से संबंधित पैमानों के लिए तय किए गए थे, जबकि शौचालय निर्माण के लिए 21 फीसदी अंक और शहर स्‍तरीय स्‍वच्‍छता रणनीति तथा व्यवहार परिवर्तन संबंधी संचार के लिए 5-5 फीसदी अंक तय किए गए थे।

यह सर्वेक्षण करने वाली भारतीय गुणवत्‍ता परिषद ने हर शहर में 42 स्‍थानों का दौरा करने के लिए 3-3 प्रशिक्षित सर्वेक्षकों की 25 टीमें तैनात की थीं, जिन्‍होंने प्रमुख क्षेत्रों जैसे कि रेलवे स्‍टेशनों, बस स्‍टैंडों, धार्मिक स्‍थलों, प्रमुख बाजार स्‍थलों, झुग्गियों एवं शौचालय परिसरों समेत नियोजित एवं गैर-नियोजित आवासीय क्षेत्रों को कवर किया। सर्वेक्षण में शामिल टीमों ने साक्ष्‍य के तौर पर अपने दौरे वाले स्‍थानों की भौगोलिक जानकारी संबंधी कुल 3,066 तस्‍वीरें लीं और उन्‍हें आज वेबसाइट पर अपलोड किया गया।

नायडू ने कहा कि सभी 73 शहरों को अग्रिम तौर पर काफी पहले ही विस्‍तृत रूप से जानकारी दे दी गई थी, ताकि साफ-सफाई में बेहतरी के साथ-साथ सर्वेक्षण वाली टीमों द्वारा सत्यापन के लिए अपने प्रयासों के दस्तावेजी प्रमाण पेश किए जा सकें। एक लाख से भी ज्‍यादा नागरिकों ने संबंधित शहरों में साफ-सफाई पर अपने फीडबैक पेश किए, जिससे वर्ष 2016 में किया गया सर्वेक्षण साक्ष्‍य आधारित और सहभागितापूर्ण साबित हुआ है।

 

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