सोलन: केंद्रीय कृषि मंत्री करेंगे राष्ट्रीय केवीके सम्मेलन का उद्घाटन

1-2 जून को देश के सभी केवीके के वैज्ञानिक सहित 1000 से अधिक प्रतिभागी जुटेगें नौणी विवि में

केवीके के प्रतिनिधि अपने-अपने जनपदों के किसानों के बीच प्राकृतिक खेती का प्रचार प्रसार करेगें

सोलन: भारत के कृषि विज्ञान केन्द्रों का 12वां राष्ट्रीय द्विवार्षिक सम्मेलन 2022, 1-2 जून को डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन (हिमाचल प्रदेश) में आयोजित किया जाएगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मुख्य अतिथि के रूप में इस सम्मलेन का उद्घाटन करेंगें। हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री  जय राम ठाकुर विशेष अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। गुजरात के  राज्यपाल आचार्य देवव्रत कार्यक्रम की अध्यक्षता करेगें। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री  कैलाश चौधरी भी कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि होंगे।

 2 जून को इस सम्मेलन के समापन सत्र में हिमाचल प्रदेश के माननीय राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री  परषोत्तम रूपाला शिरकत करेगें। कृषि राज मंत्री शोभा करांदलाजे कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लेंगी।

डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में आज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल द्वारा एक प्रैस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इस कॉन्फ्रेंस को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्र और उप-महानिदेशक (कृषि  विस्तार) डॉ ऐ॰ के॰ सिंह ने दिल्ली से ऑनलाइन जुड़कर इस सम्मेलन की जानकारी दी। इस अवसर पर अटारी लुधियाना जोन-I के निदेशक डॉ राजबीर सिंह और विश्वविद्यालय के सभी वैधानिक अधिकारी मौजूद रहे।  

डॉ महापात्र ने बताया की इस प्रतिष्ठित सम्मलेन ‘सतत कृषि उत्पादन प्रणाली’ पर आधारित होगा जिसमें विभिन्न विषयों जैसे प्राकृतिक कृषि, कृषि ड्रोन, कृषि में आईसीटी का उपयोग, सटीक खेती, विविधीकरण और गहनता जैसे विषयों पर चर्चा होगी। उन्होनें बताया कि इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मलेन में पूरे देश से लगभग 1000 से अधिक कृषि वैज्ञानिक जिनमें देश के हर जिले में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों के अध्यक्ष, प्रसार शिक्षा निदेशक, अटारी के निदेशक, देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक एवं सभी उप महानिदेशक हिस्सा लेंगे। नीति आयोग सहित देश के विभिन्न विभागों एवं संस्थाओं के प्रतिनिधि भी इस दो दिवसीय कार्यक्रम में शामिल होंगे। डॉ महापात्र ने बताया कि सम्मेलन में युवाओं को कृषि की तरफ आकर्षित करने और टिकाऊ कृषि के लिए क्या-क्या चीज़े महत्वपूर्ण है, इन विषयों पर भी चर्चा होगी।

सम्मेलन का एक मुख्य विषय प्राकृतिक खेती रखा गया है क्योंकि आने वाले समय में इस कृषि पद्धति की ओर किसानों का रुझान और बढ़ेगा इसलिए सम्मेलन का विषय आज के परप्रेक्ष में सबसे ज्यादा सटीक बैठता है। जहां एक ओर हम इस विधि से गुणवत्तायुक्त खाद्य एवं फल सब्जियों का उत्पादन कर सकते हैं वहीं दूसरी ओर पर्यावरण का भी संरक्षण में योगदान दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक खेती की कम लागत से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस सम्मलेन में देश के विभिन्न हिस्सों से आमंत्रित किसान भी अपना प्राकृतिक खेती का अनुभव साझा करेगें।

प्रोफेसर चंदेल ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस कृषि को बढ़ावा देने के लिए कुछ वर्ष पूर्व प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना शुरू की थी। इस योजना कि सफलता का आंकलन आप इस बात से लगा सकते हैं कि कुछ ही समय में आज 1.70 लाख से अधिक किसान इस मुहिम का हिस्सा बन चुके है और मृदा एवं पर्यावरण संरक्षण और मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित खाद्य उत्पाद बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। विश्वविद्यालय भी इस कृषि पद्धति पर गहन अनुसंधान कार्य कर रहे ताकि किसानों की कम लागत में अच्छी उपज प्राप्त हो सके। प्रोफेसर चंदेल ने बताया कि इस सम्मेलन में प्राकृतिक कृषि को देश के हर केवीके तक पहुंचाने की मुहिम को गति मिलेगी। 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने वर्ष 1974 में पॉण्डिचेरी में देश का प्रथम कृषि विज्ञान केंद्र खोला था। आज समस्त भारत में 731 केवीके कार्य कर रहे हैं। शुरुआती दौर में एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कार्य करने वाले केवीके आज तकनीकी के परीक्षण, प्रदर्शन, प्रशिक्षण, प्रसार के अलावा हर रोज अनेकों कार्यक्रमों को संचालित करने का सफल कार्य कर रहे हैं।

इस सम्मेलन का सीधा प्रसारण विभिन्न सोशल मीडिया जैसे फेस्बूक, यूट्यूब सहित रेडियो आदि पर किया जाएगा जिससे अधिक से अधिक संख्या में लोग इस कार्यक्रम से फायदा उठा सके। सम्मलेन में आये सभी प्रतिभागियों को सोलन के आसपास प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के खेतों का भ्रमण करवाया जाएगा। इस सम्मलेन में आये सभी केवीके के प्रतिनिधि अपने-अपने जनपदों के किसानों के बीच प्राकृतिक खेती का प्रचार प्रसार करेगें।

डॉ महापात्र, डॉ ऐ.के.सिंह सहित प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने इस सम्मलेन की सफलता की कामना की।

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