शिमला: 24 जून से 31 अगस्त तक 5 वर्ष तक के बच्चों को मिलेंगी ओआरएस व जिंक की गोलियां

  • जिला के सभी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर सघन दस्त नियन्त्रण के लिए बच्चों दी जाएंगी गोलियां

अंबिका/शिमला: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र छोटा शिमला में पांच वर्ष की आयु तक के बच्चों को शिक्षा, विधि व संसदीय मामले मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज ओआरएस घोल व जिंक की गोलियां देकर जिला स्तरीय सघन दस्त नियन्त्रण पखवाड़े का शुभारंभ किया। सुरेश भारद्वाज ने इस अवसर पर कहा कि यह पखवाड़ा 24 जून, 2019 से 31 अगस्त, 2019 तक चलेगा तथा इसके दौरान जिला के सभी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर सघन दस्त नियन्त्रण के लिए पांच वर्ष तक की आयु वाले सभी बच्चों को ओआरएस तथा जिंक की गोलियां दी जाएंगी।

उन्होंने कहा कि पहले देशभर में डायरिया के कारण बच्चों की मृत्यु दर लगभग एक लाख तक सामान्य तौर पर हो जाती थी, लेकिन भारत सरकार व प्रदेश सरकार के प्रयासों से डायरियां पर काफी हद तक नियन्त्रण कर लिया गया है। सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक डायरिया के कारण बच्चों की मृत्यु दर शून्य करने के लिए भरसक प्रयास किये जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि डायरिया की बीमारी गन्दा पानी पीने तथा खाने में पूर्ण पौष्टिक आहार न होने की वजह से होती है। उन्होंने कहा कि डायरिया की बीमारी पर नियन्त्रण के लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने ग्रामीण स्तर पर तथा विशेषकर झुग्गी-झांेपड़ी वाली बस्तियों में प्रचार-प्रसार करने पर बल दिया, ताकि आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के लोगों को गन्दा पानी न पीने तथा पौष्टिक आहार लेने बारे जागरूक किया जा सके।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नीरज मित्तल ने बताया कि शिमला में डायरिया से ग्रसित बच्चे को एक लीटर साफ पानी में पूरा पैकेट ओआरएस का मिश्रण डालें तथा अच्छी तरह घोलें और बच्चे को दस्त के बाद ओआरएस का घोल पिलाते रहें। उन्होंने बताया कि 02 से 06 माह के शिशु के लिए जिंक की आधी गोली 10 मिलीग्राम मां के दूध में मिलाकर बच्चे को पिलाएं तथा 06 माह से 05 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चे को जिंक की गोली 20 मिलीग्राम पानी में अच्छी तरह घोलकर दें। बच्चों को उम्र के अनुसार सही मात्रा में रोज जिंक की गोली 14 दिनांे तक जरूर दें। लगातार दस्त होने पर ओआरएस का घोल देते रहें।

उन्होंने कहा कि दस्त के दौरान बच्चों को खाने के लिए अधिक तरल पदार्थ दें, स्तनपान पर आश्रित बच्चों को स्तनपान करवाते रहें तथा हमेशा शौच के बाद तथा खाने से पहले साबुन से हाथ अवश्य धोएं।

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