नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के चालू वित्त वर्ष की बाकी बची अवधि में नीतिगत दरों में किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है। सिंगापुर के बैंक डीबीएस की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। आरबीआई ने 5 अक्टूबर को जारी अपनी पिछली मॉनिटरी पॉलिसी में रेपो रेट 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा यानि रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को नहीं बढ़ाया। वहीं, रिवर्स रेपो रेट भी 6.25 फीसदी पर ही कायम रखा।
इसका साफ अर्थ है कि बैंकों के कर्ज की दरों में भी कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है और लोगों को कर्ज की ईएमआई के मोर्चे पर कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। हालांकि ये भी माना जा सकता है कि नीतिगत दरों में इजाफा न होने से कर्ज महंगे भी नहीं होंगे।
डीबीएस बैंक रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक के मार्च, 2019 तक नीतिगत दरों में बदलाव की संभावना नहीं लगती है। इसमें महंगाई दर बढ़ने पर वित्त वर्ष 2019-20 में सोची समझी रणनीति के तहत बढ़ोतरी की जा सकती है। ब्याज दरों पर फैसला कच्चे तेल की कीमतों की दिशा और मुद्रा के रुख पर निर्भर करता है। डीबीएस बैंक के अर्थशास्त्री इसे ‘वाइल्ड कार्ड’ कहते हैं।
अक्तूबर में रिटेल महंगाई दर आश्चर्यजनक रूप से घटकर 3.31 फीसदी पर आ गई. बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.4 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया है। बैंक के नोट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 में महंगाई दर 4.2 फीसदी तक जा सकती है जिससे रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा।
केंद्रीय बैंक के नोट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति उसके तय लक्ष्य से नीचे है ऐसे में रिजर्व बैंक के पास ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने की गुंजाइश है।