शिमला: प्रदेश में राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकास कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा शुरू किया गया है ताकि आयोडीन की कमी से होने वाले विकार तथा आयोडीन को नमक में सुरक्षित रखने की जानकारी प्रदेशवासियों को प्रदान की जा सके।
इस संबंध में आज यहां जानकारी देते हुए मिशन निदेशक मनमोहन शर्मा ने बताया कि मनुष्य में आयोडीन की कमी घातक साबित हो सकती है। आयोडीन की कमी से मानसिक विकार भी हो सकते हैं। मानव शरीर में लगभग 60 प्रतिशत आयोडीन थाइरॉयड ग्रंथी में संग्रहित होता है। आयोडीन की कमी से हमारे शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। जैसे हताशा, अवसाद, त्वचा का सूखापन, नाखूनों और बालों का टूटना, प्रजनन क्षमता में कमी, घेंघा रोग मस्तिष्क की कमजोरी, दिमाग की क्षति, मस्तिष्क की कार्यप्रधाली में बाधा।
गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से गर्भपात हो सकता है, नवजात शिशुओं का वजन कम हो सकता है, शिशु मृत पैदा हो सकत हैं और जन्म लेने के बाद शिशु की मृत्यु भी हो सकती है।
शिशु में आयोडीन की कमी से मस्तिष्क का धीमा चलना, शरीर का विकास कम होना, बौनापन, सुनने, बोलने और समझने में दिक्कत हो सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक वर्ष से कम आयु के शिशुओं को प्रतिदिन 50-90 माइक्रोग्राम और 1-11 वर्ष के बच्चे को 9.-120 माइक्रोग्राम आयोडीन का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा व्यस्कों तथा किशोरों को 90-120 माइक्रोग्राम, गर्भवती महिलाओं को 200-220 माइक्रोग्राम और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को 250-290 माइक्रोग्राम आयोडीन का सेवन करना चाहिए।