हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य मानकों में देश भर में अब्बलः कौल सिंह

शिमला: प्रदेश के लोगों को उनके घरद्वार के समीप गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान राज्य के ग्रामीण एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में अनेक स्वास्थ्य संस्थान खोलें हैं। इन संस्थानों में चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ की नियुक्ति के साथ-साथ आवश्यक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाई हैं जिसके परिणामस्वरूप आज हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य मानकों में देश भर में अब्बल स्थान पर है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने आज शिमला के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल कुफरी में इन्दिरा गांधी आर्युविज्ञान चिकित्सा संस्थान एवं अस्पताल शिमला के माईक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित सोसायटी ऑफ इण्डियन ह्यूमैन एण्ड एनिमल माईकोलॉजिस्ट (सिहाम) के 11वे राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में औसतन 2990 लोगों के लिए एक स्वास्थ्य उप केन्द्र है जबकि राष्ट्रीय औसत 5615 है। इसी प्रकार प्रदेश में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र 12921 लोंगों को सेवाएं उपलब्ध करवा रहा है और राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 34641 है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र 80208 लोगों की चिकित्सा देखभाल कर रहा है जबकि राष्ट्रीय औसत 1.72 लाख लोगों की है। मानवशक्ति के मामले में हमारे आंकड़े राष्ट्रीय औसत से कहीं बेहतर हैं। प्रदेश में 3703 लोगों के लिए एक चिकित्सक उपलब्ध है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 12391 लोगों की है। हम स्वास्थ्य पर लगभग 26000 रुपये प्रति व्यक्ति व्यय कर रहे हैं जो देश में सर्वाधिक है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने हाल ही के बजट भाषण में ‘हि.प्र. सार्वभौमिक स्वास्थ्य संरक्षण योजना’ आरम्भ करने की घोषणा की है। इस योजना के अन्तगर्त उन सभी लोगों को सम्मिलित किया जाएगा जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना तथा मुख्यमंत्री राज्य स्वास्थ्य चिकित्सा योजना अथवा अन्य चिकित्सा आपूर्ति योजना के अन्तर्गत नहीं आते हैं। कौल सिंह ठाकुर ने कहा बेशक हम स्वास्थ्य सेवाओं में अव्वल हैं, लेकिन नई-नई उभर रही बीमारियों का सामना करने के लिए निरंतर स्वास्थ्य चिकित्सा क्षेत्र में अनुसंधान कार्य करने की आवश्यकता है। मधुमेह, हृदयरोग, कैंसर, जैसी घातक गैर संचारी रोगों के मुकाबले संचारी बीमारियां कहीं अधिक हो रही हैं।

फफूंद संक्रमण की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक के दौरान इन बीमारियों के लक्षण एवं उपचार में सुधार हुआ है। शोधकर्ता मेडिकल माईकोलोजी क्षेत्र में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। प्रदेश में स्पोरोट्राईकोसिस, डेरमेटोफाईटोसिस, फंगल आंख एवं नाक संक्रमण के मामले आम तौर पर पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इन रोगों के उपचार एवं प्रबन्धन के लिए स्वास्थ्य प्रदाताओं को तकनीकी दक्षता बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कामन फंगल बीमारी को स्वास्थ्य चिकित्सा के प्राथमिक, माध्यमिक तथा तृतीय स्तर की योजना, बजट प्रावधान तथा मानव संसाधन विकास में शामिल कर रही है। उन्होंने आशा जताई कि सम्मेलन में विशेषज्ञों के परिचर्चा से बेहतर परिणाम सामने आएंगे। इसके पश्चात, स्वास्थ्य मंत्री ने माईक्रोबायोलॉजी विभाग की एक स्मारिका का विमोचन भी किया।

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