मुख्यमंत्री की दौड़ में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता, हाईकमान किसे सौंपेगा कमान…!

भाजपा अपनी जीत को लेकर जहां पूरी तरह आश्वस्त थी वहीं कांग्रेस भी सत्ता पक्ष में आने के लिए पूरी तरह मन बना चुकी थी। कयास और चर्चाओं का दौर खत्म हुआ। भाजपा और कांग्रेस की राजनीति में बड़े बड़े दिग्गज धराशायी हो गये।

खैर प्रदेश की 68 सीटों के लिए कांग्रेस ने 40 सीट पर बहुमत हासिल कर लिया जबकि सत्तारूढ़ भाजपा 25 सीटें पर ही सिमट गई। निर्दलीय उम्मीदवारों की भी जीत हुई। लेकिन लेकिन आम आदमी पार्टी हिमाचल में अपना खाता भी नहीं खोल पाई। वहीं माकपा भी कोई कमाल नहीं दिखा पाई। यह कहना गलत नहीं होगा कि मुकाबला दिलचस्प था। हिमाचल की जनता ने परंपरा को नहीं बदला और सरकार बदल डाली।

चुनावी मैदान में 24 महिलाएं थी लेकिन एक महिला ही मुकाबले में विजयी हो पाई। भाजपा के 10 मंत्रियों में से सिर्फ दो ही मंत्री जीत हासिल कर सके। भाजपा के दो मंत्रियों की पहले से ही सीट को बदल दिया गया था। जिसमें भाजपा के शिमला के शहरी सुरेश भारद्वाज को कसुम्पटी से जबकि नुरपूर फतेहपुर से विधानसभा सीट के लिए राकेश पठानिया चुनावी प्रत्याशी बनाए गए थे यह दोनों ही मंत्री चुनाव हार गये। वहीं जयराम के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे महेंद्र सिंह ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन उनके बेटे भी जीत हासिल नहीं कर पाए।

 खैर अब जो सबसे बड़ा मसला खड़ा हुआ है वह है कांग्रेस में सीएम का चेहरा कौन होगा? इसे लेकर कांग्रेस में बैठकों का दौर शुरू हो चुका है।  कांग्रेस कार्यालय में नव निर्वाचित विधायकों की बैठक शुरू हो रही है। जिसमें सिंगल लाइन प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है।

 सीएम पद के लिए कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी दावेदार मानी जा रही है तो वही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है हरोली से विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे पिछले 5 साल से मुकेश अग्निहोत्री विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाते आ रहे हैं जिसमें कि वे लगातार चार बार विधायक बन चुके हैं मुख्यमंत्री की दौड़ में मुकेश अग्निहोत्री भी मजबूत दावेदार हैं।

 कांग्रेस के बड़े नेताओं के हार की वजह से राजनीति के समीकरण ही बदल गए। 6 बार चुनाव जीतने वाली कांग्रेस विधायक आशा कुमारी इस बार चुनाव हार गईं। आशा कुमारी मुख्यमंत्री पद की संभावित उम्मीदवारों में शामिल थीं जबकि वहीं कांग्रेस के सीएम दावेदारों में द्रंग के विधायक कौल सिंह ठाकुर चुनाव हार गए। सदर मण्डी से चुनावी मैदान में उतरी उनकी बेटी चंपा ठाकुर भी भाजपा के अनिल शर्मा से चुनाव हार गई। नैनां देवी से विधायक रहे रामलाल ठाकुर भी चुनाव हार चुके हैं।

 अब मुख्यमंत्री पद पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल सुखविंदर सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री और प्रतिभा सिंह, राजेंद्र राणा ठाकुर, चंद्र कुमार और धनीराम शांडिल में से कौन सीएम पद पर आसीन होगा।

वहीं विधायक दल की बैठक से पहले कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष व सांसद प्रतिभा सिंह यह बात कह चुकीं हैं कि वीरभद्र सिंह के परिवार की उपेक्षा नहीं की जा सकती। आज प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर चौड़ा मैदान में चुनाव पर्यवेक्षकों की गाड़ियों के आगे खड़े होकर प्रतिभा सिंह के समर्थकों ने खूब हंगामा किया। कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन और हॉलीलॉज में भी सैकड़ों समर्थकों ने नारेबाजी कर प्रतिभा को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की। वहीं आज कांग्रेस नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राजीव भवन पहुंचने पर कहा कि मैं सीएम उम्मीदवार नहीं हूं। मैं कांग्रेस पार्टी का अनुशासित सिपाही, कार्यकर्ता व विधायक हूं। पार्टी हाईकमान का ही फैसला अंतिम होगा।

 खैर हिमाचल प्रदेश में नई सरकार का गठन करने के लिए कांग्रेस नेताओं ने शुक्रवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे राजभवन पहुंचकर दावा पेश किया। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मुलाकात कर चुनाव पर्यवेक्षक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए पत्र सौंपा। लेकिन प्रदेश का कोई भी नेता राजभवन नहीं पहुंचा इस पर लोगों द्वारा सवाल उठाये जा रहे हैं। … मुख्यमंत्री की दौड़ में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता हैं लेकिन कमान हाईकमान किसे सौंपता है ये देखना दिलचल्प होगा

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