World Rabies Day 2022; जाने क्या है इस बार की थीम…

विश्व रेबिज़ दिवस का इस वर्ष का थीम “वन हेल्थ – जीरो डेथ्स”

स्वास्थ्य विभाग का जन साधारण से आग्रह:-  किसी भी जानवर के काटने की स्थिति में घबराने की आवश्यकता नहीं, अपितु उपचार हेतु अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में करें संपर्क 

शिमला: स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि गत वर्षों की भांति आज 28 सितंबर को प्रदेश भर में विश्व रेबिज़ दिवस मनाया गया। विश्व रेबिज़ दिवस का इस वर्ष का थीम “वन हेल्थ – जीरो डेथ्स” है। भारत में वर्ष 2013 से राष्ट्रीय रेबिज़ नियंत्रण कार्यक्रम लागू किया गया है।
रेबिज़ आर.एन.ए. वायरस के कारण होता है। जो पागल जानवर की लार में मौजूद होता है। यह रोग हमेशा एक पागल जानवर के काटने के बाद फैलता है। जिससे घाव में लार और वायरस जमा हो जाता है। यह एक जानलेवा रोग है। समय पर एंटी रेबिज़ वैक्सीन लगाने पर इसका इलाज सम्भव है। जानवर के काटने पर रोगी के शरीर पर घाव से वायरस को जल्द से जल्द हटाना जरूरी है जिसे पानी और साबुन से धोना और इसके बाद विषाणुनाशक एंटीसेप्टिक्स का उपयोग किया जाना जरूरी है । जिससे रोगी के शरीर में संक्रमण की संभावना कम/समाप्त हो जाती है।
जानवर के काटने पर रोगी में रेबिज़ के लक्षण होने के बीच का समय 4 दिनों से लेकर तीन महीने तक होता है। समय पर टीकाकरण न लगाने पर पर इसका इलाज़ असम्भव हो जाता है और रोगी की मृत्यु होनी निश्चित है।
हिमाचल प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते राज्य के सभी अस्पतालों में एंटी रेबीज़ वैक्सीन और एंटी रेबीज सीरम (इम्युनोग्लोबुलिन) पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। रेबिज से पीड़ित सभी रोगियों को निःशुल्क रेबिज के टीके लगाये जाते हैं। प्रदेश सरकार ने हाल ही में जूनोसिस की चुनौती और एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) की अध्यक्षता में राज्य एवं जिला स्तर पर जूनोटिक समिति का गठन किया है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने जन साधारण से आग्रह किया है कि किसी भी जानवर के काटने की स्थिति में घबराने की आवश्यकता नहीं है। अपितु उपचार हेतु अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें।

विश्‍व रेबीज दिवस पहली बार 28 सितंबर, 2007 को मनाया गया था। इस कार्यक्रम में डब्‍ल्‍यूएचओ, अमेरिका और एलायंस फोर रेबीज कंट्रोल व सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने मुख्‍य रूप से भाग लिया था। इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्‍य विश्‍वभर में लोगों को रेबीज़ से होने वाले ख़तरे और वैक्‍सीन से होने वाले फायदों के बारे में जानकारी देना था। धीरे-धीरे इन संस्‍थाओं ने विश्‍वभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए और लोगों को अपने साथ जोड़ने का काम किया। तभी से हर साल 28 सितंबर को रेबीज दिवस मनाया जाने लगा। विश्‍व रेबीज दिवस के माध्‍यम से वैश्विक स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थाएं इस बीमारी के प्रभाव और बचाव के विभिन्‍न तरीकों के बारे में जागरूकता फैला रही हैं।

World Rabies Day 2022: महत्व :-विश्व रेबीज दिवसदुनिया के लिए बीमारी के लोगों में आतंक को स्वीकार करने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। रेबीज सभी स्तनधारियों और विशेष रूप से जंगली जानवरों के जरिए कॉन्ट्रैक्ट होता है। लुई पाश्चर की पुण्यतिथि की वजह से 28 सितंबर मेडिकल इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीख है।

ये दिन रेबीज जैसी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए जानवरों की बेहतर देखभाल और कम ज्ञान फैलाने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक इस बीमारी की घटना को खत्म करना है।

दुनिया भर के स्वास्थ्य संगठनों ने इस दिन को रेबीज के टीकाकरण शिविरों पर ध्यान केंद्रित करने और बीमारी को रोकने के लिए लोगों की सामूहिक भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए चुना है। ये दिन हेल्थ फर्म्स और वेट्रीनरी ग्रुप्स, क्विज, निबंध प्रतियोगिताओं और दूसरे जागरूकता अभियानों के जरिए कैंपेन मैराथन रन के जरिए मनाया जाता है।

इस वर्ष, विश्व रेबीज दिवस 2022 की थीम है: “वन हेल्थ, ज़ीरों डेथ मृत्यु

इस साल 28 सितंबर को 16वां विश्व रेबीज दिवस मनाया जाएगा। इस वर्ष की थीम रेबीज: वन हेल्थ, जीरो डेथ्सलोगों और जानवरों दोनों के साथ पर्यावरण के संबंध को उजागर करेगी।

रेबीज क्या है? –रेबीज एक विषाणु जनित रोग है। जब तक इसके लक्षण शुरू होते हैं, तब तक यह हमेशा घातक होता है, लेकिन यह पूरी तरह से रोकथाम योग्य है। इसके बावजूद विश्व में अफ्रीका और एशिया के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले नब्बे प्रतिशत बच्चों की मृत्यु के साथ हर साल रेबीज से अनुमानित 59000 लोगों की मृत्यु हो जाती हैं।

भारत में रेबीज एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिससे प्रतिवर्ष अनुमानित 20,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। यह अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप को छोड़कर सारे देश में स्थानिक है।

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