शिमला में पेयजल संकट, लोग खाली घड़ा और गिलास लेकर पहुंचे महापौर कार्यालय के बाहर

शिमला: शिमला शहर के कई क्षेत्रों में पानी की किल्लत के चलते लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। शहर में 4-5 दिन बाद लोगों को पानी मिल रहा है। शहर में पानी की समस्या को लेकर सोमवार को कुछ लोग मेयर, डिप्टी मेयर कार्यालय में मिलने गये थे।

वहीं आज (मंगलवार) को समाज सेवक रवि कुमार की अगुवाई में कुछ लोगों ने शिमला नगर निगम महापौर के कार्यालय के बाहर धरना दिया। लोग खाली घड़ा और गिलास लेकर पहुंचे के बाहर विरोधस्व रूप खाली घड़ा और गिलास लेकर पहुंचे और प्रदर्शन किया। 

समाजसेवी रवि कुमार ने कहा कि आज पूरा शहर पानी के संकट से जूझ रहा है और ऐसी स्थिति में भी नगर निगम प्रशासन आज छुट्टी मना कर अपने घरों पर बैठा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह लोगों की समस्या के प्रति नगर निगम प्रशासन की गंभीरता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि आज वह नगर निगम दफ्तर के बाहर एक घड़ा पानी लेने पहुंचे, लेकिन यहां कोई अधिकारी या प्रतिनिधि नहीं मिला। उन्होंने सरकार और नगर निगम प्रशासन को 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए सभी लोगों को पानी उपलब्ध कराने की बात कही है। रवि कुमार ने कहा कि अगर 24 घंटे में शहर के लोगों को पानी की सुविधा नहीं मिलती है, तो वे यही घड़ा लेकर शिमला के विधायक और प्रदेश सरकार में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज के घर के बाहर प्रदर्शन करेंगे।

वहीं पिछले कल राजधानी शिमला में पेयजल संकट का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। मंगलवार को मामले पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि जल प्रबंधन निगम द्वारा दी जा रही सप्लाई का 45 फीसदी पानी नगर निगम कार्यालय, सार्वजनिक शौचालय और सार्वजनिक सुविधाओं में लग जाता है। वहीं, जल निगम द्वारा पेश किए गए आंकड़ों पर हाईकोर्ट ने असंतोष जताया। साथ ही 22 जून को अगली सुनवाई निर्धारित कर विस्तृत आंकड़े पेश करने का आदेश दिया।

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ में पेयजल संकट मामले की सुनवाई हुई। शिमला जल प्रबंधन निगम ने कोर्ट में बताया कि शहर को 47 MLD पानी की जरूरत है। लेकिन, गर्मी की वजह से 32 MLD पानी ही उपलब्ध कराया जा रहा है। जिसके बाद खंडपीठ ने हैरानी जताते हुए पूछा कि जब स्रोतों से 32 MLD पानी उठाया जा रहा है तो उस स्थिति में वैकल्पिक दिन में पानी क्यों नहीं छोड़ा जा रहा है। अदालत ने अधिकारियों से यह भी पूछा कि यदि गर्मी के कारण केवल 32 MLD पानी ही उठाया जा रहा है तो 8 MLD कहां जा रहा है। इन सवालों के जवाब जल निगम नहीं दे पाया।

 

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