सलूणी घाटी में 30 एकड़ के क्षेत्रफल में होगी लैवेंडर की खेती : उपायुक्त डीसी राणा

हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के सहयोग से जागरूकता शिविर आयोजित

किसानों-बागवानों को 13 हजार लैवेंडर पौधे वितरित

ज़िला में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती के लिए जलवायु अनुकूल

गांव चकोली में सघन तेल आसवन इकाई का उपायुक्त ने किया शुभारंभ

सलूणी: उपायुक्त डीसी राणा ने कहा है कि हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ ज़िला में किसानों-बागवानों की आर्थिकी को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों और जलवायु के आधार पर नगदी फसलों को बढ़ावा देने के लिए कार्य योजना को तैयार किया गया है।

डीसी राणा आज अरोमा मिशन चरण द्वितीय के तहत हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के सहयोग से कृषि विभाग एवं उद्यान विभाग द्वारा संयुक्त तौर पर उपमंडल मुख्यालय सलूणी में आयोजित एक दिवसीय जागरूकता शिविर में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए बोल रहे थे।

जागरूकता शिविर में सीएसआईआर- हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डॉ संजय कुमार भी विशेष रूप से मौजूद रहे।

डीसी राणा ने कहा कि हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ गत वर्ष साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके तहत ज़िला में सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को तकनीकी जानकारियां उपलब्ध करवाने के साथ विभिन्न फसलों की पौध , डिस्टलेशन यूनिट और तैयार उत्पाद की बिक्री के लिए बाजार भी उपलब्ध करवाना शामिल किया गया है।

उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में संस्थान द्वारा ज़िला में विभिन्न स्थानों में 13 डिस्टलेशन यूनिट (सघन तेल आसवन इकाई) स्थापित किए जा चुके हैं । सलूणी घाटी में लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी देते हुए उपायुक्त ने बताया कि संस्थान के माध्यम से 30 एकड़ के क्षेत्रफल को लैवेंडर खेती के तहत लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा कि ज़िला प्रशासन द्वारा दोनों को हर संभव सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी।

उन्होंने वन क्षेत्र के तहत आने वाली खाली भूमि में लैवेंडर के पौधारोपण के लिए भी आवश्यक कदम उठाने की बात कही। उन्होंने प्रतिभावान किसानों -बागवानों को प्राथमिकता के साथ जोडने का आह्वान भी किया।

उन्होंने सलूणी स्थित चौधरी सरवान कुमार कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंद्र में सुगंधित और औषधीय पौधों की पौध तैयार करने की बात भी कही।

शिविर में सीएसआईआर- हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डॉ संजय कुमार ने बताया कि ज़िला में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती के लिए अनुकूल जलवायु उपलब्ध है। परंपरागत फसलों से हटकर संस्थान द्वारा ज़िला में लैवेंडर, जंगली गेंदा, केसर और हींग के उत्पादन के लिए किसानों को तकनीकी जानकारी के साथ उच्च गुणवत्ता युक्त बीज और पौधे भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। किसानों को डिस्टलेशन यूनिट स्थापित करने के साथ बाजार के साथ भी जोड़ा जा रहा है।

इस दौरान किसानों-बागवानों को 13 हजार लैवेंडर के पौधे भी वितरित किए गए।

संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक राकेश राणा ने लिवेंडर की खेती के लिए आवश्यक जानकारी भी साझा की।

शिविर में वैज्ञानिकों द्वारा सुगंधित पौधों की खेती, फलों का उच्च घनत्व पौधारोपण और कृषि एवं उद्यान विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी भी प्रदान की गई।

इसके पश्चात उपायुक्त डीसी राणा और सीएसआईआर- हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डॉ संजय कुमार ने गांव चकोली में सीएसआईआर अरोमा मिशन के तहत सघन तेल आसवन इकाई का शुभारंभ भी किया।

इस अवसर पर एसडीएम सलूणी डॉ. स्वाति गुप्ता,आईएचबीटी के प्रधान वैज्ञानिक मोहित शर्मा, उप निदेशक एवं परियोजना अधिकारी ग्रामीण विकास अभिकरण चंद्रवीर सिंह, उप निदेशक उद्यान डॉ राजीव चंद्रा, उपनिदेशक कृषि कुलदीप धीमान , सीएसके की वैज्ञानिक डॉ पुनीत कौर, प्रगतिशील बागवान एमके बडियाल, प्रहलाद भक्त स्थानीय गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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