अंतरराष्ट्रीय मण्डी शिवरात्रि महोत्सव के अंतिम दिन देव कमरुनाग ने दिए दर्शन

राज्यपाल ने की सात दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव मण्डी के समापन समारोह की अध्यक्षता

मण्डी: अंतरराष्ट्रीय मण्डी शिवरात्रि महोत्सव के अंतिम दिन बड़ा देव कमरूनाग के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी। देव कमरूनाग ने टारना से आकर चानणी में श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। कमरूनाग दो घंटे चानणी की पौड़ियों में विराजमान रहे। देव कमरूनाग सुबह नौ बजे चानणी पहुंचे और 11 बजे के बाद भी दर्शन के लिए भक्तों की लाइनें सेरी मंच की पौड़ियों में लगी रहीं। उपायुक्त मण्डी ने भी बड़ा देव कमरूनाग व बाबा भूतनाथ मंदिर में सपरिवार पूजा-अर्चना की। वहीं, मंगलवार सुबह से राज बेड़े में भी भक्तों का नरोल देवियों के दर्शन के लिए तांता लगा रहा। 

उधर, शिवरात्रि के अंतिम दिन चौहटा बाजार में आयोजित जातर में आस्था का सैलाब उमड़ा। चौहटा में एक साथ करीब 150 देवी देवता विराजमान हुए। बाबा भूतनाथ परिसर में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने शिरकत कर देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया। देवी-देवताओं का करीब आठ बजे से चौहटा बाजार में पहुंचना शुरू हो गए थे और करीब नौ बजे तक जातर में सभी देवी-देवता पहुंच गए। वहीं, श्रद्धालुओं की भी दर्शनों को लेकर करीब 12 बजे तक भारी भीड़ उमड़ी रहीं।  चौहटा जातर से कुछ देवी-देवता जलेब की तैयारियों और कई अपने अपने मूल स्थान को रवाना होना शुरू हो गए। 

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज मण्डी में आयोजित सात दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के समापन समारोह के अवसर पर कहा कि हिमाचल प्रदेश के मेले एवं त्यौहार अपने में अनूठे होेते हैं और यह राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए हैं।

राज्यपाल ने कहा कि इस महोत्सव की बहुमूल्य परम्पराओं को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित रखा जाना चाहिए, क्योंकि यह एक राज्य एवं राष्ट्र के रूप में हमारी पहचान की पुष्टि करती हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वर्ष भर उत्सव एवं त्यौहार पूरे उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। यह उत्सव हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं और इन आयोजनों से हमारे मन में कभी भी नकारात्मकता का प्रवेश नहीं हो पाता। साथ ही हमारा उत्साह भी कभी क्षीण नहीं होता। उन्होंने कहा कि यहां के ऊंचे पर्वतों की भांति प्रदेश के लोगों का हृदय भी विशाल है और हिमाचल अपने स्नेहपूर्ण आतिथ्य-सत्कार के लिए जाना जाता है। यहां के लोगों की देवी-देवताओं में अटूट आस्था के कारण ही इस देवभूमि की महता और भी बढ़ जाती है।

राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि संस्कृति और इसकी विरासत हमारी राष्ट्रीय पहचान को परिभाषित करने के साथ ही हमारे मूल्यों, आस्था और आकांक्षाओं को प्रर्दशित एवं आकार भी प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि मेले और त्यौहार लोगों में नव उर्जा का संचार करते हैं और हमें इनमें सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।

इससे पूर्व, राज्यपाल ने राजदेव माधोराय के मन्दिर में पूजा-अर्चना की और इस अवसर पर आयोजित जलेब में शामिल हुए। उन्होंने सामूहिक भोज में भी भाग लिया।

अन्तरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने राज्यपाल का स्वागत एवं सम्मान किया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष पहली बार मेले में सात सांस्कृतिक संध्याएं आयोजित की गई हैं और मेले में 200 पंजीकृत देवता शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि बजंतरियों के अनुदान एवं उनके राशन अनुदान तथा नजराना राशि में इस वर्ष आशातीत बढ़ोतरी की गई है। इसके अतिरिक्त खेल प्रतियोगिताओं की पुरस्कार राशि भी बढ़ाई गई है।

इस अवसर पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। मंडी नगर निगम की महापौर दीपाली जस्वाल, उप-महापौर वीरेंद्र भट्ट, जिला परिषद अध्यक्ष पाल वर्मा, बाल कल्याण परिषद की महासचिव पायल वैद्य, पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री, जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य वरिष्ठजन भी इस अवसर पर उपस्थित थे।  

गत सायं राज्यपाल ने अन्तरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के दौरान आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनन्द लिया। कार्यक्रम में विशेष रूप से सक्षम बच्चों की प्रस्तुति डांस ऑन व्हील से अत्यन्त प्रभावित हुए। इस अवसर पर उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने राज्यपाल को सम्मानित किया।

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