केंद्रीय राज्य जलशक्ति मंत्री बोले:-राज्य के 16 लाख ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन, हिमाचल में अगस्त 2022 तक ‘हर घर जल’ का लक्ष्य

अब तक 11,673 गांवों में केवल 38,416 महिलाओं को ही FTK द्वारा जल गुणवत्ता जांच से चौकसी करने का प्रशिक्षण दिया गया

शिमला: केंद्रीय राज्य जलशक्ति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने आज यहाँ एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि अभी तक 8.38 लाख (48.5%) ग्रामीण घरों में नल से जल उपलब्ध कराया गया है।  राज्य के 16 लाख (93%) ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन पहुँच गए हैं। हिमाचल प्रदेश ने अगस्त 2022 तक हर घर जल‘ का लक्ष्य प्राप्त करने की योजना बनाई है।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जल जीवन मिशन की शुरुआत के समय अगस्त 2019 में कुल मौजूद 17.28 लाख ग्रामीण घरों में से केवल 7.63 लाख (44%) घरों में ही नल से जल की व्यवस्था थी। पटेल ने बताया कि राज्य के 4 ज़िले, 24 ब्लॉक, 2,266 ग्राम पंचायतें और 14,464 गाँव हर घर जल‘ बन चुके हैं। शेष 18,150 गांवों में से 2,763 में काम चल रहा हैजबकि 923 गांवों में कार्य अभी शुरू होना बाकी है। शेष 85 पानी समितियों का गठन तथा 210 ग्राम कार्य योजनाओं को तैयार करने का काम प्राथमिकता पर किया जाना है। ग्राम कार्य योजनाएँ दिशा-निर्देशों के अनुरूप तैयार की जानी चाहिए तथा उनमें कनवरजेंसजल गुणवत्ता उपायग्रे वॉटर प्रबंधनमवेशी नांदआदि जैसे घटक शामिल किए जाए।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश की कुल 60 प्रयोगशालाओं (1 राज्य/14 ज़िला/ 45 सब-डिवीज़नल स्तर की) में से 41 ही  (परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशालाओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NABL) से मान्यताप्राप्त हैं। सब-डिवीज़नल स्तर की सभी लैब्स को NABL से मान्यता दिलाई जानी होगीजिसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाने होंगे। साथ ही इन प्रयोगशालाओं का उनकी पूर्ण क्षमता तक उपयोग किया जाना चाहिए ताकि सभी पेयजल स्रोतोंलोगों द्वारा लाये जाने वाले पेयजल नमूनों सहितकी जांच की जा सके तथा आवश्यक कदम उठाए जा सकें।

उन्होंने बताया कि जल गुणवत्ता निगरानी के अंग के रूप में प्रत्येक पेयजल स्रोत की वर्ष में अनिवार्य रूप से एक बार रासायनिक गुणों के लिए और दो बार (मानसून से पहले और उसके बाद) बैक्टीरियोलोजीकल संदूषण के लिए जांच की जानी चाहिए। यह जांच अनिवार्य रूप से स्रोत और नलकेदोनों के पानी के लिए की जानी होगी। जल गुणवत्ता निगरानी और चौकसी: प्रत्येक गाँव में कम से कम 5 महिलाओं को ग्राम स्तर पर पानी की जांच फील्ड टेस्ट किट (FTK) द्वारा किए जाने के लिए प्रशिक्षित किया जाना होगा। इन जांच परिणामों को जल गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (WQMS) पर अपलोड भी करना होगा। अब तक 11,673 गांवों में केवल 38,416 महिलाओं को ही FTK द्वारा जल गुणवत्ता जांच से चौकसी करने का प्रशिक्षण दिया गया है। इस प्रक्रिया को तीव्र किए जाने की ज़रूरत है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्य में ग्रे वॉटर प्रबंधन संबंधी व्यवस्था विकसित किया जाना होगा। हर घर जल‘ गांवों में तथा 70% से ज़्यादा कवरेज वाले बड़े गांवों में ग्रे वॉटर प्रबंधन योजना चलाये जाने की संभावना तलाशी जानी चाहिए। राज्य को राज्यज़िला और ग्राम स्तर पर IEC गतिविधियां चलाने पर भी ध्यान केन्द्रित करना चाहिए ताकि लोगों में इस कार्यक्रम के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके तथा दैनिक प्रचालन और रखरखाव के लिए सामुदायिक अंशदान को प्रोत्साहित किया जा सके।

पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा 15 अगस्त, 2019 को घोषित जल जीवन मिशन का उद्देश्य देश के प्रत्येक ग्रामीण घर को 2024 तक नल से जल उपलब्ध करना है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं और बालिकाओं को दूर-दूर से घर के लिए पीना के पानी लाने की सदियों से चली आ रही मजबूरी से मुक्ति मिलेगीतथा साथ ही ग्रामीण भारत के लोगों की ईज़ ऑफ लिविंग‘ में भी वृद्धि होगी। मिशन को अंत्योदय‘ की मूल भावना से लागू किया जा रहा है | इस मिशन को राज्यों की भागीदारी से कार्यान्वित किया जा रहा है। मिशन के लिए कुल मिला कर 3.60 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया हैजिसमें केंद्र सरकार का अंश 2.08 लाख करोड़ रुपये है।

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