गौरवशाली विज्ञान सप्ताह का दूसरा दिन – विज्ञान सर्वत्र पूज्यते

समारोह में शिमला के विभिन्न महाविद्यालयों के 300 विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने ऑफलाइन एवं यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से  लिया हिस्सा

हिमाचल:  प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (हिमकोस्ट), शिमला ने ग्लोरियस साइंस वीक – विज्ञान सर्वत्र पूज्यते एक सप्ताह के लंबे कार्यक्रम का दवितीय दिवस  (23 फरवरी 2022) सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, संजौली, शिमला में मनाया गया।

आज का कार्यक्रम स्थानीय छात्रों और शिक्षकों के लिए वृत्तचित्र और प्रदर्शनी के साथ शुरू हुआ, जो भारत के विभिन्न हिस्सों के लोगों को प्रेरणा देने वाले वास्तविक वैज्ञानिक आविष्कारों पर आधारित है, जिन्होंने समाज के विकास में योगदान दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. संजय, निदेशक सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर के व्याख्यान से हुई। उनकी विशेषज्ञता हिमालयी पौधों के प्रतिलेख और जीनोम अनुक्रमण पर है। उन्होंने गौरवशाली विज्ञान सप्ताह के तहत विज्ञान के इतिहास के इतिहास पर पहली थीम पर व्याख्यान दिया। उनका विषय राष्ट्र निर्माण में सीएसआईआर पर था। उन्होंने सीएसआईआर की संविधान प्रक्रिया के इतिहास और 1930 से अब तक के सामाजिक आर्थिक विकास में सीएसआईआर द्वारा किए गए योगदान के बारे में बताया। उन्होंने भारत में पहली प्रयोगशाला स्थापित करने में मुदलियार और भटनागर के योगदान की सराहना की।

उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर तकनीक और नवाचारों को बढ़ावा देने में सीएसआईआर की भूमिका पर चर्चा की। हरित क्रांति, स्वास्थ्य देखभाल, डीएनए फिंगरप्रिंटिंग, विमान और उत्पादों का पेटेंट आदि पर बताया । उन्होंने हिमाचल प्रदेश के लोगों को केसर, मोनकफ्रूट, सुगंधित तेल, चावल, मोती, सेब, हल्दी, हींग और दालचीनी आदि की खेती के लिए प्ररित करने के लिए CSIR का महत्व बताया। उन्होंने सार्स-सीओवी-2 और बायो-जेट ईंधन पर सीएसआईआर द्वारा किए गए नवीनतम आविष्कारों के बारे में भी जानकारी दी। महिला वैज्ञानिक कमला सोहोनी और जानकी अम्मल एडवलथ कक्कट द्वारा किए गए सराहनीय कार्य की प्रशंसा की।

डॉ.एस.एस.रंधावा, प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी, हिमकोस्ट, शिमला ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में प्रगति और पहाड़ों पर इसके अनुप्रयोग पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत में संचालित उपग्रहों पर ध्यान केंद्रित करते हुए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस अनुप्रयोगों पर संक्षिप्त विवरण दिया। समापन व्याख्यान में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के भूवैज्ञानिक खतरों (भूकंप, भूस्खलन और हिमस्खलन) के प्रकार, कारण, हिमाचल प्रदेश द्वारा हर साल सामना किए जाने वाले खतरों को कम करने की तकनीकों के बारे में बताया। इस समारोह में शिमला के विभिन्न महाविद्यालयों के 300 विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने ऑफलाइन एवं यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से  भाग लिया।

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