लाइब्रेरी का 24 सेक्शन पिछले 2 साल से बंद, छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा
शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की एसएफआई इकाई ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय में छात्र मांगों को लेकर पिंक पेटल पर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शन को संबोधित करते हुए छात्र नेता पवन ने कहा कि विश्वविद्यालय में अब नियमित कक्षाएं शुरू हो गई हैं। लेकिन इसके बावजूद विश्वविद्यालय की मुख्य लाइब्रेरी के 24 सेक्शन को अभी तक नहीं खोला गया है। उन्होंने कहा कि लाइब्रेरी का 24 सेक्शन पिछले 2 साल से बंद है, जिससे छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि एसएफआई के आंदोलन के चलते ही इसका समय सुबह 9 बजे से शाम 9 तक किया गया था, लेकिन छात्र यह मांग कर रहे हैं कि इसे 24 घंटे के लिए खुला रखा जाए, ताकि जो विद्यार्थी दिन में किसी न किसी कारण अपनी पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, वो रात में लाइब्रेरी में बैठ कर अपनी पढ़ाई कर सकें। इसके अलावा जो शोधार्थी दिन भर अपने शोध का कार्य कर रहे होते हैं, वो भी रात में अपनी पढ़ाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 24 घण्टे सेक्शन को न खोलने से छात्रों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। इस विश्वविद्यालय में ऐसे भी छात्र पड़ते हैं, जो दिन भर मेहनत करते हैं और रात को अपनी पढ़ाई का काम करते हैं।
परिसर अध्यक्ष रॉकी ने कहा कि इसके अलावा दूसरी महत्वपूर्ण मांग यह है कि जिस प्रकार विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा यूजीसी की गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए अपने चहेतों की पीएचडी के अंदर एडमिशन बिना प्रवेश परीक्षा के करवाई है, वह भी न्याय संगत नहीं है। उन्होंने कहा कि जब भी विश्वविद्यालय के अंदर पीएचडी में डायरेक्ट एडमिशन होती है, तो उसके लिए छात्रों को जेआरएफ क्वालीफाई करना पड़ता है। इसके अलावा दूसरा कोई भी रास्ता पीएचडी के अंदर प्रवेश लेने के लिए नहीं है।
एसएफआई का कहना है कि जब आम छात्रों द्वारा प्रशासन से इस पर जवाब मांगा जाता है, तो प्रशासन द्वारा ईसी की मीटिंग का हवाला देते हुए कहा जाता है कि यह फैसला ईसी द्वारा पास किया गया है। इसके अलावा उन्होंने यूनिवर्सिटी अथॉरिटी द्वारा विश्वविद्यालय के अंदर प्राइवेटाइजेशन की मुहिम को तुरंत बंद करने की मांग भी उठाई। इसके साथ ही उन्होंने यूनिवर्सिटी के अंदर छात्रों को सब्सिडाइज एजुकेशन दिए जाने की मांग भी उठाई।
कामरेड मुकेश ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि प्रशासन का इन मांगों को लेकर एक नकारात्मक रवैया रहा है। एसएफआई पहले भी इन मांगों को प्रमुखता से उठा चुकी है यदि जल्द छात्र मांगों के प्रति सकारात्मक रवैया नहीं अपनाया गया तो आने वाले समय में एस एफ आई विश्वविद्यालय के अंदर उग्र आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी जिसका जिम्मेदार विश्वविद्यालय प्रशासन स्वयं होगा।