शूलिनी विवि ने मनाया “संविधान दिवस”

सोलन: स्कूल ऑफ लॉ, शूलिनी विश्वविद्यालय ने आज “संविधान दिवस” ​​मनाने के लिए अपना पहला कानूनी सम्मेलन आयोजित किया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश के कानून, संसदीय कार्य और शहरी विकास मंत्री  सुरेश भारद्वाज ने न्याय के इतिहास और भारत में लोकतंत्र के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने संविधान के पिता डॉ बी आर अम्बेडकर के योगदान को रेखांकित किया और कहा कि संविधान के निर्देशक सिद्धांतों का पालन करना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “मौलिक अधिकारों के लिए हमें नागरिकों के रूप में अपने मौलिक कर्तव्यों को भी नहीं भूलना चाहिए।”

भारद्वाज ने भारतीय संविधान की तुलना अन्य देशों के संविधानों से की और हमारे संविधान के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने एक भारत और पीएम नरेंद्र मोदी के इसे दुनिया में अग्रणी देश बनाने के सपने के बारे में भी बताया।

विशिष्ट अतिथि डॉ. संजय सिंधु, निदेशक, यूआईएलएस, एचपीयू, शिमला ने भारतीय लोकतंत्र के मौलिक अधिकारों, संविधान और इतिहास के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि “भारतीय संविधान अन्य लोकतांत्रिक देशों के संविधानों में एक विशेष स्थान रखता है और हम सभी को इस पर गर्व होना चाहिए”।

हिमाचल प्रदेश सरकार के पूर्व अतिरिक्त सचिव श्री राजेन्द्र भट्ट ने नैतिक कर्तव्यों के बारे में बात करते हुए कहा कि, “यदि हम नैतिक रूप से अक्षम हैं, तो हम कभी भी एक समृद्ध देश नहीं हो सकते हैं”। उन्होंने भगवत गीता के बारे में भी चर्चा की और छात्रों से इसे कम से कम एक बार पढ़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “जीवन के प्रति उचित दृष्टिकोण होना चाहिए”।

चांसलर प्रो. पीके खोसला ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, “किसी को भी जीवन में आगे बढ़ने के अवसर के रूप में बाधा को देखना चाहिए और कठिनाइयों के प्रति हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए”।

कुलपति प्रो. अतुल खोसला ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, “भारत के संविधान में ज़्यादा करने की अकल्पनीय संभावनाएं हैं”। उन्होंने अपने जीवन से संविधान से संबंधित तीन कहानियाँ साझा की।

इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत शूलिनी विश्वविद्यालय के डीन ऑफ लॉ डॉ नंदन शर्मा के स्वागत भाषण से हुई। कॉन्सेप्ट नोट डॉ. पुष्पांजलि सूद, एसोसिएट प्रोफेसर द्वारा दिया गया। कानून के छात्र अभिषेक वशिष्ठ ने दिन के महत्व पर बात की।

इस अवसर पर डॉ. नंदन शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक का भी विमोचन किया गया।

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