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किन्नौर: छितकुल में लापता हुए पांच ट्रैकर्स के शव मिले, चार की अब भी तलाश जारी

चार की अब भी तलाश जारी

किन्नौर: उत्तरकाशी के हर्षिल से छितकुल के लम्खागा दर्रे की ट्रैकिंग पर निकले लापता 11 ट्रैकरों में से पांच के शव मिल गए हैं। सेना ने गुरुवार को दो घायलों को रेस्क्यू कर लिया है जबकि चार अभी लापता हैं। मौसम खराब होने की वजह से शवों को हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू नहीं किया गया है। एक घायल मिथुन को सेना अपने साथ उत्तरकाशी ले गई है जबकि दूसरे का इलाज सेना के कैंप में चल रहा है। सेना अब शुक्रवार को शवों को निकालने के साथ लापता चार लोगों की तलाश करेगी। कुल 17 लोगों के दल में से छह पोर्टर खुद ही सांगला पहुंच गए थे। इन्होंने ही 11 पर्यटकों के फंसे होने की सूचना दी थी।

 उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि सेना ने सात ट्रैकरों को रेस्क्यू किया है, जिनमें पांच की मौत हो चुकी है, दो का उपचार चल रहा है, जबकि 4 अभी लापता हैं। इससे पहले लम्खागा दर्रे से होकर छितकुल से सांगला की ओर छह पोर्टर पहुंचे थे। इनमें से चार पोर्टर तुलसी काफले, सुरेंद्र तिमेलासेना, विष्णु पोखरे और बलीराम पैदल सांगला थाना पहुंचे। चारों नेपाली मूल के पोर्टर फिलहाल सांगला थाने में ही हैं।

इस दल ने बाकायदा वन विभाग उत्तरकाशी से 13 से 21 अक्तूबर तक लम्खागा पास तक ट्रैकिंग करने के लिए इनर लाइन परमिट भी लिया था। 17 से 19 अक्तूबर तक मौसम खराब होने के कारण यह दल भटक गया। ट्रैकर्स टीम के सदस्यों की पहचान दिल्ली की अनीता रावत (38), पश्चिम बंगाल के मिथुन दारी (31), तन्मय तिवारी (30), विकास मकल (33), सौरभ घोष (34), सावियन दास (28), रिचर्ड मंडल (30), सुकेन मांझी (43) के तौर पर हुई है। खाना पकाने वाले कर्मचारियों की पहचान देवेंद्र (37), ज्ञान चंद्र (33) और उपेंद्र (32) के रूप में हुई है। ये सभी उत्तरकाशी के पुरोला के रहने वाले हैं।

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