तत्कालीन क्योंथल रियासत के राजा वीर विक्रमसेन का निधन, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जन सैलाब

कूल्लू: तत्कालीन क्योंथल रियासत के राजा वीर विक्रम सेन के निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है वहीं लोगों ने उन्हें अश्रुपूर्ण विदाई दी। बता दें कि बीते कल इस रियासत के राजा वीर विक्रम सेन का निधन हुआ, जिससे समूचे क्योंथल क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई। वीर विक्रम सेन (56) का बुधवार सुबह करीब आठ बजे आईजीएमसी में निधन हुआ, जिससे समूचे क्योंथल क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी और उनके अंतिम दर्शन के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा। वह अपने पीछे धर्मपत्नी रानी विजय ज्योति सेन, बेटा खुश विक्रम सेन और बेटी सुंदिनी छोड़ गए है। इनका अंतिम सरकार अश्वनी और शैमला खड्ड के समागम दोगड़ा पुल के पास रियासती परंपरा के अनुसार किया गया और उनके पुत्र खुश विक्रम सेन ने मुखग्नि दी। चचेरे भाई कंवर गिरिराज सिंह ने बताया कि वीर विक्रम सेन क्योंथल रियासत के 104वें शासक थे, जबकि शिमला गेजेटियर के अनुसार विक्रम सेन क्योंथल रियासत के 78वें शासक थे।

 सन् 1948 में रियासतों के विलय होने के उपरांत भी इस क्षेत्र में रियासती शासक व देवताओं से जुड़ी अनेक मान्यता आज भी प्रचलित है, जिसमें राजा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। तत्कालीन क्योंथल रियासत के राजा को लोग अतीत से ही अपना चौथा इष्ट मानते हैं, अर्थात राजा की आज भी देवता स्वरूप अराधना की जाती हैं। क्षेत्र के पीठासीन देवता जुन्गा का प्रादुर्भाव रियासत के सेन वंशज से हुआ था, जिस वजह से राजा का स्थान देवता से ऊपर माना जाता है। क्षेत्र के लोग आज भी अपने इष्ट राजा की बराबरी में नहीं बैठते हैं। अनेकों बार जब देवता संबंधी कई विवाद उत्पन्न हो जाते हैं, उस स्थिति में लोगों की अंतिम अपील राजा के दरबार में होती है। राजा का दिया निर्णय सर्वमान्य माना जाता है।

अब क्योंथल में एक वर्ष तक न तो त्योहार मनाए जाएंगे न ही कोई कोई शुभ कार्य होगा। 

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