भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का हिमाचल प्रदेश विधान सभा की स्वर्ण जयंती के विशेष सत्र में सम्बोधन

शिमला: हिमाचल प्रदेश विधान सभा के इस ऐतिहासिक सत्र में प्रमुख रूप से उपस्थित:

 ·        राज्यपाल राजेन्द्र आर्लेकर

·        मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर

·        केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री तथा युवा मामले और खेल मंत्री, श्री अनुराग सिंह ठाकुर

·        विधान सभा अध्यक्ष  विपिन सिंह परमार

·        पूर्व मुख्यमंत्री,  प्रेम कुमार धूमल

·        प्रतिपक्ष के नेता  मुकेश अग्निहोत्री

·        उपस्थित सभी सांसद-गण, विधायक-गण व पूर्व विधायक-गण

·        हिमाचल प्रदेश से जुड़े प्रमुख जन-सेवक-गण

·        गणमान्य अतिथियो

·        देवियो और सज्जनो

 हिमाचल प्रदेश द्वारा पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने की स्वर्ण जयंती से जुड़े विधान सभा के इस विशेष सत्र को संबोधित करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। लोकतन्त्र के इस उत्सव के अवसर पर हिमाचल प्रदेश के विकास में योगदान देने वाले आप सभी महानुभावों के साथ-साथ, मैं प्रदेश के लगभग 70 लाख निवासियों को, पूरे देश की ओर से, बधाई देता हूं।

यह वर्ष हिमाचल प्रदेश तथा पूरे देश के निवासियों के लिए विशेष हर्ष और उल्लास से परिपूर्ण है। इसी वर्ष हम सब स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और साथ ही हिमाचल प्रदेश राज्य की स्थापना की स्वर्ण जयंती भी मना रहे हैं। 

यह ‘काउंसिल चैंबर भवन’ तथा परिसर, आधुनिक भारत की अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं के साक्षी रहे हैं। इसी भवन में श्री विट्ठल भाई पटेल ने सन 1925 में ब्रिटिश प्रत्याशी को हराकर सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली के अध्यक्ष का चुनाव जीता था। अध्यक्ष के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संसदीय मर्यादा और निष्पक्षता का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जो आज भी हमारी संसद और विधान सभाओं के लिए एक आदर्श है। हिमाचल प्रदेश विधान सभा में  जसवंत राम से लेकर  ठाकुर सेन नेगी सहित अध्यक्षों एवं प्रभावशाली विधायकों की समृद्ध परंपरा रही है।

इस सत्र में प्रतिपक्ष के नेता का सम्बोधन होना आपकी परिपक्व लोकतान्त्रिक संस्कृति का अनुकरणीय उदाहरण है। इस स्वस्थ परंपरा के बीज आप के पूर्ववर्ती जन-नायकों द्वारा संचालित आज़ादी की लड़ाई, और उसके बाद पूर्ण राज्यत्व के लिए सर्वथा संवैधानिक तरीके से संचालित आंदोलन में निहित थे।

‘पहाड़ी गांधी’ के नाम से विख्यातकांगड़ा के बाबा कांशीराम जैसे स्वाधीनता सेनानियों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ शांतिपूर्ण सत्याग्रह किया और अपने जीवन के अनेक वर्ष कारावास में बिताए। संविधान-सम्मत मार्ग पर चलते हुए डॉक्टर यशवंत सिंह परमारपंडित पदम देव,  शिवानंद रामौल तथा अन्य जन-सेवकों ने पहाड़ी क्षेत्रों के एकीकरण और हिमाचल प्रदेश की स्थापना के संघर्ष को आगे बढ़ाया था।

हिमाचल प्रदेश में स्वस्थ लोकतान्त्रिक परंपरा का निर्माण करने वाले विगत विधानसभाओं के सदस्यों तथा उसको मजबूत बनाने वाले आप सभी विधायकों को मैं साधुवाद देता हूं। उनमें से बहुत से लोग आज हमारे बीच नहीं हैं। लोकतन्त्र के उन सेवकों की स्मृति को, मैं सभी देशवासियों की ओर से नमन करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

इस क्षेत्र के जन-जन में व्याप्त लोकतान्त्रिक चेतना के कारण ही शायद यह ऐतिहासिक संयोग बना कि स्वतंत्र भारत के पहले चुनाव का पहला वोटर होने का श्रेय हिमाचल प्रदेश के ही  श्याम सरन नेगी जी को जाता है। उन्हें भारतीय निर्वाचन आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनाव में ब्रांड एम्बेसेडर बनाया था। मुझे बताया गया है कि सौ वर्ष से अधिक आयु के नेगी जी आज भी सक्रिय हैं और एक सजग मतदाता के रूप में उनका उदाहरण राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा भी प्रस्तुत किया जाता है।

जनवरी, 1971 में हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना, डॉक्टर यशवंत सिंह परमार जैसे लोकतन्त्र में आस्था रखने वाले जन-नायकों के नेतृत्व में यहां की जनता के संघर्ष की सफल परिणति थी। हिमाचल प्रदेश के लोगों ने विगत 50 वर्षों में विकास की जो गाथा लिखी है उस पर सभी देशवासियों को गर्व है। इसके लिए सभी पूर्ववर्ती सरकारों ने अहम भूमिका निभाई है। मैं पूर्व मुख्यमंत्रियों – स्वर्गीय डॉक्टर वाई.एस. परमार, स्वर्गीय  ठाकुर राम लाल, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और स्वर्गीय वीरभद्र सिंह – के योगदान की सराहना करता हूं।

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश की विकास-यात्रा को जन-मानस तक पहुंचाने की पहल अत्यंत सराहनीय है। हिमाचल प्रदेश ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार “सतत विकास लक्ष्य – इंडिया इंडेक्स 2020-21” में हिमाचल प्रदेश देश में दूसरे नंबर पर है। हिमाचल प्रदेश कई मापदण्डों पर देश में अग्रणी राज्य है। इसके लिए मैं राज्यपाल राजेन्द्र आर्लेकर, मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर एवं हिमाचल प्रदेश सरकार की पूरी टीम को साधुवाद देता हूं।

देवियो और सज्जनो,

देववाणी संस्कृत के साहित्य में देवभूमि हिमाचल की प्रशस्ति के अनेक उद्धरण प्राप्त होते हैं। हमारी लोक-परंपरा में इस क्षेत्र को महादेव शंकर और देवी पार्वती से जुड़ा माना गया है। एक बहुत प्रचलित प्रार्थना है:

हिमाचल-सुता-नाथ-संस्तुते परमेश्वरि।

रूपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि।।

अर्थात

हिमालय की कन्या पार्वती के पति, भगवान शंकर के द्वारा प्रशंसित होने वाली, हे परमेश्वरी! सभी लोगों को रूप, विजय और यश प्रदान कीजिए, शत्रु के समान विद्यमान कुवृत्तियों का नाश कीजिए। मैं यही प्रार्थना, लोकतन्त्र के इस पावन मंदिर में, हिमाचल प्रदेश के निवासियों तथा सभी देशवासियों के कल्याण के लिए करता हूं।

अन्याय व अत्याचार के प्रतीक महिषासुर का मर्दन करने वाली माँ दुर्गा की प्रार्थना करने से, यह विचार भी स्पष्ट होता है कि हिमाचल प्रदेश के शांतिप्रिय परंतु बहादुर लोग, आवश्यकता पड़ने पर अन्याय, आतंक और देश की अस्मिता पर किसी भी प्रकार के प्रहार का वीरता-पूर्वक जवाब देते रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के लगभग हर गांव के युवा भारतीय सेनाओं में अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। मुझे बताया गया है कि राज्य में भूतपूर्व सैनिकों की संख्या एक लाख बीस हजार से भी अधिक है। इस वीरभूमि से ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध संघर्ष में प्राण न्योछावर करने वाले राम सिंह पठानिया, देश के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा, कारगिल में शहीद हुए, परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्रा, परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार और कारगिल के नायक शहीद कैप्टन सौरभ कालिया जैसे अनेक शूरवीरों ने पूरे देश का और हिमाचल प्रदेश का मस्तक ऊंचा किया है। सैन्य-बलों का सुप्रीम कमांडर होने के नाते, कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से, उन वीरों की पावन स्मृति को मैं नमन करता हूं।

देवियो और सज्जनो,  

यह भी आप सभी के लिए गर्व का विषय है कि सन 2014 में यह विधान सभा देश की पहली पेपरलेस विधान सभा बनी। यह टेक्नॉलॉजी के सक्षम उपयोग, पर्यावरण की रक्षा तथा आर्थिक संसाधनों की बचत का अच्छा उदाहरण है। पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन के लिए राज्य सरकार ने प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने सहित, अनेक सराहनीय प्रयास किए हैं। हिमाचल प्रदेश विधान सभा द्वारा पारित Non-bio-degradable Garbage Control Act 1995, Prohibition of Smoking and Non-smokers Health Protection Act 1997 जैसे क़ानूनों का पूरे देश पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इस विधान सभा में ऐसे अनेक कानून बनाए गए हैं जिनसे भविष्योन्मुखी परिवर्तन के लिए मार्ग प्रशस्त होता रहा है।

 हिमाचल प्रदेश में नदियों का पानी निर्मल है। यहां की मिट्टी साफ-सुथरी तथा पोषक तत्वों से युक्त है। मैं चाहूंगा कि यहां के किसान भाई-बहन, प्राकृतिक खेती को अधिक से अधिक अपनाएं और रासायनिक उर्वरकों से अपनी शस्य-श्यामला धरती को मुक्त करें।

पिछले कुछ महीनों के दौरान हिमाचल प्रदेश में बादल फटने तथा जल-प्लावन जैसे दुर्भाग्यपूर्ण हादसे हुए हैं। मैं सभी संतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। मुझे विश्वास है कि केंद्र व राज्य सरकार मिलकर ऐसी आपदाओं के वैज्ञानिक समाधान विकसित करेंगे।

कोविड महामारी का सामना करने में हिमाचल प्रदेश ने देश में सबसे पहले वैक्सीन की पहली डोज़ शत-प्रतिशत आबादी को लगाने का कीर्तिमान स्थापित किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए साधुवाद को मैं अक्षरश: साझा करना चाहूंगा कि हिमाचल प्रदेश इस महामारी के विरुद्ध लड़ाई में चैंपियन बन कर सामने आया है। इसके लिए हिमाचल प्रदेश के सभी कोरोना वॉरियर्स की मैं सराहना करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को हिमाचल प्रदेश से गहरा लगाव था। इसे वे अपना घर ही मानते थे। उन्होंने हिमाचल को विशेष औद्योगिक पैकेज प्रदान किया थाजिससे राज्य में निवेश को बढ़ावा मिला। उन्होंने ही 2002 में उस परियोजना की आधारशिला रखी थी जो आज ‘अटल टनल’ के नाम से, दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग-टनल के रूप में, स्थापित है। इससे हिमाचल और लेह-लद्दाख के हिस्सेदेश के अन्य क्षेत्रों से सदैव जुड़े रहेंगे और वहां के लोगों का तेजी से आर्थिक विकास होगा।

मेरे लिए यह सुखद संयोग है कि हिमाचल की धरती मुझे लगभग 45 वर्षों से आकर्षित करती रही है। मैं पहली बार 1974 में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू-मनाली क्षेत्र में आया था और उसके बाद कई बार इस प्रदेश में आना होता रहा है। सार्वजनिक-जीवन से जुड़े अनेक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए भी हिमाचल प्रदेश आने का अवसर मुझे मिलता रहा था। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, लोगों की कर्मठता, सरलता व अतिथि सत्कार ने मेरे मानस-पटल पर गहरी छाप छोड़ी है। हिमाचल प्रदेश की प्रत्येक यात्रा, मुझ में एक नई स्फूर्ति का संचार करती है।

देवियो और सज्जनो,

आप सभी विधायकसांसद तथा प्रदेश के अन्य निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को प्रदेश की जनता अपने भाग्य-विधाता के रूप में देखती है और आप सभी से अपेक्षा करती है कि आप सब इस प्रदेश व राष्ट्र के निर्माता बनें। अब तक की अपनी विकास यात्रा के द्वारा आप सबने भविष्य के समग्र व समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त किया है। पर्यावरण के अनुकूल कृषिबागवानीपर्यटनशिक्षारोजगार- विशेषकर स्वरोजगार- आदि अनेक क्षेत्रों में सतत विकास की अपार संभावनाएं हैं। हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत से भरपूर है। हमें प्राकृतिक सौंदर्य को संजोये रखने के साथ-साथ विकास के क्षेत्र में निरंतर प्रयास करने होंगे। प्रदेश के एक जिले का नाम सिरमौर है। मेरी शुभकामना है कि पूरा हिमाचल प्रदेश एक दिन विकास के पैमाने पर भारत का सिरमौर बने। मुझे विश्वास है कि 2047 में जब हमारे देशवासी आजादी की शताब्दी मनायेंगे और हिमाचल प्रदेश अपनी स्थापना के पचहत्तर वर्ष सम्पन्न होने का समारोह मनाएगातब तक यह राज्य विश्वस्तरीय विकास और समृद्धि का आदर्श प्रस्तुत कर रहा होगा।

हिमाचल प्रदेश की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष में, लोकतन्त्र के इस मंदिर में, आप सबके प्रति, मैं यह शुभ-कामना व्यक्त करता हूं कि अपनी लोकतान्त्रिक विरासत व स्वस्थ परम्पराओं को निरंतर मजबूत बनाते हुए, आप सब अपने राज्य को खुश-हाली की बुलंदियों पर ले जाएं।

हिमाचल प्रदेश द्वारा पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने की स्वर्ण जयंती पर आप सबको एक बार फिर हार्दिक बधाई!

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