SFI ने UG रिजल्ट की गोपनीयता के अंदर हुई सेंध को लेकर किया DS का घेराव

शिमला:विश्वविद्यालय एसएफआई इकाई ने आज विश्वविद्यालय में ERP सिस्टम के अंदर हुए घोटाले और UG रिजल्ट की गोपनीयता के अंदर हुई सेंध को लेकर DS का  घेराव किया। एसएफआई ने आरोप लगाया की विश्वविद्यालय प्रशासन और ERP कंपनी की मिलीभगत ने विश्वविद्यालय के संसाधनों को बर्बाद करते हुए तथा हजारों छात्रों के भविष्य को बर्बाद किया है। एसएफआई ने आरोप लगाया कि जो स्नातक कोर्स के अंतिम वर्ष के परीक्षा परिणाम के अंदर गोपनीयता को ताक पर रखा गया है बिना विश्वविद्यालय के आधिकारिक घोषणा के एक पोर्टल पर छात्रों के परीक्षा परिणाम उपलब्ध होना विश्वविद्यालय की साख के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है यह एक बहुत ही गंभीर मामला है जिसके अंदर छात्रों के परीक्षा परिणाम के साथ साथ उनकी निजी गोपनीयता व पारदर्शिता को भी तार-तार किया गया है
एसएफआई ने आरोप लगाया की विश्वविद्यालय ने ईआरपी सिस्टम को स्थापित करने के लिए 8 करोड़ की राशि विश्वविद्यालय को प्रस्तावित की थी जिसमे RTI के माध्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार 6 ,60,00000 वितरित किए गए जिसमे 5,18,74,298 खर्च कर दिए परंतु वो कहां खर्च किए उसका कोई ब्यौरा नहीं है न ही ERP सिस्टम के अंदर कोई भी सुधार देखने को नहीं मिला। जब से ईआरपी सिस्टम को विश्वविद्यालय ने अपनाया है तब से लेकर लगातार एसएफआई विश्वविद्यालय में इआरपी सिस्टम के अंदर जो खामियां छात्र समुदाय को परेशान कर रही थी उनके खिलाफ लगातार विरोध करती आ रही है। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने एसएफआई के आंदोलन को दबाने के लिए उन पर मुकदमे दर्ज किए और अनेक हथकंडे अपनाते हुए छात्रों को प्रताड़ित करने का काम किया। इस पूरे प्रकरण में लगभग 6 साल का समय बीत चुका है परंतु विश्वविद्यालय को इतने लंबे समय के दौरान ईआरपी सिस्टम की खामियों का अंदेशा नहीं हुआ। छात्रों की आवाज को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा हमेशा से नकारा गया जिसका परिणाम हिमाचल प्रदेश के हजारों छात्रों को अपने अपने भविष्य को दांव पर रख कर चुकाना पड़ा। इसके साथ साथ विश्वविद्यालय के अंदर करेक्शन के नाम पर छात्रों से 600 रूपये लिए जाते हैं चाहे उसमें गलती विश्वविद्यालय प्रशासन की ही क्यों न हो। लेकिन जब कोई छात्र अपने रिजल्ट को ठीक करने के लिए प्रदेश के दूर दराज के क्षेत्र से आते तो उन्हें ये लगभग 5,000 के आस पास पड़ता है और इस पूरे फसाद की जड़ खस्ताहाल ERP सिस्टम है।
विश्वविद्यालय एसएसआई सचिव रॉकी का कहना है की सवाल यह है कि जब छात्र 6 सालों से इस चीज को उठा रहे थे तब तो विश्वविद्यालय प्रशासन हमेशा से इस चीज को अस्वीकार करता रहा और इस बेकार सिस्टम के कसीदे पढ़ता रहा ऐसे में सवाल उत्पन होता है की आज तक जिन छात्रों का भविष्य इस सिस्टम की वजह से बर्बाद हुआ है उसकी भरपाई कैसे की जाएगी । एसएफआई ने आरोप लगाया कि एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के चक्कर में छात्रों की जिंदगी से खिलवाड़ किया गया। अगर इस सिस्टम को स्थापित करने के लिए 6 करोड से ज्यादा का खर्च विश्वविद्यालय वहन कर रहा है कहीं ना कहीं यह चीज संदेह के दायरे में आती है इतने बड़े बजट का दुरुपयोग कहां हुआ इसलिए इस पूरे सिस्टम को लेकर तथा इसको स्थापित करने की प्रक्रिया को लेकर सीबीआई जांच होनी चाहिए और स्नातक अंतिम वर्ष के परिणामों के अंदर हुई इस गड़बड़ी के लिए ERP संचालकों को दंडित किया जाना चाहिए ताकि यह साफ हो सके की कहीं अधिकारियों के द्वारा कंपनी के साथ सांठगांठ करके उस पैसे को डकार तो नहीं लिया गया। साथ ही साथ विश्वविद्यालय के अंदर आउट सोर्स भर्तियों को निरस्त करने की भी मांग की गई विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ भी यही मांग कर रहा है लेकिन प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। एसएफआई ने चेतावनी दी कि अगर इन तमाम चीजों को लेकर विश्वविद्यालय एक महीने के समय के अंदर सुधार नहीं करती है तो आने वाले 03 अक्तूबर को जितने भी छात्र इस सिस्टम से प्रताड़ित हुए हैं उन सब को लामबंद करते हुए प्रशासन का कैंपस आना बैन करेगी और उग्र प्रदर्शन करेगी।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *