कुलपति ने सरेआम विश्वविद्यालय के नियमों की धज्जियां उड़ाई : प्रवीण मिन्हास

  • NSUI ने विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति पर उठाए सवालिया निशान 

  • कुलपति की नियुक्ति मामले पर NSUI ने राज्यपाल, सरकार और प्रशासन से की जल्द कड़ी कार्यवाही की मांग

  • अगर राज्यपाल और सरकार ने इस मामले पर कोई संज्ञान नहीं लिया तो NSUI प्रदेश में करेगी उग्र आंदोलन  

शिमला : आज हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने प्रेस वार्ता के माध्यम से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति पर सवालिया निशान उठाए। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए NSUI हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष प्रवीण मिन्हास ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति ने सरेआम विश्वविद्यालय के नियमों की धज्जियां उड़ाई है। क्योंकि विश्वविद्यालय का कोई भी प्रोफेसर और कर्मचारी किसी भी राजनीतिक गतिविधियों में भाग नही ले सकता है। जब कुलपति दो साल तक 2016 से 2018 तक भाजपा के एक पदाधिकारी के तौर पर कार्य करते रहे थे तो उस दौरान उन्होंने जो अनुभव हासिल किया वो एक नेता के तौर पर हासिल किया न कि एक प्रोफेसर के तौर पर और पूरे प्रदेश में चुनावी गतिविधियों में शामिल होकर भाजपा का प्रचार प्रसार किया तथा जगह-जगह राजनीतिक रैलियां एवं राजनीतिक सम्मेलन किये। दो साल तक विश्वविद्यालय से उनका संबंद्ध केवल वेतन लेने तक ही रहा और काम उन्होंने बतौर भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर किया।

प्रवीण मिन्हास ने कहा कि कुलपति के इस आचरण से इनकी सत्यनिष्ठा, अखंडता, नैतिकता और संस्थान के प्रति प्रतिबद्धता के ऊपर सवालिया निशान पैदा होते है जिसका हम चाहते है कि कुलपति इसका जवाब दे कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के किस अध्यादेश एवं नियम के तहत दो साल तक प्रोफेसर रहते हुए सक्रिय रूप से राजनीतिक एवं चुनावी गतिविधियों में भाग लिया। इस प्रेस वार्ता में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय NSUI इकाई के उपाध्यक्ष रजत भारद्वाज, बबिता,योगेश यादव मौजूद रहे।
कुलपति के खिलाफ मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के द्वारा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति को एक साल का अतिरिक्त सेवा विस्तार दिया जाता है। जिसका हम पूर्णजोर विरोध करते है और राज्यपाल, सरकार और प्रशासन के मांग करते है कि इस मामले पर जल्द से जल्द कड़ी कार्यवाही की जाए और जो 2016 से 2018 से इनके अनुभव को बतौर भाजपा के नेता के रूप में गिना जाए ना कि एक प्रोफेसर के तौर पर और उस समय में वेतन सहित जो सुविधाएं इन्होंने विश्वविद्यालय से ली है उन्हें तुरंत प्रभाव से वापिस लिया जाए। NSUI पुरजोर ढंग से यह मांग उठाती है कि डॉ. सिंकन्दर कुमार के ऊपर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अध्यादेश के कंडक्ट रूल 35.20 के उलंघना के तहत उन्हें प्रोफेसर के पद से भी तत्काल प्रभाव से हटाया जाए ताकि समाज में नियम की उलंघना करने बालों के प्रति कड़ा संदेश जाए। प्रवीण मिन्हास ने यह भी कहा कि हम इन तथ्यों को जल्द ही चुनाव आयोग के समक्ष पेश करेंगे और हमारी यह चुनाव आयोग से यह अपेक्षा रहेगी कि इस मामले की निष्पक्ष रूप से जांच की जाए। अगर राज्यपाल और सरकार इस मामले पर कोई संज्ञान नहीं लेती है तो NSUI प्रदेश में उग्र आंदोलन करेगी। 

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