अलविदा: पंचतत्व में विलीन हुए वीरभद्र सिंह, सबकी आंखें हुईं नम

  • अलविदा राजा साहब…“बमाण” पर स्वर्ग यात्रा के लिए निकले वीरभद्र सिंह

हिमाचल: प्रदेश के प्रिय नेता रहे मुख्‍यमंत्री  वीरभद्र सिंह का आज राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार जोबनी बाग रामपुर में किया गया। इससे पहले रामपुर बुशहर स्थित राजमहल में उनके पुत्र एवं विधायक विक्रमादित्‍य सिंह का राजतिलक किया गया। प्रदेश के कोने-कोने से हजारों लोग व अलग-अलग राजनीतिक पार्टी के नेता और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी अपने अन्य मंत्रियों के साथ वीरभद्र सिंह जी के अंतिम दर्शन करने पहुंचे

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री आनन्द शर्मा और पवन बंसल रामपुर पदम पैलैस में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अंतिम दर्शनों के लिए रामपुर पहुंचे।

राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार जोबनी बाग रामपुर में किया गया। राजा साहब वीरभद्र सिंह बमाण से अपनी अंतिम यात्रा के लिए निकले। 12 मुखी बमाण देवदार की लकड़ी से बनाया गया था और इसके स्तंब चन्दन की लकड़ी से बने हुए थे। बुशहर रियासत के किन्नौर, डंसा, लालसा, कूहल और अन्य क्षेत्रों के ‘बड़ई’ ‘ओड’ दो दिन से लगातार बमाण के निर्माण में जुटे हुए थे।

अलविदा राजा साहब…“बमाण” मुखी विमान पर वीरभद्र सिंह की अंतिम यात्रा

“बमाण” यानि “विमान” को कहा जाता है। राजपरिवार में किसी की भी मृत्यु होने पर इस प्रकार का विमान बनाया जाता है। भारी संख्या में लोगों का जन सैलाब उमड़ा। सुलटे यानि उलटे वाद्ययंत्र को बजाया गया। लोग नम आँखों के साथ अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने हाथ जोड़ खड़े रहे।

वीरभद्र सिंह का अंतिम संस्कार जोबनी बाग में पूरे विधि विधान के साथ राज परिवार से जुड़े स्थानीय पंडितों द्वारा किया गया। इसके लिए रामपुर नगर परिषद द्वारा राजघराने के अंतिम धाम स्थल को तैयार कर दिया गया था। वीरभद्र सिंह के अंतिम संस्कार के लिए करीब 25 किलोग्राम देसी घी और कई किलोग्राम मेवे का भी प्रयोग किया गया।

जोबनी बाग में राज परिवार के लिए अलग से ही स्थान निर्धारित किया गया है। जहां पर केवल राज परिवार के लोगों का ही अंतिम संस्कार किया जाता है।  आज भी जोबनी बाग में राज परिवार के पूर्वजों के स्मारक देखे जा सकते हैं। हालांकि इसके साथ ही आम लोगों के अंतिम संस्कार के लिए भी स्थान बनाया गया है। राज परिवार के किसी सदस्य के अंतिम संस्कार के बाद यहां पर स्मारक या समाधी बनाने की भी परंपरा है। यहां पर राजा वीरभद्र सिंह के पिता राजा पदम देव सिंह सहित अन्य परिवार के सदस्यों की भी समाधियां बनाई गई हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री के निधन के बाद से राज परिवार के सदस्यों ने तीन दिनों से अन्न ग्रहण नहीं किया। जबकि विक्रमादित्य सिंह ने राजतिलक के बाद जूस पिया। तीन दिनों से राज परिवार के सदस्य केवल फलों का ही सेवन कर रहे थे। हिंदू परंपरा है जब तक घर से पार्थिव देह का अंतिम संस्कार नहीं किया जाया, तब तक घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। ऐसे में राज परिवार के लोगों ने भी इस परंपरा का निर्वहन किया।

जबकि स्थानीय लोगों की ओर से दूर दराज से आने वाले लोगों के लिए खाने पीने की व्यवस्था की गई थी। वहीं दूसरी ओर रक्तदान सेवा परिवार सोसायटी रामपुर ने मुख्य राजमार्ग पर बाहर से आने वाले सैकड़ों लोगों के लिए खाने पीने की व्यवस्था रखी थी। इसमें  सादा खाना ही लोगों को खिलाया।

शुक्रवार को वीरभद्र सिंह की पार्थिव देह को शिमला स्थित आवास से रिज मैदान और प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। हिमाचल के लोगों के दिलों पर राज करने वाले वीरभद्र सिंह के अंतिम दर्शन के लिए शुक्रवार को भी शिमला में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी थी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा व कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए शिमला पहुंचे थे।

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