रामपुर/शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के अंतिम संस्कार से पहले विक्रमादित्य सिंह का राजतिलक किया गया। रामपुर रियासत में यह प्रथा रही है कि राजा का अंतिम संस्कार तब तक नहीं होता, जब तक अगले उत्तराधिकारी का राजतिलक न हो, क्योंकि राज गद्दी को खाली नहीं छोड़ा जाता। वीरभद्र के अंतिम संस्कार से पहले पुरानी परंपराओं का निर्वहन करते हुए विक्रमादित्य सिंह का राज महल में राजगद्दी पर राजतिलक किया गया।
हिमाचल प्रदेश ब्राह्मण सभा के सलाहकार पुज्या देव शर्मा ने बताया कि मंत्रोच्चारण के बीच विक्रमादित्य सिंह का विधि-विधान के साथ राजतिलक किया गया। उन्होंने बताया कि स्थानीय देवी-देवताओं के कहने पर यहाँ राजतिलक की परंपराओं को निभाया जा रहा है। इसका सामाजिक गतिविधियों से कोई लेना देना नहीं है यह पारिवारिक प्रथा है। यहाँ की यह औपचारिकता है जिसे निभाना आवश्यक समझा जाता है स्थानीय देवताओं के कहने पर यह औपचारिकता निभाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि राजतिलक के दौरान सारी प्रक्रियाओं को गुप्त रखा गया। इसे किसी प्रकार से सावर्जनिक नहीं किया जाएगा।
विक्रमादित्य सिंह के राजतिलक के दौरान 4 ठहरी यानि शिंगला, शनेरी, लालसा और डंसा के वाद्य यंत्रों को बजाया गया। सारे कार्यक्रम होने के बाद इसकी घोषणा की गई। पुरोहित द्वारा राजतिलक कर मंत्रों का उच्चारण किया गया। मंत्रों द्वारा शक्ति प्रदान की गई, उसके बाद चार ठहरी का बाज बजाया गया। इस बीच सुलटा वाद्य यंत्र बजाए गये, उसके उपरांत जयकारा लगाया गया।