सोलन: जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन पर प्रशिक्षण संपन्न

  • प्रशिक्षण में 111 प्रतिभागियों ने  लिया हिस्सा

सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के विस्तार शिक्षा निदेशालय ने राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान (मैनेज) हैदराबाद के सहयोग से जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन पर तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण का आयोजन किया। प्रशिक्षण में 111 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें विश्वविद्यालय के 54 संकाय और 10 छात्रों ने भाग लिया। प्रतिभागियों में 25 वैज्ञानिक, 12 विषय विशेषज्ञ और 10 छात्र जो अंडमान, जम्मू-कश्मीर, असम, उड़ीसा, तमिलनाडु, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न हिस्सों से संबंधित थे।

समापन समारोह के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल मुख्य अतिथि रहे, जबकि डॉ. पी चंद्रशेखर, डायरेक्टर मैनेज गेस्ट ऑफ ऑनर रहे। डॉ. दिवेंद्र गुप्ता, निदेशक विस्तार शिक्षा, डॉ. एन बालासुब्रमण्यम, पाठ्यक्रम निदेशक; डॉ. सी.एल. ठाकुर, संयुक्त निदेशक (प्रशिक्षण) और डॉ. परमिंदर कौर बावेजा ने भाग लिया।

डॉ. बवेजा ने मुख्य अतिथि, गेस्ट ऑफ ऑनर और प्रतिभागियों का स्वागत किया। प्रशिक्षण के बारे में डॉ. सी.एल. ठाकुर ने बताया कि प्रशिक्षण में मौसम संबंधी डेटाबेस और प्रबंधन के विकास की बुनियादी अवधारणाओं, पश्चिमी हिमालय पर जलवायु परिवर्तन परिदृश्य और इसके परिणाम, तापमान और वर्षा पैटर्न, और बदलती जलवायु के तहत मौसम संबंधी उपकरणों की भूमिका जैसे विषयों पर चर्चा हुई।

कुछ अन्य विषयों में वायु, मिट्टी, पानी की गुणवत्ता और बागवानी फसलों के कवक और वायरल रोगों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव शामिल रहा। इसके अलावा प्रतिभागियों को COVID-19 महामारी में हिमालयी इलाकों में बदलती जलवायु परिस्थितियों, जलवायु परिवर्तन और कीट प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन परिदृश्य और बागवानी व्यवसाय के लिए बागवानी फसलों की भेद्यता और अनुकूलन क्षमता के बारे में भी अवगत करवाया गया। प्रशिक्षण के दौरान जलवायु-स्मार्ट कृषि को बढ़ावा देने के लिए विस्तार रणनीतियों पर भी कई व्याख्यान शामिल रहे।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए डॉ कौशल ने कहा कि एक ऐसी ट्रेनिंग जिसमें कृषि, बागवानी से संबंधित अत्यधिक महत्व के विषयों को शामिल किया गया में देश भर से लाइन विभाग के पेशेवरों, वैज्ञानिकों और छात्रों  की इतनी विविध सभा का भाग लेने से नई तकनीक और पर्यावरण से संबंधित ज्ञान सभी तक पहुंचेगा। उन्होंने पारिस्थितिक तंत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए जलवायु स्मार्ट कृषि प्रौद्योगिकियों और अनुकूलन रणनीतियों को तैयार करने पर जोर दिया। डॉ. कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय मैनेज द्वारा चलाए जा रहे ऐसे प्रशिक्षणों और कार्यक्रमों में भविष्य में भी सहयोग करना चाहेगा।

जलवायु-स्मार्ट कृषि प्रौद्योगिकियों के बारे में बोलते हुए डॉ. पी. चंद्रशेखर ने कहा कि सभी जलवायु प्रौद्योगिकियों को पैकेज का एक हिस्सा बनना चाहिए ताकि विस्तार कर्मियों इसका प्रसार कर सके। डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने संसाधन व्यक्तियों और शोध छात्रों के प्रशिक्षण के महत्व और विश्वविद्यालय द्वारा की जा रही विभिन्न विस्तार गतिविधियों के बारे में बताया।

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