कृषि सचिव ने प्राकृतिक खेती कर रहे प्रगतिशील किसानों के फार्मो का किया निरीक्षण

कृषि सचिव ने प्राकृतिक खेती कर रहे प्रगतिशील किसानों के फार्मो का किया निरीक्षण

  • किसानों से प्राकृतिक खेती के सम्बन्ध में उगाई जा रही फसलों के बारे में ली सम्पूर्ण फीड बैक 

बिलासपुर : हिमाचल प्रदेश सरकार में कृषि सचिव अजय शर्मा, प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के विशेष सचिव राकेश कंवर, कृषि निदेशक नरेश ठाकुर तथा प्राकृतिक खेती के कार्यकारी निदेशक डाॅ. राजेश्वर चंदेल ने जिला बिलासपुर में प्राकृतिक खेती कर रहे प्रगतिशील किसानों के फार्मो का जायजा व निरीक्षण किया।  इस अवसर पर कृषि उपनिदेशक डाॅ. कुलदीप पटियाल व आतमा के उप परियोजना निदेशक डाॅ. देशराज शर्मा व डॉ.राजेश शर्मा भी मौजूद रहे।

इस अवसर पर कृषि सचिव डाॅ. अजय शर्मा ने घुमारवीं के कसोहल गांव में प्राकृतिक खेती कर रहे प्रगतिशील किसान विचित्र सिंह, कीकर सिंह, का माॅडल फार्म, नींऊ गांव के अजय रतन के माॅडल फार्मो का निरीक्षण किया। यह तीनों किसान पिछले तीन वर्षो से अपनी सारी हल चलती जमीन में प्राकृतिक खेती कर रहे है।

कृषि सचिव डाॅ. अजय शर्मा ने किसानों से प्राकृतिक खेती के सम्बन्ध में उगाई जा रही फसलों के बारे में सम्पूर्ण फीड बैक ली। उन्होंने घुमारवीं शहर के साथ लगते अवढाणीघाट में बलबीर गुलेरियां के कृषि फार्म का भ्रमण भी किया। उन्होंने बलबीर गुलेरियां द्वारा लगाई गई बाडबंदी व अन्य योजनाओं को देखा।

इस अवसर पर आतमा परियोजना की परियोजना निदेशक डाॅ. प्राची ने उच्च अधिकारियों को प्राकृतिक खेती के सम्बन्ध में दिए जा रहे प्रशिक्षण, भ्रमण, प्रदर्शन तथा देसी गाय पर सरकार द्वारा दिए गए अनुदान के बारे में सचिव कृषि को अवगत करवाया।

इस मौके पर कृषि सचिव डाॅ. अजय शर्मा ने प्राकृतिक खेती में रूचि रखने वाले व करने वाले किसानों, स्वदेशी गायों तथा फसलों व उत्पादों को सराहा। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां प्राकृतिक खेती के उत्पादों से उपभोक्ताओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ौतरी होती है वहीं इस खेती में प्रयोग होने वाली स्वदेशी तकनीक से प्रदेश में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को भी बल मिलेगा।

उन्होंने किसानों से बातचीत के दौरान इस विधि में होने वाली उत्पादन लागत के बारे में जानकारी ली। देसी गाय व गोबर व गौमूत्र पर आधारित इस खेती में किसानों की रूचि को देखते हुए सफल किसानों से आहवान किया कि गांव में अन्य किसानों को भी इस खेती को करने के लिए प्रेरित करें ताकि विभिन्न बीमारियों से बचा जा सके।

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