शिमला: लोक नृत्य व लोक गायन प्रतियोगिता

  • देखने को मिली जिला शिमला की सम्पूर्ण लोक संस्कृति की झलक

  •  प्रतियोगिता में जिला के कुल 15 लोक नृत्य व वाद्य दलों ने लिया हिस्सा

शिमला: जिला शिमला समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से भरपूर है, जिसमें लोक संस्कृति को और अधिक प्रखरता प्रदान करने के लिए लोक नृत्य व लोक गायन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इससे प्रतिस्पर्धा की भावना के साथ-साथ लोकानोरंजन का प्रदर्शन भी सुनिश्चित होता है। अतिरिक्त उपायुक्त अपूर्व देवगन ने आज भाषा कला एवं संस्कृति विभाग जिला शिमला द्वारा आयोजित जिला स्तरीय लोक नृत्य तथा लोक वाद्य यंत्र प्रतियोगिता 2021 के समापन अवसर पर अपने उद्बोधन में यह विचार व्यक्त किए।
उन्होंने बताया कि ऐसे आयोजनों से जिला के विभिन्न क्षेत्रों की गायन, वाद्यन व नृत्य की विधा के साथ-साथ पारम्परिक वेशभूषा, आभूषण व लोक वाद्यय यंत्रों की मौलिकता भी भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित रखी जा सकती है।
उन्होंने बताया कि इस आयोजन में जिला शिमला की सम्पूर्ण लोक संस्कृति की झलक देखने को मिली। ऐसे आयोजन कलाकारों को मंच प्रदान करते हैं वहीं लोक संस्कृति के मौलिक स्वरूप को संरक्षित रखने में सहायक होते हैं।
उन्होंने बताया कि इस आयोजन में जिला के कुल 15 लोक नृत्य व वाद्यय दलों ने भाग लिया, जिसमें वाद्यय यंत्र प्रतियोगिता में सरस्वती कला मंच ठियोग प्रथम, लोटस वेलफेयर सोसायटी ठियोग द्वितीय, देवता बेंदरा वाद्यय दल कोटखाई तृतीय, देवता बिजट महाराज कुपवी रहा। लोक नृत्य प्रतियोगिता में जयेश्वरी लोक नृत्य कला मंच प्रथम, सरस्वती कला मंच ठियोग द्वितीय, देव कुर्गण दल शिमला तृतीय तथा महासु युवक मण्डल केदी चौपाल ने चौथा स्थान प्राप्त किया।
अपूर्व देवगन ने विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किए।
इस अवसर पर उन्होंने निर्णायत मण्डल के सदस्य डाॅ. राम स्वरूप शांडिल, डाॅ. हुकुम शर्मा, नाट्य निरीक्षक लेख राम पाल, डाॅ. मदन जाल्टा और बिहारी लाल शर्मा जी को भी सम्मानित किया।
इस अवसर पर जिला भाषा अधिकारी अनिल कुमार हारटा ने कहा कि प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण व संवर्धन के लिए भाषा एवं संस्कृति विभाग की स्थापना की गई है। प्रदेश कला संस्कृति तथा विभिन्न भाषाओं के प्रोत्साहन के लिए विभाग द्वारा कार्य किया जा रहा है। हिन्दी, संस्कृत, उर्दू तथा पहाड़ी भाषाओं के साहित्यिक विकास व उन्नति के साथ-साथ प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण संवर्धन के लिए विभिन्न योजनाएं विभाग द्वार संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि इन प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त किए नृत्य व वाद्यय दल राज्य स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता में भाग ले सकेंगे।

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