- बीमों की कांट-छांट के लिए आजकल का समय सही
- पुराने बीमों को नया व सशक्त बनाना जरूरी, ताकि अच्छा मिले फल
- पौधों को नमी मिलने के उपरांत ही खाद व उर्वरकों का लाभ
कांट-छांट कार्य पूरा होने पर वोर्डो मिक्चर जिसमें 2 किलो नीला थोथा तथा दो किलो चूना मिलाया जाता है
को 200 लिटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें, अभी इस छिडक़ाव को किया जा सकता है। इस छिडक़ाव से कैंकर रोग तथा अन्य फफूंद जनित रोगों को नियंत्रण करने में सहायता मिलती है और यह 85-90 दिन तक असरदार रहता है। बीमों की कांट-छांट विशेषकर 1 ईंच (2.5 सें.मी.) से अधिक लंबे जो पिछले 5-6 वर्षों से फल दे रहे हों, काट कर छोटा करें। बड़ी आयु के सेब बागीचों में 4-8 ईंच (10-20 सें.मी.) तक लंबे हो जाते हैं और यह सीधे न होकर छोटी-छोटी बीमें रूपी शाखओं में विभाजित हो जाते हैं। यह बीमें भोजन तो पूरा कर लेते हैं परंतु गुणवत्ता युक्त फल उत्पन्न नहीं कर पाते। इस प्रकार के बीमों को नया व सशक्त बनाना आवश्यक होता है जिससे अच्छी फल की प्राप्ति की जा सके। यह याद रखें कि कमजोर बीमे गुणवत्ता विहिन फल ही पैदा करते हैं और सशक्त व स्वस्थ बीमों से ही गुणवत्ता फल प्राप्ति की जा सकती है। अधिकतर बागवान इस पहलू पर ध्यान नहीं देते और कमजोर फल का ही उत्पादित कर पाते हैं। यदि बीमों की कांट-छांट कई वर्षों से ही नहीं की गई है तो केवल 35 प्रतिशत तक ही इनमें सुधार करें यानि पूरे बागीचे के बीमों में तीन वर्षों में सुधार करके इन्हें नयापन देकर स्वस्थ करके अच्छा फल प्राप्त किया जा सकता है। अत: बीमों की कांट-छांट पर विशेष ध्यान दें और यह कार्य आजकल सफलता पूर्वक किया जा सकता है। कांट-छांट का यह कार्य उन बीमों में सबसे पहले करें जो सबसे पुराने हैं और अधिक लंबे हैं। यह कार्य पूरे पौधों में अधिक से अधिक 35 प्रतिशत ही करें। बाकि बचे बीमों को अगले वर्ष तथा उसके बाद के बीमों को तीसरे वर्ष में पूर्व करें। इस विधि से हर वर्ष फल की प्राप्ति होती रहेगी और पौधों में नए बीमों के बनने की प्रक्रिया भी सुचारू रूप से चलती रहेगी। तीन वर्ष के बाद सभी बीमें सशक्त, सुदृढ़ व स्वस्थ होंगे और फल उत्पादन में भी गुणात्मक सुधार देखने को मिलेगा।
ऐसे सेब व अन्य शीतोष्ण फलों के बागीचे जिनमें खाद या सुपर फास्फेट की मात्रा नहीं डाली गई है, नमी के मिलने तक रूके रहें, नमी की उपलब्धता होने पर खाद व उर्वरकों का प्रयोग स्वीकृत मात्रा में करें। अगर नमी देरी से मिलती है तो इस कार्य को मार्च में भी किया जा सकता है। यह इसलिए आवश्यक है कि अभी पौधों की नमी को बचाकर रखना महत्वपूर्ण है। खाद व उर्वरकों का लाभ भी पौधों को नमी मिलने के उपरांत ही है। गोबर की गली-सड़ी खाद 100 किलो.ग्रा. तथा सुपर फास्फेट 2 किलो 200 ग्राम प्रति पौधे की दर से प्रयोग करें। इसके अतिरिक्त क्यूरेट आफ पोटाश 1.500 ग्राम प्रति पौधे की दर से पौधों के बाहरी घेरे में तने से कम से कम 1 से 1.5 मीटर दूरी पर फैलाकर डालें और मिटटी की पर्त से ढक दें।