हिमाचल: कृषि विभाग की दो मृदा परीक्षण प्रयोगशाला को एनएबीएल के तहत मान्यता प्राप्त
हिमाचल: कृषि विभाग की दो मृदा परीक्षण प्रयोगशाला को एनएबीएल के तहत मान्यता प्राप्त
शिमला: कृषि विभाग हिमाचल प्रदेश लगातार आदानों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु प्रयासरत है ताकि किसानों को विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के अंतर्गत दिये जाने वाले विभिन्न आदानों जैसे बीज, खाद, कीटनाशक, एवं मिट्टी परीक्षण आदि सेवाओं का उचित लाभ सुनिश्चित हो पाए। वर्तमान में कृषि विभाग हिमाचल प्रदेश 21 विभिन्न प्रकार की प्रयोगशालाएं संचालित कर रहा है जिसमें 11 मृदा परीक्षण 3 उर्वरक परीक्षण और 3 बीज परीक्षण 2 जैव नियंत्रण एक राज्य कीटनाशक परीक्षण और एक जैव उर्वरक उत्पादन व गुणवता नियत्रंण प्रयोगशाला संचालित कर रहा है। मृदा स्वास्थ्य मूल्यांकन के लिए कृषि विभाग किसानों को मृदा जांच निःशुल्क उपलव्ध करा रहा है। इसके अलावा, किसानों को गुणवतापूर्ण आदान प्रदान करने के लिए, गुणवता नियंत्रण प्रयोगशालाएं जैसे बीज, उर्वरक और कीटनाशी इत्यादि राज्य में चलाई जा रही है। इसके अतिरिक्त, कीट नियंत्रण की गैर रसायनिक विधियों को बढ़ावा देने के लिए जिला कांगड़ा और मंडी में दो जैव नियंत्रण प्रयोगशालाएं कार्यरत है। ये प्रयोगशालाएं किसानों के खेतों में बायो एजेंट, जैव कीटनाशकों, ट्रैप्स और ल्योर आदि के प्रयोग का निःशुल्क प्रदर्शन लगाते है।
सचिव कृषि हिमाचल प्रदेश डॉ० सी० पॉलरासु व निदेशक कृषि कुमद सिंह के मार्गदर्शन व सतत प्रयासों से जिला शिमला की मृदा परीक्षण प्रयोगशाला थोर्नविल्ला व बिलासपुर की मृदा परीक्षण प्रयोगशाला को राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यापन बोर्ड (NABL) भारतीय गुणवत्ता बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त हो चुकी है। इसके तहत प्रयोगशाला की तकनीकी क्षमता का निर्धारण करने के लिये विशेष रुप से विकसित कार्य पद्धति आई. एस. ओ. 17025 तथा विशेष कार्यप्रणाली का उपयोग किया जाता है जो कि अंतराष्ट्रीय मानकों पर आधारित होती है। इस मान्यता के तहत इस प्रयोगशाला मे किए जा रहे मृदा परीक्षण व अंशशोधन के आंकड़ों की गुणवता एवं वैधता सम्पूर्ण रूप से आश्वासित होती है, अर्थात किसान अपनी मिट्टी कि जांच कि वैधता पर पूर्ण रूप से विश्वास कर सकता है। इसके अतिरिक्त किसान अपने खेतों में मृदा परीक्षण सिफ़ारिशों के आधार पर उर्वरकों का यथासंभव उपयोग कर अदानों की कीमतों मे कटौती, रसायनों के अनावश्यक उपयोग के कुप्रभावों से मिट्टी का बचाव, उत्पादों की गुणवत्ता, पर्यावरण संरक्षण एवं कम लागत में ज्यादा उत्पादकता सुनिश्चित कर अपनी आय में वृद्धि कर इसके दूरगामी परिणामों का अनुभव कर सकता है।
कृषि विभाग हिमाचल प्रदेश की 21 गुणवता नियंत्रण प्रयोगशालाये में से दो प्रगोगशालाओं को प्रमाणिकता प्राप्त हो चुकी है जबकि अन्य सभी को NABL के तहत चरणबद्ध तरीके से प्रमाणिकता प्राप्त करने हेतु प्रयासरत है।