स्वस्थ रहने के लिए मोटे अनाज़ को भोजन का हिस्सा बनाए

सोलन: इस वर्ष मोटे अनाज़ (मिल्लेट्स) को भोजन का अभिन्न अंग बनाने और अच्छे स्वास्थ्य का लाभ उठाने का एक शानदार अवसर है। हिमाचल प्रदेश के एक प्रगतिशील किसान और ‘मिल्लेट मैन ऑफ हिमाचल’ के नाम से प्रसिद्ध नेक राम शर्मा ने डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में  विद्या भारती के शिक्षकों, जो की विवि के एक दिवसीय भ्रमण पर आए थे, को संबोधित करते हुए ये विचार व्यक्त किए।

सभा को संबोधित करते हुए, नेक राम शर्मा ने कहा कि मोटे अनाज़ के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष ने मिल्लेट्स के महत्व को सामने लाया है और हमें इसपर जागरूकता बढ़ाने और इन खाद्य पदार्थों को अपनी दैनिक जीवन शैली में शामिल करने का एक सुनहरा अवसर दिया है। उन्होंने विभिन्न प्रकार के मोटे अनाज़ खाने के विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के बारे में भी बताया।

कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने इस अवसर पर कहा कि विश्वविद्यालय ने राज्य में  मिल्लेट्स  के प्रचार के लिए विभिन्न गतिविधियों के लिए एक गतिविधि कैलेंडर बनाया है क्योंकि ये फसलें विश्व की खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने इन सुपरफूड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों में एक मिल्लेट्स आधारित व्यंजन शामिल करने का निर्णय लिया है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इन फसलों को अपने खेतों में उगाए और व्यक्तिगत उपयोग के मिल्लेट्स  उत्पादन में शामिल किसानों से उनकी उपज खरीदकर उन्हें प्रोत्साहित करें।

इससे पहले निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. इंदर देव ने बताया कि 1970 से पहले मोटे अनाज भोजन का 20 प्रतिशत से अधिक हिस्सा होता था लेकिन आज यह घटकर केवल 6 प्रतिशत ही रह गया है। स्थायी खाद्य प्रणाली विशेषज्ञ आशीष गुप्ता ने मिल्लेट्स के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में बात की और बताया कि कैसे कठोर परिस्थितियों में भी कैसे उगाया जा सकता है।

इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विद्या भारती स्कूलों के 120 से अधिक शिक्षकों और उत्तरकाशी के किसानों, विश्वविद्यालय के वैधानिक अधिकारों और वैज्ञानिकों ने भाग लिया। सभी प्रतिभागियों को काँगनी(फॉक्सटेल मिल्लेट्) से बनी खीर भी परोसी गई। 

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