स्वास्थ्य विभाग लेबर रूम के स्टाफ को बनाएगा दक्ष, गंभीर गर्भावस्था से निपटने का दिया जाएगा प्रशिक्षण

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की उपलब्धियां व पहलें : 2015

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में दो उप-मिशन शामिल हैं

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में दो उप-मिशन शामिल हैं

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में दो उप-मिशन शामिल हैं – राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम)। मुख्य कार्यक्रम घटकों में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाना, प्रजनन- मातृत्व- नवजात शिशु और किशोर स्वास्थ्य (आरएमएनसीएच + ए) और संचारी और गैर-संचारी बिमारियां शामिल हैं। एनएचएम में न्यायसंगत, सस्ती और गुणवत्ता स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के लिए सार्वभौमिक पहुँच की उपलब्धी शामिल है जो लोगों की जरूरतों प्रति जवाबदेह और उत्तरदायी हैं।

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) : एनआरएचएम ग्रामीण आबादी, विशेष रूप से कमजोर वर्ग के लिए सुलभ, सस्ती और गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध करता है। एनआरएचएम के तहत राज्यों के साथ साथ पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश पर विशेष ध्यान दिया गया है। मिशन में पानी, सफाई, शिक्षा, पोषण के रूप में स्वास्थ्य के निर्धारकों की एक विस्तृत श्रृंखला पर एक साथ कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए सभी स्तरों पर अंतर-क्षेत्रीय कंवर्जेंस के साथ एक पूर्णरूपेण क्रियात्मक, सामुदायिक स्वामित्व, विकेन्द्रीकृत स्वास्थ्य वितरण प्रणाली की स्थापना करने पर जोर दिया गया है। यह एनयूएचएम सभी राज्यों की राजधानियों, जिला मुख्यालयों 50 हजार या उससे अधीक जनसंख्या वाले शहरों, कस्बों में लागू है।

एनएचएम के अधीन प्रगति – मानव संसाधनों के संवर्धन: एनआरएचएम ने 10,027 मेडिकल अफसरों, 4023 विशेषज्ञों, 78,168 एएनएम, 53,456 स्टाफ नर्सों, 35,514 आयुष डॉक्टरों आदि को अनुबंध आधार पर भर्ती करके लगभग लगभग 2.3 लाख अतिरिक्त स्वास्थ्य मानव संसाधनों को मंजूरी देकर मानव संसाधनों के अंतराल को भरने का प्रयास किया है। इसके अलावा स्वास्थ्य मानव संसाधनों में उपलब्ध कराने के अलावा एनआरएचएम ने आपातकालीन प्रसूति देखभाल, जीवन रक्षा अनेस्थेसिया कौशल, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में एमबीबीएस डॉक्टरों को प्रशिक्षित करके राज्यों को रणनीतिक रूप से अवस्थित सेवाओं की पहचान करके बहु- कौशल वाले डॉक्टरों पर ध्यान केंद्रित किया है।

  • मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा)

एनएचआरएम के कार्यान्वयन के ढांचे के अधीन एक महिला समुदाय स्वास्थ्य कार्य कर्ता जिसे आशा के रूप में जाना जाता है। उनकी नियुक्ति प्रत्येक गांव में 1000 जनसंख्या पर एक आशा या जनजातीय क्षेत्र में एक बस्ती पर एक आशा के आधार पर की जाती है। जून, 2015 तक पूरे देश में 9.15 लाख आशा और लिंक कार्यकर्ताओं का चयन किया गया था।

  • इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना/ उन्नयन करना: एनआरएचएम के उद्देश्य सभी स्तरों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य डिलिवरी प्रणाली को मजबूत बनाना है। पिछले 10 वर्षों के दौरान (जून 2015 तक) एससी, पीएचसी, सीएचसी, एसडीएच और डीएच सहित विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 30,750 नए निर्माण और 32,847 नवीकरण/ उन्नयन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।
  • 24x 7 सेवाएं और प्रथम रेफरल सुविधाएं

प्रथम रेफरल यूनिट के रूप में कार्य करने के 2,706 रेफरल अस्पतालों मजबूत बनाया गया। 24×7 सेवाएं प्रदान करने के लिए 13,667 पीएचसी/ सीएचसी, 14,441 नवजात देखभाल केंद्र, (एनबीसीसी), 575 विशेष नवजात देखभाल इकाइयों और 2,020 नवजात स्थिरीकरण इकाइयों एनएचएम के तहत स्थापित की गई।

  • मोबाइल चिकित्सा इकाइयां

सबसे दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों तक सेवाएं प्रदान करने के लिए राज्यों में मोबाइल मेडिकल यूनिट मदद कर रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के 10 वर्षों में, 672 जिलों में से 333 को एमएमयू से सुसज्जित किया गया है। अभी तक देश में 1,107 एमएमयू कार्यरत हैं।

  • राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवा

31 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में एम्बुलेंस बुलाने के लिए 108 या 102 टेलीफोन नंबर डायल करके लोगों को एंबुलेंस मंगाने की सुविधा प्राप्त है। 108 डायल करना एक आकस्मिक प्रतिक्रिया प्रणाली है। जिसे गंभीर देखभाल वाले मरीजों, ट्रामा या दुर्घटना के शिकार लोगों को अटेंड करने के लिए तैयार किया गया है। डायल 102 सेवाओं में मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं और अन्य बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से मरीजों को परिवहन सुविधा उपलब्ध कराना है। हालांकि अन्य श्रेणियां भी इसका लाभ उठा सकती हैं।

  • आयूष को मुख्यधारा में लाना

10042 पीएससी, 2732 सीएचसी, 501 डीएच और 5714 स्वास्थ्य सेवाओं को आयुष की सुविधाओं में आवंटित करके आयुष को मुख्य धारा में लाया गया है। समुदाय भागीदारी पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। एनएचएम का एक मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र में सार्वजनिक व्यय को बढ़ाना है। इसके उपयोग में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। एनआरएचएम के अभी तक राज्यों/यूटी को 1,34,137.31 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। नवजात शिशु मृत्युदर में जो 1990 में 80 थी, वह 2013 में घटकर 40 हो गई है। कुल जननदर (टीएफआर) जो 1990 में 3.8 थी वह 2013 में घटकर 2.3 हो गई। भारत को ड्ब्ल्यूएचओ ने मार्च, 2014 में पोलियो मुक्त देश के रूप में प्रमाणित किया है जो भारत के लिए एतिहासिक उपलब्धी है।

  •  मातृ और शिशु ट्रेकिंग प्रणाली

यह एक नाम आधारित ट्रेकिंग प्रणाली है जो भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य देखभाल सेवा उपल्बध करने वाली प्रणाली में सुधार लाने और निगरानी कार्यप्रणाली को मजबूत बनाने में सूचना प्रौद्योगिकी के नवाचार अनुप्रयोग के रूप में शुरू की गई है। इस योजना के तहत 2015-16 के दौरान कुल 1,18,68,505 गर्भवती महिलाओं को पंजीकृत किया गया। इसीप्रकार अक्टूबर, 2015 तक इस योजना के पांच वर्ष के कम आयु के 82,38,820 बच्चों को पंजीकृत किया गया। एमसीटीएफसी राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान द्वारा परिचालित की गई है और 80 हेल्पडेस्क द्वारा परिचालित है। राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन को मंत्रिमंडल ने 1 मई, 2013 को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एक उप मिशन के रूप में मंजूरी दी है।

  • प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र (यू पीएचसी)
  • – 1426 नए यू पीएचसी को मंजूरी दी गई
  • 99 प्रथम रेफरल इकाइयों को मजबूत बनाने के लिए सहायता प्रदान की गई।
  • -35 नए शहरी समुदाय स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों की स्‍थापना
  • 2353 पूर्णकालिक चिकित्‍सा अधिकारियों, 2973 अंशकालिक चिकित्‍सा अधिकारियों, 17584 एएनएम, 7209 कर्मचारी परिचारिकाओं, 2973 फार्मेसिस्‍ट एवं 3231 लैब टेक्निशियनों को मंजूरी दी गई।
  • स्‍लम बस्‍ती के लिए 92,173 महिला आरोग्‍य समितियां (एमएएस) एवं 56,002 आशा को मंजूरी दी गई (एक एमएस 50 से 100 परिवारों को कवर करता है, जबकि आशा 200 से 500 परिवारों को कवर करता है)।

एनएचएम के तहत प्रमुख पहल

  • स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं के लिए राष्‍ट्रीय गुणवत्‍ता आश्‍वासन संरचना को प्रारंभ करना : 31,000 से अधिक सार्वजनिक सुविधाओं में स्‍वास्‍थ्‍य की गुणवत्‍ता को बेहतर बनाने तथा राज्‍यों को एक स्‍पष्‍ट रूपरेखा मुहैया कराने के लिए नवंबर, 2014 में राष्‍ट्रीय गुणवत्‍ता आश्‍वासन संरचना के तहत जिला अस्‍पतालों के लिए गुणवत्‍ता मानदंड (डीएच), सीचीसी एवं पीएचसी प्रारंभ किए गए।
  • कायाकल्‍प की शुरूआत – सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍स सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक पहल : कायाकल्‍प पहल को सार्वजनिक सुविधाओं में स्‍वच्‍छता, सफाई एवं संक्रमण नियंत्रण प्रचलनों को बढ़ावा देने के लिए प्रारंभ किया गया है। इस पहल के तहत सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं का मूल्‍यांकन किया जाएगा और ऐसी सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं जो स्‍वच्‍छता, सफाई एवं संक्रमण नियंत्रण के नवाचारों के असाधारण प्रदर्शन वाले मानदंडों को प्राप्‍त करेंगी उन्‍हें पुरस्‍कार और सराहना प्रदान की जाएंगी। इसके अतिरिक्‍त सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं में स्‍वच्‍छता, सफाई एवं संक्रमण नियंत्रण प्रचलनों को बढ़ावा देने के लिए स्‍वच्‍छता दिशा-निर्देश 15 मई, 2015 को जारी किया गया है। ये दिशानिर्देश सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं में स्‍वच्‍छता को लेकर योजना निर्माण, बारंबारता, पद्धतियों, निगरानी आदि पर विस्‍तार से जानकारी मुहैया कराते हैं।
  • राष्‍ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वे (एनएफएचएस)- 4 : एनएफएचएस-4 को 2014 के मध्‍य में नीति एवं कार्यक्रम के लिए साक्ष्‍य मुहैया कराने और प्रमुख मानदंडों पर प्रगति की निगरानी के लिए उभरते महत्‍वपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण तत्‍वों पर अनिवार्य डाटा एवं जानकारी मुहैया कराने के लिए प्रारंभ किया गया था। एनएफएचएस-4 का क्षेत्र कार्य प्रगति पर है। सर्वे के परिणामों के 2016 में आने की उम्‍मीद है और यह राष्‍ट्रीय राज्‍य एवं जिला स्‍तर आंकड़े मुहैया कराएगा।
  • राष्‍ट्रीय नवजात कार्य योजना को प्रारंभ करना (आईएनएपी): वर्तमान में सालाना लगभग 7.47 लाख नवजातों की मृत्‍यु हो जाने का अनुमान है। सितंबर, 2014 में देश में रोकथाम की जाने वाली नवजात मौतों और मृतजन्‍मों में कमी लाने की गति को बढ़ाने के लिए आईएनएपी की शुरूआत की गई। इसका लक्ष्‍य ‘2030 तक एकल संख्‍या नवजात मृत्‍यु दर (एनएमआर)’ और ‘2030 तक एकल अंक मृतजन्‍म दर (एसबीआर)’ को अर्जित करना है। इस लक्ष्‍य के अर्जित हो जाने के बाद नवजात मौतों के 2030 तक सालाना 2.28 लाख से कम हो जाने की उम्‍मीद है।
  • मिशन इंद्र धनुष की शुरूआत : मिशन इंद्र धनुष की शुरूआत दिसंबर, 2014 में की गई जिससे कि 2020 तक 90 लाख बगैर प्रतिरक्षित/आंशिक रूप से प्रतिरक्षित बच्‍चों तक पहुंचा जा सके। पहले चरण में इसे 201 जिलों में क्रियान्‍वित किया गया है, दूसरे चरण में 297 अतिरिक्‍त जिलों को इसमें शामिल किया जाएगा। मिशन इंद्र धनुष के पहले चरण के दौरान लगभग 20 लाख बच्‍चों को पूर्ण प्रतिरक्षण प्राप्‍त हुआ।
  • चार नए टीकों को मंजूरी : चार नए टीकों जिनके नाम हैं रोटावायरस, इन एक्‍टिवेटेड पोलियो वैक्‍सीन (आईपीवी), मीजल्‍स– रूबेला वैक्‍सीन, जापानी इंसेफ्लाइटिस वैक्‍सीन को वयस्‍कों तक विस्‍तारित कर दिया गया है। इससे टीकों से बचाव होने वाली रूग्‍णता, विकलांगता एवं मृत्‍यु दर में उल्‍लेखनीय कमी आएगी।
  • मुफ्त दवा सेवा पहल: एनएचएम के तहत 5 प्रतिशत तक अतिरिक्‍त वित्‍तपोषण (यह राज्‍यों को किए जाने वाले सामान्‍य आवंटन के अतिरिक्‍त है) उन राज्‍यों को प्रदान किया जाता है, जो मुफ्त दवा योजना लागू करते हैं। एमएचएन मुफ्त दवा सेवा पहल के तहत मुफ्त दवाओं के प्रावधान के लिए उल्‍लेखनीय वित्‍तपोषण उपलब्‍ध है जो कुछ विशिष्‍ट शर्तों की पूर्ति के विषय होंगे।
  • मुफ्त नैदानिक सेवा पहल : एनएचएम- मुफ्त नैदानिक सेवा पहल की शुरूआत 2013 में सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों पर मुफ्त अनिवार्य नैदानिक सेवाएं प्रदान करने के लिए की गई थी जिसके तहत राज्‍यों का उनके साधनों के अनुरूप उल्‍लेखनीय वित्‍तपोषण मुहैया उपलब्‍ध कराया गया था।
  • जैव चिकित्‍सा उपकरण रख-रखाव : राज्‍यों को सभी सुचारू चिकित्‍सा उपकरण/मशीनरी के लिए व्‍यापक उपकरण रखरखाव के लिए योजनाएं बनाने को कहा गया है। मंत्रालय ने दिशा निर्देश के लिए मॉडल अनुबंध दस्‍तावेज वितरित किए हैं।
  • व्‍यापक प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल : दिसंबर, 2014 में स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने व्‍यापक प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल शुरू करने पर एक रिपोर्ट मुहैया कराने के लिए एक कार्य बल का गठन किया। प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल को व्‍यापक एवं सार्वभौमिक बनाने के लिए 9 कार्य क्षेत्रों का प्रस्‍ताव रखा गया है। इनमें शामिल हैं : प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सेवाओं की संस्‍थागत संरचनाओं एवं संगठनों को मजबूत बनाना।

व्‍यापक प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के लिए प्रौद्योगिकियों, दवाओं एवं नैदानिकों की सुविधा को बेहतर बनाना।

रोगियों एवं सेवा प्रदाताओं को अधिकार संपन्‍न बनाने के लिए सूचना, संचार एवं प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के उपयोग को बढ़ाना।

देखभाल की निरंतरता को बढ़ावा देना।

देखभाल की गुणवत्‍ता को बढ़ावा देना।

स्‍वास्‍थ्‍य के सामाजिक निर्धारकों पर ध्‍यान केंद्रित करना।

सामुदायिक भागीदारी पर जोर देना एवं स्‍वास्‍थ्‍य में समानता चिंताओं पर ध्‍यान देना।

प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल को सहायता देने के लिए एक मानव संसाधन विकसित करना।

वित्‍तपोषण, साझेदारियों एवं जिम्‍मेदारियों समेत प्रसारण को मजबूत बनाना।

राज्यों को एक मध्‍य स्‍तरीय सेवा प्रदाता के नेतृत्‍व में प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल टीम के साथ स्‍वास्‍थ्‍य एवं कल्‍याण केंद्रों के रूप में मौजूदा उपकेंद्रों को मजबूत बनाने के लिए एनएचएम के पीआईपी के जरिए सहायता पेशकश की जाती है।

  • किलकारी एवं मोबाईल अकादमी : गर्भवती महिलाओं, बच्‍चों के माता-पिता और क्षेत्र कार्य कर्ताओं के बीच नवजात देखभाल (एएनसी), संस्‍थागत प्रसव, नवजात पश्‍चात देखभाल (पीएनसी) एवं प्रतिरोधन के महत्‍व के बारे में उचित जागरूकता सृजित करने के लिए चरणबद्ध तरीके से देशभर में किलकारी एवं मोबाईल अकादमी सेवाएं क्रियान्‍वित करने का फैसला किया गया है। पहले चरण में 6 राज्‍यों उत्‍तराखंड, झारखंड, उत्‍तर प्रदेश, ओडिशा, राजस्‍थान (एचपीडी) और मध्‍य प्रदेश में किलकारी प्रारंभ की जाएगी। 4 राज्‍यों-उत्‍तराखंड, झारखंड, राजस्‍थान एवं मध्‍य प्रदेश में मोबाईल अकादमी की शुरूआत की जाएगी।

किलकारी एक इंटरएक्टिव वॉइस रिस्‍पोन्‍स (आईवीआर) आधारित मोबाईल सेवा है, जो सीधे गर्भवती महिलाओं, बच्‍चों की माताओं एवं उनके परिवारों के मोबाईल फोन पर गर्भावस्‍था एवं शिशु स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में टाईम-सेन्‍सिटीव ऑडियो मैसेज (वॉइस कॉल) भेजती है।

मोबाइल अकादमी पारस्‍परिक संचार, कौशलों पर एक किसी भी वक्‍त, किसी भी जगह ऑडियो प्रशिक्षण पाठ्यक्रम हैं, जिस तक कोई आशा अपने मोबाइल फोन से पहुंच सुलभ कर सकती है।

  • राष्‍ट्र व्‍यापी तपेदिकरोधी प्रतिरक्षण सर्वे की शुरूआत : 13 तपेदिक दवाओं के लिए प्रतिरोधी सर्वे की शुरूआत की गई जिससे कि समुदाय में बहु-दवा प्रतिरक्षण तपेदिक के बोझ का बेहतर आकलन मुहैया कराया जा सके। 5214 रोगियों के सैंपल आकार के साथ यह अब तक दुनिया का सबसे बड़ा सर्वे है जिसके परिणाम 2016 तक आ सकते हैं।
  • कालाजार उन्‍मूलन योजना : 2015 के आखिर तक प्रखंड पीएचसी स्‍तर तक प्रति 10,000 आबादी पर कालाजार की वार्षिक व्‍यापकता को एक से कम पर लाने के लिए कालाजार उन्‍मूलन योजना की शुरूआत की गई थी जिनमें शामिल है,

उत्‍तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड के लिए नए प्राथिमकता वाले क्षेत्र प्रारंभ किए गए।

सक्रिय खोज नई दवा से परहेज, समन्‍वित आंतरिक अपशिष्‍ट फुहार (आईआरएस) आदि को शामिल करने के लिए नई कार्य योजना।

नई गैर-आक्रामक नैदानिक किट शुरू की गई। एनएचएम के तहत राज्‍यों को प्रोत्‍साहन देने के लिए मानदंड संशोधित किए गए।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *