29 राज्यों में राशन कार्डों का डिजिटलीकरण, 16 राज्यों में खाद्यान्न का ऑनलाइन आवंटन

  • 2015 के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बड़े सुधार, 29 राज्यों में राशन कार्डों का डिजिटलीकरण, 16 राज्यों में खाद्यान्न का ऑनलाइन आवंटन
  • धान की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए खरीद नीति में संशोधन
  • निरंतर प्रयासों से गन्ना मूल्य की बकाया राशि 66,003 करोड़ रुपये से 5,406.24 करोड़ रुपये तक लाई गई
  • गुणवत्ता वाले उत्पादों एवं सेवाओं को आगे बढ़ाने और उपभोक्ता संरक्षण को गति देने के लिए नए प्रावधान
  • उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय

नई दिल्ली: सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को अधिक पारदर्शी और त्रुटिहीन बनाकर महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। वर्ष 2015 के दौरान 29 राज्यों में राशन कार्डों का डिजिटलीकरण किया गया जबकि साल की शुरुआत में यह दो अंकों के स्तर को महज छू ही रहा था। 16 राज्यों में खाद्यान्न का आनलाइन आवंटन शुरू किया गया है और 26 राज्यों में आनलाइन शिकायतों के निवारण की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस साल सितंबर में चंडीगढ़ और पुड्डुचेरी में लाभार्थियों को खाद्य सब्सिडी के सीधे भुगतान की सुविधा शुरू कर दी गई है।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पुनर्गठन के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर अधिक से अधिक किसानों तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए धान खरीद नीति में संशोधन किया गया। चावल पर मिलों की लेवी समाप्त कर दी गई है। बेमौसम बरसात एवं ओलावृष्टि के कारण फसलों को हुए नुकसान से किसानों को राहत पहुंचाते हुए सरकार ने मौजूदा वर्ष के दौरान खरीद मानकों में ढील दी। किसानों को गन्ना मूल्य की बकाया राशि के भुगतान के लिए किए गए निरंतर प्रयासों के कारण 2014-15 के गन्ना सत्र के दौरान बकाया राशि 66,003 करोड़ रुपये से घटकर 15 नवंबर, 2015 को 5406.24 करोड़ रुपये पर आ गई है।

इस संबंध में उठाए गए कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं –

खाद्यान्न प्रबंधन में सुधार

  •  एफसीआई के पुनर्गठन के लिए सिफारिशें तैयार करने की खातिर सांसद शांता कुमार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर ही एफसीआई की कार्य पद्धति सुधारने और इसके संचालन में लागत कुशलता लाने की खातिर कुछ उपायों की शुरुआत की गई है।
  •  निरंतर प्रयासों से ही टीपीडीएस में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिले हैं। दिसंबर 2015 के पहले हफ्ते तक के नतीजों के अनुसार, 29 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में राशन कार्डों के डिजिटलीकरण का काम पूरा हो चुका है। 32 करोड़ से ज्यादा राशन कार्डों को डिजिटलीकृत किया जा चुका है और 8.5 करोड़ से ज्यादा राशन कार्डों को आधार के साथ जोड़ा जा चुका है।
  • आठ राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को लागू किया गया है।
  • 16 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में खाद्यान्न का ऑनलाइन आवंटन शुरू हो चुका है।
  • राशन कार्ड स्वैप करने के लिए ‘प्लाइंट ऑफ स्केल’ डिवाइस लगाकर 56,146 एफपीएस को स्वचालित बनाया गया है।
  • 32 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में टोल फ्री हेल्पलाइन स्थापित की गई है।
  • 26 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में ऑनलाइन शिकायत निवारण सुविधा शुरू की गई है।
  • 27 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में टीपीडीएस के सभी कामों को दिखाने के लिए पारदर्शिता पोर्टल लांच किया गया है।
  • वर्ष 2015 के नवंबर महीने में टीपीडीएस के कार्यान्वयन से संबंधित विभिन्न पहलुओं से जुड़ी सूचना प्राप्त करने के लिए राज्यों में आनलाइन फार्मेट उपलब्ध करा दिया गया है। अब यह सूचना आनलाइन उपलब्ध है। इससे योजना के क्रियान्वयन में ज्यादा पारदर्शिता आएगी और त्वरित निर्णय लिए जा सकेंगे।
  •  लीकेज और पथांतरण (डायवर्जन) का पता लगाने और खाद्य सब्सिडी का लाभार्थियों को प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण करने के लिए भारत सरकार ने ‘खाद्य सब्सिडी का प्रत्यक्ष हस्तांतरण नियम, 2015’ को 21 अगस्त 2015 को एनएफएसए के तहत अधिसूचित किया है। इन नियमों के तहत डीबीटी योजना संबंधित राज्यों/संघ शासित प्रदेशों की सहमति से लागू की जाएगी। इस योजना के तहत खाद्य सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाएगी। वह बाजार में कहीं से भी खाद्यान्न खरीदने के लिए स्वतंत्र होगा। इस मॉडल को अपनाने के लिए राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के लाभार्थियों के डाटा और खाते से जुड़े आधार कार्ड तथा बैंक की दूसरी जानकारियों का डिजिटलीकरण करना होगा। यह योजना सितंबर 2015 में चंडीगढ़ एवं पुड्डुचेरी में लागू की जा चुकी है। दादर एवं नगर हवेली भी नकद हस्तांतरण/डीबीटी योजना को लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
  • अमल में आने के एक साल के अंदर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) 24 राज्यों में लागू हो चुका है। जुलाई 2014 तक 11 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में इसकी शुरुआत हुई थी। तब से 11 और राज्य/संघ शासित प्रदेश एनएफएसए में शामिल किए गए हैं और इनकी कुल संख्या 23 के करीब पहुंच गई है। सिक्किम ने भी जनवरी 2016 से खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है। अब यह संख्या बढ़कर 24 पर पहुंच जाएगी।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आने वाले लाभार्थियों को खाद्यान्न का उसका हक हर हाल में मिले, इसके लिए खाद्यान्न की आपूर्ति न होने के स्थिति में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ते के भुगतान के नियम को जनवरी 2015 में अधिसूचित किया गया है।
  1.  केंद्र सरकार ने खाद्यान्न के रखरखाव और ढुलाई की लागत का 50 प्रतिशत (पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों के मामले में 75%) राज्यों एवं डीलरों के मार्जिन से साझा करने का फैसला किया है। इसे लाभार्थियों के ऊपर नहीं डाला जाएगा और उन्हें मोटा अनाज एक रुपये प्रति किलो, गेहूं दो रुपये प्रति किलो और चावल तीन रुपये प्रति किलो की दर से मिलेगा।
  2. खाद्य और पीडी विभाग ने विभिन्न मुद्दों पर नागरिकों की टिप्पणियां/सुझावों को आमंत्रित करने के लिए “खाद्य सुरक्षा” नामक ‘समूह’ यानी @myGov पोर्टल यानी www.myGov.in खोला था। “खाद्य सुरक्षा” नामक इस समूह के तहत फरवरी 2015 के महीने में ‘टीपीडीएस में सुधार’ शीर्षक से एक चर्चा श्रृंखला शुरू की गई थी। इसमें टीपीडीएस में सुधार के लिए नागरिकों से प्राप्‍त सुझावों/टिप्‍पणियों पर कार्यवाही के लिए राज्‍यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ही संबंधित विभागों के साथ भी साझा किया गया।
  3. एफसीआई के गोदामों की सभी गतिविधियों को ऑनलाइन करने और त्रुटियों की जांच करने के लिए “डिपो ऑनलाइन” प्रणाली शुरू की गई और सभी संवेदनशील डिपो में एकीकृत सुरक्षा प्रणाली स्थापित की जा रही है।
  4. भारत सरकार ने खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत वर्ष 2015-16 में लगभग 111 लाख मीट्रिक टन गेहूं और ग्रेड-ए धान की 20 लाख मीट्रिक टन की बिक्री को मंजूरी दी थी, जिसमें से गेहूं का 16.93 लाख मीट्रिक टन और ग्रेड-ए धान की 0.40 लाख मीट्रिक टन अक्टूबर, 2015 के अंत तक बेचा जा चुका है।
  5. सरकार की प्रगतिशील खरीद नीति के परिणाम के रूप में, पर्याप्त खाद्यान्न एफसीआई के केंद्रीय पूल स्टॉक्स में उपलब्ध है। 01/12/2015 को 268.79 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 236.20 लाख मीट्रिक टन चावल के साथ 504.99 लाख मीट्रिक टन स्‍टॉक्‍स है।
  6. विकेंद्रीकृत खरीद के तहत 12 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के अलावा, तेलंगाना चावल की खरीद के लिए इस वर्ष एक नया डीसीपी राज्य बन गया। आंध्र प्रदेश और पंजाब में भी खाद्यान्न के खरीद में दक्षता और वितरण के संचालन में सुधार के लिए वर्ष 2014-15 के दौरान आंशिक रूप से इस प्रणाली को अपनाया है।
  7. पूर्वोत्तर राज्यों में खाद्यान्न की पर्याप्त आपूर्ति के लिए लुमडिंग से बदरपुर तक गेज रूपांतरण के कारण रेल मार्ग में व्यवधान के बावजूद मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट का उपयोग किया गया। क्षेत्र में 20,000 मीट्रिक टन की अतिरिक्त भंडारण के लिए हर महीने 80,000 मीट्रिक टन खाद्यान्न सड़कों से ले जाया गया। बांग्लादेश से गुजरने वाली नदी के रास्‍ते से भी त्रिपुरा तक खाद्यान्न ले जाया गया।
  8. 1,03,636 टन चावल नदी/तटीय रास्‍ते से पहली बार आंध्र प्रदेश से केरल ले जाया गया
  9. सरकार ने खाद्यान्न के भंडारण के बेहतर प्रबंधन के लिए जनवरी, 2015 में बफर मानदंड को संशोधित किया। 2015-16 के दौरान भंडारण और पारगमन दोनों में नुकसान की कमी आई है।

100 लाख टन चावल मणिपुर सीमा के पास बाढ़ प्रभावित इलाके में मदद के लिए म्यांमार भेजा गया।

खाद्यान्न के केंद्रीय पूल स्‍टॉकों की भंडारण क्षमता में 796.08 लाख टन की वृद्धि हुई।

20 राज्यों में निजी उद्यमी गारंटी योजना (पीईजी) के तहत 10 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाले नए गोदामों का निर्माण किया गया। इस योजना स्कीम के तहत उत्तर-पूर्व में 62,650 मीट्रिक टन की इस भंडारण क्षमता के अलावा और 12 राज्यों में 1.78 लाख मीट्रिक टन के सीडब्ल्यूसी के माध्यम से और जोड़ी जाएगी।

एफसीआई ने सफलतापूर्वक देश में 6 अलग-अलग स्थानों पर – चांगसारी, नरेला, साहनेवाल, कोटकापुरा, कटिहार और व्हाइटफील्ड – पीपीपी मॉडल के तहत भंडारण की आधुनिक प्रणाली के लिए कुल 2.5 लाख मीट्रिक टन क्षमता के 6 साइलो के निर्माण के लिए आरएफक्यू चरण पूरा कर लिया है। जिसमें विशेष वैगनों के माध्यम से खाद्यान्न के थोक आवाजाही की जा सकेगी, जो खाद्यान्न की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करके घाटे को कम करने और खाद्यान्नों की तेजी से आवाजाही को सुनिश्चित करेगा।

वर्ष 2015-16 के दौरान (28.10.2015 तक) 590.41 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य कल्याण योजनाओं के तहत वितरण के लिए राज्यों/संघ राज्य प्रदेशों को आवंटित किया गया था।

केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) ने भी 2014-15 में अभी तक का सबसे ज्‍यादा 1562 करोड़ रुपए का कारोबार किया और सरकार को 54% के रिकार्ड लाभांश का भुगतान किया।

भंडारण क्षेत्र को सक्रिय बनाने के लिए भण्डारण विकास और नियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) के रूपांतरण की एक योजना शुरू की गई है। आईटी प्‍लेटफार्म प्रदान करने और नियमों एवं प्रक्रियाओं को सुधारने का काम शुरू किया गया है।

किसानों के लिए राहत

  • इस साल अप्रत्याशित बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने गेहूं की खरीद के लिए गुणवत्ता के नियमों में ढील दी है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को ऐसी छूट पर मूल्य कटौती की राशि की प्रतिपूर्ति करने का फैसला किया है, जिससे किसान भी सूखे और टूटे गेहूं और बदरंग अनाज के लिए पूर्ण न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्राप्त कर सकते हैं। किसानों के लिए इस तरह का केंद्रित कदम किसी भी केंद्र सरकार द्वारा पहली बार उठाया गया है।
  • सरकार एजेंसियों ने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए रबी वर्ष 2015-16 के दौरान 280.88 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की।

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