शिमला: आपदा प्रबंधन जागरूकता के लिए सामुदायिक भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। महापौर नगर निगम शिमला संजय चौहान ने यह विचार आज गेयरी थियेटर में आयोजित ‘बिल्डिंग अर्बन एक्शन फॉर रेजिलेंस इन एमरजेंसीज’ (बुआरे) कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यह विचार व्यक्त किए। चौहान ने कहा कि बुआरे इस क्षेत्र का आंचलिक भाव व्यक्त करता है, जिसका अर्थ है समाज के प्रति मिलजुलकर काम करने की प्रक्रिया। उन्होंने कहा कि आपदा के समय यदि समाज मिलजुलकर कार्य करे तो हम जानमाल की सुरक्षा व नुकसान में कमी लाने में सक्षम हो सकेंगे।
उन्होंने शिमला नगर के विभिन्न वार्डों के तहत स्वैच्छिक रूप से इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के विस्तार के लिए अन्य लोगों को भी अपने साथ जोड़ना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत विगत छह महीनों में शिमला नगर के समस्त 25 वार्डों में आपदा प्रबंधन जागरूकता प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया। इन शिविरों में सिविल डिफेंस, अग्निशमन, होमगार्ड व स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से वालंटियर्स को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उन्होंने कहा कि शिमला नगर में लगभग तीन हजार 655 स्वैच्छिक स्वयंसेवकों ने इस दौरान आपदा प्रबंधन संबंधी जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कार्यक्रम में पूजा कला मंच के कलाकारों द्वारा जागरूकता नाटक बुआरे की प्रस्तुति की भी सराहना की।
उन्होंने विभिन्न वार्डों के डिजास्टर मेनेजमेंट चीफ और उनके दलों को भी सम्मानित किया।मास्टर ट्रेनर के रूप में डॉ. अंजली (आईजीएमसी), अग्निशमन अधिकारी छोटा शिमला धर्म चंद शर्मा, होमगार्ड के सुनील व नाटक के निदेशक रमेश चंद को भी सम्मानित किया।
आयुक्त नगर निगम पंकज राय ने बताया कि यह प्रशिक्षण यूएनडीपी भारत सरकार व यूएसएआईडी तथा हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में आयेाजित किया गया था। प्रशिक्षण शिविरों का मूल उद्देश्य शिमला नगर में आपदा के समय ऐसे लोगों को तैयार करना जो स्वैच्छिक रूप से अपनी सेवाएं प्रदान कर कार्य करने में सक्षम हो सकें।