शिमला: मिड-डे मील वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर सांसद प्रतिभा सिंह को सौंपा ज्ञापन..

शिमला: मिड डे मील, आंगनबाड़ी व आशा आदि योजनाकर्मियों का एक प्रतिनिधिमंडल सीटू से सम्बंधित यूनियनों के माध्यम से लोकसभा सांसद  प्रतिभा सिंह से मिला व उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। सांसद ने आश्वासन दिया कि यूनियन की मांगों को संसद के बजट सत्र में पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा। 

मिड डे मील यूनियन राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हिमी देवी व आंगनबाड़ी यूनियन महासचिव वीना शर्मा ने कहा है कि राष्ट्रीय आह्वान के तहत सांसद प्रतिभा सिंह के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार योजना कर्मियों को मजदूर का दर्जा देने, पेंशन, ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य आदि सुविधा को लागू नहीं कर रही है। मोदी सरकार सभी योजनाओं को कॉरपोरेट कम्पनियों के हवाले करना चाहती है। यही कारण है कि इन योजनाओं के बजट में लगातार कटौती की जा रही है। मोदी सरकार मिड डे मील योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण योजना करके इसे खत्म करना चाहती है। सरकार मिड डे मिल योजना में केंद्रीय रसोई घर व डीबीटी शुरू कर रही है। स्कूलों में मिड डे मील के खाते बंद कर दिए गए हैं। केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति लेकर आई है, जिसके चलते बड़े पैमाने पर सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे। हिमाचल प्रदेश में मिड डे मील वर्करों को केवल 3500 रूपये वेतन मिल रहा है। इस महँगाई के दौर में यह मानदेय बहुत कम है। प्रदेश में कई स्कूल बंद कर दिए गए हैं व वर्कर्स का रोजगार छीना जा रहा है।

उन्होंने कहा कि आईसीडीएस के निजीकरण की लगातार साज़िश रची जा रही है। आईसीडीएस के बजट में हर वर्ष कटौती जारी है। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों से नन्द घर बनाने की आड़ में आईसीडीएस को वेदांता कम्पनी के हवाले करके निजीकरण की साज़िश की जा रही है तथा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर,पोषण ट्रैकर ऐप व बजट कटौती के ज़रिए आंगनबाड़ी कर्मियों के रोज़गार पर हमला किया जा रहा है। आईसीडीएस को वेदांता कम्पनी के हवाले किया जा रहा है। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों को वर्ष 2013 व 2014 में हुए 45वें व 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार नियमित कर्मी का दर्ज़ा देने की मांग की। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों को हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन,भत्ते व अन्य सुविधाएं देने, माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ग्रेच्युटी देने,तीन हज़ार रुपये पेंशन,मेडिकल व छुट्टियों आदि सुविधा देने की मांग की।

उन्होंने सरकार से मांग की है कि मिड डे मिल वर्कर का न्यूनतम वेतन 10500 रुपये किया जाए। मिड डे मील मजदूरों को हिमाचल हाई कोर्ट के 31 अक्टूबर 2019 के निर्णय अनुसार दस महीने के बजाए बारह महीने का वेतन दिया जाए। मिड डे मील योजना का किसी भी रूप में निजीकरण न किया जाए। डीबीटी के जरिए मिड डे मील योजना को खत्म करने की कोशिश बन्द की जाए। 12वीें कक्षा तक के सभी बच्चों को मिड डे मील योजना के दायरे में लाया जाए। दोपहर के भोजन के अलावा स्कूलो में नाश्ते का भी प्रावधान किया जाए। मिड डे मील वर्कर्स को कर्मचारी घोषित किया जाए।

प्रतिनिधिमंडल में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहर, शिमला जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा, मिड डे मील फेडरेशन की राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हिमी देवी, पुष्पा शर्मा, शांति देवी, जानकी मेहता, जगदीश, मनु, कविता, अनिता, जयवंती, सत्या, हेमलता, मीना व सुनीता आदि शामिल रहे।

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