नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज (19 दिसंबर, 2015) सिकंदराबाद में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मैकेनिकल इंजीनियरिंग सैन्य महाविद्यालय के 96वां डिग्री इंजीनियरिंग एवं 24वें टेक्निकल एंट्री स्कीम पाठ्यक्रम के दीक्षांत समारोह में भाग लिया। छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि युवा टेक्नोक्रैट के रूप में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीनतम विकासों को लागू करने की जिम्मेदारी उनकी है जिसे रक्षा बलों द्वारा सैन्य अन्वेषण की गति में तेजी लाने के माध्यम से उन्हें उपयोग में लाया जा सके। उन्होंने कहा कि अपने विरोधियों के ऊपर तुलनात्मक वर्चस्व हासिल करने के लिए प्रौद्योगिकी उन्नतियों को उपयोग में लाने के द्वारा रक्षा बल के संचालन के तरीकों में संसोधन करने और उन्हें स्पष्ट बनाने के लिए राष्ट्र उनसे उम्मीद करेगा। युवा टेक्नोक्रैट के रूप में उन्हें यह अवश्य याद रखना चाहिए कि भारतीय सेना कई गैर-सैन्य अन्वेषणों का पथ प्रदर्शक रही है। उन्होंने कहा कि सैन्य प्रौद्योगिकी ने सिविल सोसाएटी को बेशुमार लाभ पहुंचाया है और इससे हुए अनपेक्षित लाभों ने राष्ट्रनिर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि युद्धों का इतिहास सैन्य संघर्षों के परिणाम पर प्रौद्योगिकी की निर्णायक भूमिका का स्पष्ट उदाहरण है। संभावित विरोधियों के ऊपर सैन्य क्षमता का दबदबा बनाए रखने के लिए प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाते रहने के लिए सतत प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल और प्रौद्योगिकी राष्ट्र की प्रतिरक्षा क्षमता के विकास और संवर्धन में रणनीतिक साझीदार रहे हैं।