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व्‍यापार को आसान बनाने के लिए 95,000 से ज्‍यादा उद्योग आधार ज्ञापन पत्र दर्ज

  • ग्रामीण उद्यमशीलता को प्रोत्‍साहन देने के लिए आकांक्षा योजना का शुभारंभ

 

नई दिल्ली: वर्ष 2015 के दौरान, सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्रालय ने व्‍यापार प्रक्रियाओं को आसान बनाने में सुधार हेतू और सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यमों (एमएसएमई) को वैश्विक स्‍तर पर और प्रतिस्‍पर्धी बनाने के लिए विभिन्‍न पहलों का शुभारंभ किया है। इन पहलों में उद्योग, आधार ज्ञापन पत्र के रूप में व्‍यापार के पंजीकरण को आसान बनाना, कमजोर सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यमों को पुनर्जीवित करने के लिए एक प्रारूप, पारंपरिक उद्योगों के पुन: सृजन के लिए कोष, पूंजी सब्सिडी से जुड़ी ऋण गारंटी और ऋण के रूप में वित्‍तीय सहायता किया जाना शामिल है। वर्ष के दौरान प्रारंभ किये गये कुछ कार्यक्रमों में शामिल हैं:

  • उद्योग, आधार ज्ञापन-पत्र (यूएएम)

सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम विकास अधिनियम-2006 के अंतर्गत सितम्‍बर, 2015 में मंत्रालय ने अधिसूचित किया है कि प्रत्‍येक सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम इकाई उद्योग, आधार ज्ञापन पत्र दाखिल करेगी। भारत में एमएसएमई के लिए व्‍यापार प्रक्रिया को आसान बनाने को प्रोत्‍साहन देने के लिए यह एक महत्‍वपूर्ण कदम है। यह प्रक्रिया संबंधित राज्‍यों और संघशासित प्रदेशों के साथ दर्ज उद्यमियों के ज्ञापन (ईएम भाग-1 और 2) को यूएएम में परिवर्तित कर देती है। हालांकि कुछ राज्‍यों और संघशासित प्रदेशों ने इस प्रक्रिया को ऑनलाइन अथवा स्‍वयं के द्वारा अथवा मंत्रालय के द्वारा तैयार पोर्टल के माध्‍यम से अपनाया है, कई राज्‍य/संघशासित प्रदेश अभी भी ईएम को दाखिल करने के मामले में सामान्‍य तरीके का ही उपयोग कर रहे हैं। ईएम को दाखिल करने की प्रक्रिया अब व्‍यापक हो चुकी है और एमएसएमई क्षेत्र में उद्यमियों को एक पृष्‍ठ के साधारण यूएएम को http://udyogaadhaar.gov.in पर ऑनलाइन फाइल करना होता है। इसके शीघ्र बाद एक विशिष्‍ट उद्योग आधार नम्‍बर (यूएएन) प्राप्‍त हो जाता है। मांगी गई जानकारी का आधार स्‍व-प्रमाणीकरण पर आधारित है और यूएएम को ऑनलाईन फाइल करते समय किसी सहायक दस्‍तावेजों की आवश्‍यकता नहीं होती है।

http://pibphoto.nic.in/documents/rlink/2015/dec/i2015121815.jpgकेंद्रीय सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्री कलराज मिश्र 6 अक्‍तूबर, 2015 को नई दिल्‍ली में एमएसएमई के लिए एक सरल पंजीकरण प्रारूप ‘’उद्योग आधार ज्ञापन पत्र’’ पर एक संवाददाता सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए। इस अवसर पर सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम एवं इस्‍पात मंत्रालय के सचिव डॉ. अनूप के. पुजारी और पत्र सूचना कार्यालय के महानिदेशक (मीडिया और संचार) ए. पी. फ्रैंक नरोन्‍हा भी उपस्थित हैं।

यूएएम को व्‍‍यक्तिगत रूप से भी आधार नंबर होने पर ऑनलाइन फाइल किया जा सकता है। हालांकि अपवाद स्‍वरूप मामलों में जिनके पास आधार नंबर नहीं हैं, यूएएम को सामान्‍य तरीके से (अर्थात कागज के फॉर्म के माध्‍यम से) संबंधित जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी) के महाप्रबंधक (जीएम) के पास दाखिल किया जा सकता है।

यूएएम की परिकल्‍पना भारत के माननीय प्रधानमंत्री के 03-10-14 को प्रसारित “मन की बात’’ के माध्‍यम से राष्‍ट्र के साथ विचारों को साझा करने और एमएसएमई क्षेत्र के वित्‍तीय ढांचे पर कामथ समिति की रिपोर्ट में पंजीकरण को सार्वभौमिक बनाने की सिफारिशों से सामने आई। इस संदर्भ में एमएसएमई के राष्‍ट्रीय बोर्ड और एमएसएमई अधिनियम के लिए सलाहकार समिति से व्‍यापक विचार-विमर्श किया गया। यह उम्‍मीद की जाती है कि ऑनलाइन फॉइल किये जाने वाले इस एक पृष्‍ठ के साधारण ज्ञापन पत्र से न सिर्फ एमएमएमई की क्षमताओं का पूर्ण उपयोग किया जा सकेगा बल्कि व्‍यापारिक सूचकांक के मामले में हमारी अंतर्राष्‍ट्रीय रैंकिंग में भी सुधार होगा। तीन माह की एक लघु अवधि के भीतर, देश में 95,650 यूएएम फाइल किये जा चुके हैं।

  • एमएसएमई के कायाकल्‍प और पुनरूद्धार के लिए प्रारूप

लघु उद्यमों के पुनरूद्धार, पुनर्वास और कायाकल्‍प के समाधान के लिए देश में मौजूदा तंत्र काफी कमजोर है। हाल ही की कार्य व्‍यापार (डीबी) रिपोर्ट में इस क्षेत्र से जुड़ी समस्‍याओं के समाधान के मामले में 189 अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से भारत को 137वां स्‍थान दिया गया है। रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि किसी समस्‍या के समाधान में औसत स्‍तर पर 4.3 वर्ष लगते हैं और इसमें देनदार की संपत्ति की 9.0 प्रतिशत लागत आती है, और सर्वाधिक संभावना रहती है कि कंपनी को छोटे-छोटे स्‍तर पर बेचा जायेगा।

दिवाला/दिवालियेपन की समस्‍याओं से निपटने के लिए कानूनी ढांचे का विस्‍तृत संशोधन अभी लंबित है, इसके लिए एमएसएमई के पुनरूद्धार के लिए विशेष व्‍यवस्‍था की आवश्‍यकता महसूस की गई। दिवाला/दिवालियेपन का सामना कर रही एमएसएमई की इकाईयों को पुनर्जीवित करने के लिए कानूनी अवसरों को प्रदान किये जाने की आवश्‍कता है। यह व्‍यवस्‍था पुनर्संगठन और पुनर्वास की एक योजना के माध्‍यम से की जा सकती है जिसमें देनदारों और लेनदारों के हितों के बीच संतुलन हो।

एमएसएमई के पुनरूद्धार और पुनर्जीवन के लिए एक रूपरेखा को सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 की धारा-9 के अंतर्गत मई 2015 में अधिसूचित किया गया है। इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार है:-

  • प्रारंभिक दबाव की पहचान
  • समस्‍याओं से घिरे सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यमों के लिए समितियां
  • विभिन्‍न विकल्‍पों से युक्‍त समिति के द्वारा सुधारात्‍मक कार्ययोजना (सीएपी)
  • पुनर्गठन की प्रक्रिया
  • परिसंपत्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड
  • इच्‍छा के साथ की गई गलतियों और ऋण के मामले में असहयोग करने वालों की पहचान
  • प्रधानमंत्री का रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)

पीएमईजीपी देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सतत और स्‍थायी रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए नये उद्यमों की स्‍थापना हेतु सब्सिडी से जुड़े ऋण के लिए सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है।

  • पीएमईजीपी के अंतर्गत मार्जिन राशि के रूप में मंत्रालय द्वारा 860.51 करोड़ रूपए जार किए गये हैं जिनमें से 528.32 करोड़ रूपए पहले से ही बैंकों द्वारा वितरित किए जा चुके हैं।
  •    इस योजना के अंतर्गत, 24126 नए उद्यमों के तहत 170983 लोगों को रोजगार उपलब्‍ध कराकर लाभांवित किया जा चुका है।
  • बैंको के द्वारा वितरित कोषों के मामलें में पिछले वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत से ज्‍यादा की वृद्धि हुई है।

 

अभिनव, ग्रामीण उद्योग और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए एक योजना (एएसपीआईआरई)

एएसपीआईआरई का शुभारंभ 16.03-2015 को 210 करोड़ रूपये के कोष के साथ तकनीकी केंद्रों के एक नेटवर्क के गठन, उद्यमशीलता में तेजी लाने के लिए प्रेरक केंद्रों और ग्रामीण और कृषि आधारित उद्योगों में उद्यमशीलता एवं अभिनव को प्रोत्‍साहन देने के उद्देश्‍य से किया गया है।

  • एएसपीआईआरई के योजान्वित परिणामों में प्रौद्योगिकी व्‍यापार प्रेरकों (टीबीआई), आजीविका व्‍यवसाय उत्‍प्रेरकों (एलबीआई) और एसआईडीबीआई जैसी पहलों के लिए कोषों के निर्माण के साथ एक कोष का गठन करना है।
  • योजना के शुभारंभ होने के एक माह के भीतर एएसपीआईआरई के अंतर्गत अप्रैल 2015 में प्रथम एलबीआई की स्‍थापना की गई। 107 युवाओं के प्रथम समूह को इसके माध्‍यम से प्रशिक्षित और कौशल प्रदान किया गया।
  • सितम्‍बर, 2015 तक 19 एलबीआई को स्‍वीकृति दी जा चुकी है और अन्‍य 9 एलबीआई और दो टीबीआई स्‍वीकृ‍ति के लिए तैयार हैं।
  • पारंपरिक उद्योगों के उत्‍थान के लिए कोष की एक योजना (स्‍फूर्ति)

स्‍फूर्ति का उद्देश्‍य पारंपरिक उद्योगों और शिल्पियों को संगठित करना है ताकि उत्‍पादों की विपणन क्षमता को बढ़ाने, शिल्पियों के कौशल में सुधार लाने, सामान्‍य सुविधाओं के लिए प्रावधान बनाने और समूह शासन प्रणाली को मजबूत करने के द्वारा उनको स्‍थायी मदद प्रदान की जा सके और प्रतिस्‍पर्धी बनाया जा सके।

  • स्‍फूर्ति योजना के दिशानिर्देशों को वर्ष 2015 में फिर से पुनरूद्धार गया और योजना को 2015 में काफी लाभकारी सिद्ध हुई। 2014 में शून्‍य के मुकाबले 2015 में योजना के अंतर्गत 62 करोड़ रूपए के कोष को स्‍वीकृति दी गई।
  • 12वीं योजना में एक वर्ष शेष रहने की अवधि के दौरान ही, 71 समूहों के लक्ष्‍यों के मुकाबले 2015 में 68 समूहों को स्‍वीकृति दी जा चुकी है।

http://pibphoto.nic.in/documents/rlink/2015/dec/i2015121816.jpgकेंद्रीय सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्री कलराज मिश्र 22 मार्च, 2015 को नई दिल्‍ली में स्‍फूर्ति के पुनरूद्धार के अवसर पर एक राष्‍ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए।

  •  सूक्ष्‍म विनिर्माण प्रतिस्‍पर्धात्‍मक योजना (एलएससीएस)

एमएसएमई विनिर्माण की प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता को बढ़ाने के लिए संपूर्ण देश में एलएमसीएस को कार्यान्‍वित किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्‍य विभिन्‍न सूक्ष्‍म विनिर्माण तकनीकों (उदाहरण के लिए कुल उत्‍पादकता रखरखाव (टीपीएम), 5 एस, दृश्‍य नियंत्रण, मानक संचालन प्रक्रियाएं, डाईयों अथवा त्‍वरित बदलाव का एक मिनट में आदान-प्रदान(एसएमईडी), मूल्‍य स्‍ट्रीम मानचित्रण, समय के भीतर, कानबन प्रणाली, काइजेन, सेल्‍युलर लेआउट, पोका योक) के माध्‍यम से एमएसएमई के विनिर्माण प्रतिस्‍पर्धा को बढ़ावा देना है।

  •    188 नए समूहों की पहचान की गई और एलएम मध्‍यस्‍थताओं (सूक्ष्‍म विनिर्माण) के लिए चयन किया गया।
  • 359 इकाईयों में सूक्ष्‍म विनिर्माण मध्‍यस्‍थाओं की पहल की गई है।
  • संपूर्ण देश में 63 जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन
  • सूक्ष्‍म और सीजीटीएमएसई योजना के लिए ऋण गारंटी ट्रस्‍ट कोष

ऋण वितरण प्रणाली को मजबूत करने और एमएसई क्षेत्र में ऋण के प्रवाह की सुविधा के लिए सीजीटीएमएसई का गठन किया गया। सीजीटीएमएसई के अंतर्गत ऋण गारंटी ऋणदाता को आश्‍वस्‍त करना चाहती है कि एक एमएई इकाई जो जमानत मुक्‍त ऋण सुविधाओं का लाभ ले चुकी है अगर ऋणदाता को अपने दायित्‍वों का निर्वाह करने में असफल रहती है तो सीजीएमएसई ऋणदाता के लिए इस ऋण की सुविधा का 85 प्रतिशत तक वहन करेगा।

  • वर्तमान वित्‍तीय वर्ष के दौरान (अप्रैल से अक्‍टूबर 2015) इस योजना के अंतर्गत कुल स्‍वीकृत प्रस्‍तावों की संख्‍या 2,31,774 थी जिनमें गारंटी धनराशि 11,446 करोड़ रूपए थी।
  • प्रौद्योगिकी उन्‍नयन के लिए ऋण से जुड़ी पूँजी सब्सिडी योजना (सीएलसीएसएस)

सीएलसीएसएस का उद्देश्‍य संयंत्र और मशीनरी को खरीदने के लिए 15 प्रतिशत तक पूँजी सब्‍सिडी (अधिकतम 15 लाख रूपए तक सीमित) के द्वारा सूक्ष्‍म और लघु उद्यमों को तकनीकी उन्‍नयन की सुविधा प्रदान करना है। इस योजना के अंतर्गत सब्‍सिडी की गणना के लिए वैध ऋण की अधिकतम सीमा 100 लाख रूपए है। वर्तमान में, 51 उप-क्षेत्रों के अंतर्गत 1500 से अधिक अच्‍छी प्रकार से स्‍थापित/उन्‍नत प्रौद्योगिकियों को स्‍वीकृति दी जा चुकी है।

  • वर्तमान वित्‍तीय वर्ष के दौरान (अप्रैल से अक्‍टूबर, 2015) 1,195 इकाईयां लाभांवित हो चुकी हैं और कुल 75.57 करोड़ की कुल सब्‍सिडी जारी की गई है।

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