शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने प्रदेश के दोनो मैडिकल कॉलेजो के रेजिडेंट डॉक्टरो की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में कार्यरत रेजिडेंट डॉक्टरों का मानदेय पीजीआई, एम्स व अन्य राज्यों में कार्यरत रेजिडेंट डॉक्टरों की तुलना में बहुत अधिक कम है। वर्तमान समय में स्तरीय उच्च मेडिकल शिक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है कि सुविधाओं के साथ-2 मानदेय में भी सम्मानजनक वृद्धि की जाए। डॉक्टरों की इस समस्या के प्रति सरकार का उपेक्षापूर्ण व्यवहार निंदनीय है। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत इस समस्या के समाधान हेतु प्रयास करें।
प्रो. धूमल ने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में गिरावट आई है। केन्द्र सरकार द्वारा भरपूर आर्थिक मदद के बावजूद प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को स्तरोन्नत करने में नाकामयाब साबित हो रही है। डॉक्टरों की बार-2 हड़ताल भी इसी बात का द्योतक है। प्रो0 धूमल ने कहा कि सरकार की लचर कार्यप्रणाली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा 24 अगस्त को डॉक्टरों की जो मांगे मान ली गई थी, वह भी अभी तक धरातल पर नहीं उतरी है। किसी भी शासन प्रणाली के लिए इससे अधिक शर्मनाक स्थिति नहीं हो सकती है।
प्रो. धूमल ने कहा कि विधान सभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जनता में बड़े-2 वायदे किए थे परन्तु सत्ता में रहने के तीन वर्ष पश्चात भी प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का आलम यह है कि विभाग में वर्तमान में 5700 से अधिक पद रिक्त पड़े हैं। बी.एम.ओ. के 22 पद और एम.ओ. के 426 पद रिक्त चल रहे हैं, इसके अतिरिक्त नर्सिंग स्टाफ में एक हजार से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों व आपसी खींचतान में उलझी सरकार इन पदों को भरने में नाकाम साबित हो रही है।
प्रो. धूमल ने कहा कि पूर्व सरकार के समय स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने हेतु जहां 800 से अधिक एम.ओ. (डॉक्टर्स) की नियुक्ति 5 वर्ष में की गई थी, वहीं अटल एम्बुलैंस सेवा, अटल स्वास्थ्य योजना, मुख्यमंत्री विद्यार्थी स्वास्थ्य कार्यक्रम, मुस्कान योजना, मातृ सेवा योजना, स्वास्थ्य बीमा योजना, पं. दीनदयाल औषधी जैसी कई योजनाएं शुरू की गई और इन योजनाओं के माध्यम से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊंचाईयां प्राप्त हुई थी और देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश उन 5 वर्षों के दौरान हमेशा पहले तीन स्थानों पर रहा। परन्तु वर्तमान सरकार की लापरवाही की वजह से आज आम आदमी इन सेवाओं का लाभ नहीं उठा पा रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं की दृष्टि से यह सरकार पूरी तरह से असफल साबित हुई है।