हिमाचल की मशहूर लेखिका व समाजसेविका सरोज वशिष्ठ की दम घुटने से मौत

  • राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने जताया शोक
  • सरोज पहली आईपीएस महिला किरण बेदी के साथ तिहाड़ जेल में कर चुकी हैं कैदियों के लिए काम
  • हिमाचल की जेलों में बंद कैदियों को नए सिरे से जीवन शुरू करने के लिए किया प्रोत्साहित

शिमला: शिमला के उपनगर विकासनगर में रविवार सुबह करीब साढ़े तीन बजे हिमुडा कॉलोनी के सी ब्लॉक के एक फ्लैट में आग लग गई। इस कारण वहां रहने वाली साहित्यकार एवं समाजसेविका सरोज वशिष्ठ (84) की दम घुटने से मौत हो गई। रविवार आज सुबह साढ़े तीन बजे हिमुडा कॉलोनी के फ्लैट सी 22 में रहने वाली पदमावती को जलने की बदबू आई। उन्होंने दरवाजा खोला तो पड़ोस में रहने वाली सरोज वशिष्ठ के सी. 20-21 फ्लैट में से धुआं उठ रहा था। पदमावती ने आवाज लगाकर पड़ोसियों को उठाया व सोसायटी के अध्यक्ष अरविंद बातिश को फोन किया। अरविंद ने जिस भवन में आग लगी थी, उसमें रहने वाले अन्य लोगों को भी बाहर आने को कहा। सभी लोग कुछ ही देर में घटनास्थल पर पहुंच गए। अरविंद ने अग्निशमन विभाग व पुलिस को फोन किया। आधे घंटे बाद मौके पर पहुंचे अग्निशमन कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया व दरवाजा तोड़कर कमरे में देखा तो सरोज अचेत अवस्था में पड़ी थीं। उन्होंने एंबुलेंस को फोन किया। एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंची तो लोगों ने पुलिस की गाड़ी में सरोज को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद पुलिस ने सरोज के परिजनों को सूचित किया। पुलिस अधीक्षक डी.डब्ल्यू नेगी ने बताया कि मामला दर्ज कर हादसे के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा रहा है। शव परिजनों को सौंप दिया है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि सरोज की मौत दम घुटने से हुई है। फॉरेंसिक टीम ने मौके का जायजा लेकर साक्ष्य एकत्रित किए।

  •  सामाजिक गतिविधियों में सदैव सक्रिय रूप से भाग लेकर समाज के लिए दिया अपना बहुमूल्य योगदान

सरोज वशिष्ठ ने विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में सदैव सक्रिय रूप से भाग लेकर समाज के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दिया। हिमाचल की जेलों में बंद कैदियों को नए सिरे से जीवन शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में उन्होंने बहुत काम किया। वह कैदियों की लिखीं कई कविताएं भी सामने लाईं। 1990 के दशक में उन्होंने तीन वर्षां तक तिहाड़ जेल के कैदियों के साथ कार्य किया और उनके द्वारा लिखित तीन पुस्तकों का प्रकाशन भी किया। इसके अलावा, जेल में बंद कैदियों में छुपी प्रतिभा को समाज के सामने उजागर करने के लिए भी उन्होंने विशेष रूप से अपनी सेवाएं दीं। है।

कैदियों का जीवन संवारने में लगा दी जिंदगी- सरोज वशिष्ठ ने लेखन के साथ कैदियों का जीवन संवारने में अपनी जिंदगी लगा दी। कैदी उन्हें ‘मां’ बुलाते थे। वे पहली महिला आईपीएस किरण बेदी के साथ तिहाड़ जेल में कैदियों के लिए काम कर चुकी हैं। वे कहानीकार के साथ अनुवादक और कई नाटकों की समीक्षक भी रहीं। सरोज आकाशवाणी दिल्ली में उद्घोषिका भी रह चुकी हैं।

  •  विकासनगर में अकेली रह रही थी सरोज

सरोज वशिष्ठ शिमला में काफी समय से रह रही थीं। सरोज वशिष्ठ के पति एससी वशिष्ठ का निधन एक साल दो महीने पहले हुआ था। उनके दो बेटे विदेश में प्रोफेसर हैं जबकि बेटी हैदराबाद में रहती है। तीनों का विवाह हो चुका है। सरोज विकासनगर में अकेली रहती थीं। उनकी देख-रेख उनका गोद लिया बेटा अशोक करता था। हादसे के समय अशोक दिल्ली में था। अशोक ने अगले साल सरोज को दिल्ली अपने पास ले जाना था।

  •  दो कमरों की अलमारियां किताबों से भरी थीं

फ्लैट सी 20 व 21 में आग से दो कमरों व एक रसोई में अधिक नुकसान हुआ है। दोनों कमरों की अलमारियां किताबों से भरी थीं। इस कारण वहां आग जल्दी फैली। घर में धुआं भरने से सरोज की दम घुटने से मौत हो गई। आग से सरोज के फ्लैट में दरारें आ गई। समय पर अग्निशमन विभाग के कर्मियों के पहुंचने से अन्य फ्लैटों को नुकसान नहीं हुआ।

  • राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने जताया शोक

सरोज वशिष्ठ की मौत पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शोक प्रकट किया है। उन्होंने दिवगंत आत्मा की शांति की कामना की। उन्होंने कहा कि सरोज की मौत से समाज को हुई क्षति की कभी पूर्ति नहीं हो पाएगी।

 एएसपी भजन देव नेगी के अनुसार जांच में सामने आया है कि सरोज वश्ष्ठि की मौत दम घुटने से हुई है। थाना छोटा शिमला में मुकदमा दर्ज कर छानबीन की जा रही है।

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