तम्बाकू नियंत्रण के लिए दीर्घकालिक बजट निर्धारित होः कौल सिंह

शिमला: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने तम्बाकू नियंत्रण के लिए संरचित प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि इसके लिए धन राशि का आवंटन निर्धारित इलट एवं दीर्घकालिक तरीके के अनुरूप होना चाहिए।

दक्षिणी अफ्रीका के कैप टाऊन में 46वें यूनियन वर्ल्ड लंग हेल्थ सम्मेलन में भाग लेते हुए ठाकुर ने कहा कि उन्होंने भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से मामला उठाया है कि तम्बाकू नियंत्रण के लिए सभी राज्यों को धनराशि का निर्धारण किया जाए।

उन्होंने कहा कि सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 की अनुपालना करते हुए हिमाचल सरकार इसके अंतर्गत प्राप्त होने वाली जुर्माना राशि का सदुपयोग तंबाकू नियंत्रण के लिए कर रही है। प्रदेश ने अभी तक 200,000 यूएस मिलियन डॉलर जुर्माने के माध्यम से एकत्र किए हैं जिसका उपयोग तम्बाकू नियंत्रण उपायों के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तम्बाकू उत्पादों पर वेट से एकत्र होने वाली धन राशि का कुछ प्रतिशत भी इस कार्य पर खर्च करने का मामला मुख्यमंत्री से उठाया गया है।

कौल सिंह ठाकुर ने तम्बाकू नियंत्रण की दिशा में हिमाचल प्रदेश की उपलब्धियों का विवरण देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने पिछले वर्ष से तम्बाकू उत्पादों पर वेट को एकमुश्त दोगुना कर 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 36 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि तम्बाकू उद्योग की ओर से सरकार पर इस निर्णय को वापिस लेने का जबरदस्त दबाव था, लेकिन जनहित में सरकार अपने फैसले पर कायम रही।

उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का निर्वहन करते हुए प्रदेश ने हाल ही में खुली सिगरेट की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया है। यह प्रतिबंध विशेष तौर पर युवाओं को नशे से दूर रखने और टैक्स चोरी रोकने के उद्देश्य से लगाया गया है।

मंत्री ने कहा कि भारत सरकार का प्रस्तावित है कि सिगरेट कम्पनियां अपने लाभ का दो प्रतिशत कारपोरेट समाजिक उत्तरदायित्व के अंतर्गत प्रदान करेंगी। यद्यपि यह एक बड़ा अवसर है लेकिन इससे एक चुनौति यह भी है कि तम्बाकू कम्पनियां इसका लाभ अपने लाभ के लिए उठा सकतीं हैं। उन्होंने राष्ट्र व राज्य स्तरों पर स्वास्थ्य प्रोत्साहन निधि सृजित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि तम्बाकू नियंत्रण के लिए निर्बाध रूप से आवश्यक धन राशि मिलती रहे। ठाकुर ने कहा कि मौसम बदलाव और टीका कम्पनियों जैसे क्षेत्रों की सफलता से सीख लेने की आवश्यकता है, जिन्होंने दीर्घकालिक तौर पर धन राशि उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास आरंभ कर दिये हैं। लेकिन यह तभी संभव होगा, जब सरकार स्वयं भी इसके लिए निवेश करे।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन जिम्मेवार निवेशकों, दानियों और निजी संस्थाओं को साथ लेने और तम्बाकू नियंत्रण पर प्रतिबद्धता कायम करने के लिए एक बड़ा अवसर है।

हिमाचल प्रदेश की ओर से आईजीएमसी शिमला के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रमेश चंद और दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल शिमला के कार्यक्रम अधिकारी (तपेदिक) डॉ. उमेश कुमार भारती ने भी सम्मेलन के दौरान प्रस्तुतिकरण दिए।

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