एजेएस-5905 देश में किराये के मकानों के निर्माण को बढ़ावा देने की जरूरत : नायडू

नई दिल्ली: आवास एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्री एम.वेंकैया नायडू ने देश में किराये के मकानों के निर्माण को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया है। उन्‍होंने आज कहा, ‘‘किराये के मकान असल में स्‍वामित्‍व वाले मकानों के बजाय ज्‍यादा समावेशी हैं, जिस पर सरकारें विशेष जोर देती रही हैं।

नायडू ने राष्‍ट्रीय किराया आवास नीति 2015 के मसौदे पर आयोजित राष्‍ट्रीय परिचर्चा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में बड़ी संख्‍या में लोगों के अपने राज्‍य को छोड़कर दूसरे राज्‍यों में चले जाने (प्रवासन यानी माइग्रेशन) के फलस्‍वरूप स्‍वामित्‍व वाले मकानों के वैकल्पिक आवासों की बढ़ती मांग के मद्देनजर किराये के मकानों में निवेश के अपार अवसर हैं। उन्‍होंने इसे विरोधाभास की स्थिति करार देते हुए कहा कि वैसे तो देश के शहरी क्षेत्रों में तकरीबन 190 लाख मकानों की किल्‍लत है, लेकिन इसके बावजूद 110 लाख मकान खाली पड़े हैं।

इस बारे में विस्‍तार से बताते हुए नायडू ने कहा कि किराया नियंत्रण कानून, किराये पर कम प्राप्ति, निराशाजनक रख-रखाव, निर्माण की निम्‍न गुणवत्‍ता, नियंत्रण खोने के भय और खुद के स्‍वामित्‍व वाले मकानों के निर्माण पर विशेष जोर देने के चलते ही देश में किराये के मकानों के क्षेत्र में निवेश के साथ-साथ उनकी उपलब्‍धता पर भी अत्‍यंत प्रतिकूल असर पड़ता रहा है।

मंत्री ने यह बात रेखांकित की कि भारत में कुल मकानों में किराये के मकानों का हिस्‍सा महज 11 फीसदी ही है। वहीं, दूसरी ओर कुल मकानों में किराये के मकानों का हिस्‍सा नीदरलैंड में 35 फीसदी, हांगकांग में 31 फीसदी, ऑस्ट्रिया में 23 फीसदी और ब्रिटेन में 20 फीसदी है।

नायडू ने कहा कि राष्‍ट्रीय किराया आवास नीति 2015 के मसौदे का उद्देश्‍य नियामकीय एवं कानूनी सुधारों के अनुपालन, धन प्रवाह में बढ़ोतरी और किराये के मकानों के स्‍टॉक के निर्माण, प्रबंधन, रख-रखाव एवं सृजन के लिए संस्‍थानों को प्रोत्‍साहन के जरिए किराये के मकानों वाले क्षेत्र को अत्‍यंत सक्रिय एवं औपचारिक स्‍वरूप प्रदान करना है। नायडू ने इस तथ्‍य पर गंभीर चिंता जताई कि जवाहरलाल नेहरू राष्‍ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत शहरी गरीबों के लिए बनाए गए 2.37 लाख से ज्‍यादा मकान अब भी खाली पड़े हुए हैं। उन्‍होंने कहा कि आवश्‍यक बुनियादी ढांचा एवं रहने लायक स्थितियां सुनिश्चित न करने के चलते ही ऐसी स्थिति पैदा हुई है, जो एक अपराध है। उन्‍होंने कहा कि आवास से जुड़े नये कदमों के तहत इस तरह की गलतियां दोहराई नहीं जानी चाहिए।

चेन्‍नई में आई विनाशकारी बाढ़ का जिक्र करते हुए नायडू ने शहरी नियोजन एवं विकास की खातिर सही सबक सीखने की जरूरत पर बल दिया, ताकि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को इस तरह की मुसीबतों का कतई सामना न करना पड़े। उन्‍होंने कहा कि नालियों और यहां तक कि नदी के तटवर्ती इलाकों का भी अतिक्रमण करते हुए शहरी क्षेत्रों के गैर-निगमित एवं बेतरतीब फैलाव से बचने की जरूरत है, जिससे कि इस तरह की अनचाही स्थितियों का सामना न करना पड़े।

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