मुख्य सचिव ने की बागवानी विकास परियोजना गवर्निंग काउंसिल बैठक की अध्यक्षता

परियोजना की विभिन्न गतिविधियों सामुदायिक सिंचाई सुविधाओं का निर्माण, एचपीएमसी एवं राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा क्रियान्वित की जा रही परियोजनाओं में तेजी़ लाने के दिए निर्देश 

आयातित पौधों पर निर्भरता कम करने और सस्ते दामों पर उच्च गुणवत्ता वाले पौधें उपलब्ध करवाने के लिए विभाग की नर्सरियों में उच्च गुणवत्ता वाले अधिक से अधिक पौधें तैयार करने के दिए निर्देश 

हिमाचल: प्रदेश बागवानी विकास परियोजना गवर्निंग काउंसिल की बैठक मुख्य सचिव आर.डी. धीमान की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित की गई। मुख्य सचिव ने परियोजना की प्रगति की सराहना करते हुए परियोजना की विभिन्न गतिविधियों सामुदायिक सिंचाई सुविधाओं का निर्माण, एचपीएमसी एवं राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा क्रियान्वित की जा रही परियोजनाओं में तेजी़ लाने के निर्देश दिए। 

बैठक में प्रधान सचिव (वन) रजनीश और बागवानी निदेशक डॉ. आर.के प्रुथी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

उन्होंने विभाग को आयातित पौधों पर निर्भरता कम करने और सस्ते दामों पर उच्च गुणवत्ता वाले पौधें उपलब्ध करवाने के लिए विभाग की नर्सरियों में उच्च गुणवत्ता वाले अधिक से अधिक पौधें तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने बागवानी विभाग की नर्सरियों में उच्च गुणवत्ता बनाये रखने के लिए इनमें कार्यरत तकनीकी कर्मचारियों का प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विकास सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

बैठक के दौरान बागवानी सचिव अमिताभ अवस्थी ने परियोजना के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि बागवानी विकास परियोजना की कुल लागत 1066 करोड़ रुपये में से अब तक 644 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं। 

परियोजना निदेशक सुदेश कुमार मोक्टा ने परियोजना के अंतर्गत कार्यान्वित  की जा रही विभिन्न गतिविधियों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि परियोजना के अन्तर्गत अब तक लगभग 30 लाख पौधें आयात किए जा चुके हैं और बागवानी विश्विद्यालय में लगाए गए पौधों से 5-6 गुणा पैदावार प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि परियोजना के अंतर्गत 216 समूहों में सिंचाई परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है। 

उन्होंने कहा कि परियोजना के अंतर्गत एचपीएमसी की 15 इकाइयों में सीए स्टोर, ग्रेडिंग लाइन्स एवं फल प्रसंस्करण इकाइयों का निर्माण एवं उन्नयन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा परियोजना के तहत नौ मंडियों का निर्माण और उन्नयन किया जा रहा है। 

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