बरागटा राजनीतिक रोटियां सेंकने व लोगों को भ्रमित करने के लिए कर रहें है ड्रामेबाजी: रोहित

शिमला: मुख्य संसदीय सचिव तथा शिमला जिले की जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र से विधायक रोहित ठाकुर ने पूर्व मंत्री नरेन्द्र बरागटा पर ठियोग-हाटकोटी सड़क को लेकर बागवानों को गुमराह कर हल्की राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि चुनावों से पहले बरागटा हमेशा अपने राजनीतिक अस्तित्व को बनाए रखने के लिए इस तरह की नौटंकी करते है और इस बार पंचायत चुनावों से पूर्व उन्होंने ड्रामेबाजी शुरू कर दी है।

ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ठियोग-हाटकोटी सड़क के कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है, जिसके लिए नियमित तौर पर समीक्षा बैठकों का आयोजन किया जा रहा है ताकि निर्धारित समयावधि में कार्य पूरा किया जा सके। ठाकुर ने पूर्व मंत्री बरागटा से पूछा कि उन्होंने भाजपा के पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान इस सड़क के निर्माण के लिए क्या किया। उन्होंने कहा कि बरागटा ने पांच विभागों के मंत्री होते हुए भी क्षेत्र के विकास व इस सड़क के लिए कुछ भी नहीं किया और वे इन वर्षों में केवल पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के जन्मदिन मनाने में ही व्यस्त रहे। उन्होंने कहा कि आज जब प्रदेश सरकार पूरी गंभीरता से इस सड़क का सुधार कर रही है तो बरागटा राजनीतिक रोटियां सेंकने व लोगों को भ्रमित करने के लिए ड्रामेबाजी कर रहें है।

ठाकुर ने कहा कि बरागटा केंन्द्र सरकार द्वारा सेब आयात पर रोक लगाने के मामले पर भी बागवानों को गुमराह कर रहें है। उन्होंने कहा कि चेन्नई, कोलकाता व कृष्णापटनम में बाहर से आने वाले सेब पर रोक लगाने से बागवानों को कोई भी लाभ होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि क्योंकि अब यूरोपीय देशों से आने वाला सेब केवल मुंबई में ही उतरेगा। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी विदेशों से आने वाला 50 से 70 प्रतिशत सेब इसी बंदरगाह पर उतरता था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान सोलन में घोषणा की थी कि विदेशों से आने वाले सेब पर लगने वाले आयात शुल्क को 3 गुणा बढ़ाया जाएगा, परन्तु इस पर कोई भी कार्यवाई नहीं की गई है, जिस से कि बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान वर्ष 2010 में विदेशों से 143900 मीट्रीक टन सेब आयात किया गया, जबकि वर्ष 2015 से विदेशों से दो लाख चार हजार मीट्रिक टन सेब आयात हुआ। इससे न केवल प्रदेश के बागवानों की आर्थिकि प्रभावित हुई बल्कि सेब से जुडे़ अन्य लोगों को भी नुकसान हुआ।

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