कौल सिंह का आपदा प्रबन्धन नीति की पुनःसंरचना पर बल

शिमला: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने आपदा प्रबन्धन नीति की पुनर्संरचना की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इस नीति में आपदाओं की समुचित भविष्यवाणी, आपदा पूर्व इससे निपटने की तैयारियां तथा आपदा के उपरांत राहत एवं पुनर्वास इत्यादि का सम्पूर्ण रूप से समावेश किया जाना चाहिए ताकि आपदा के दौरान नुकसान को कम किया जा सके।

ठाकुर आन्ध्र प्रदेश सरकार और आपदा प्रबन्धन एवं नियंत्रण सोसायटी द्वारा विगत वीरवार को विशाखापटनम में आपदा प्रबन्धन पर आयोजित द्वितीय विश्व महासम्मेलन में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सिसमिक क्षेत्र चार और पांच के अन्तर्गत आता है, जो भूकम्प की दृष्टि से अधिक संवेदनशील है। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार ने आपदा के प्रभावों से निपटने के लिए अनेक पग उठाए हैं और एक बेहतर प्रबन्धन कार्यनीति को अपनाया है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय राज्य आपदा प्राधिकरण का गठन किया है। प्राधिकरण आपदा से निपटने, उपायों, प्रभावशाली बहाली तथा राहत एवं बचाव कार्यों के लिए प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के लिए एक नोडल केन्द्र के रूप में कार्य कर रहा है। सरकार ने हिमाचल प्रदेश में आपदा प्रबन्धन योजना का संचालन एवं निगरानी के लिए राज्य स्तरीय आपदा प्रबन्धन समिति का गठन किया है। इसके अतिरिक्त राज्य में आपदा प्रबन्धन समूह भी गठित किया गया है।

राज्य की उच्च सिसमिक संवेदनशीलता के मद्देनजर राजस्व मंत्री ने कहा कि मैदानों का निर्माण एवं निर्माण की रूपरेखा की मसय-समय पर समीक्षा की जा रही है और निर्माण कार्य के लिए जिम्मेवार विभाग के इंजीनियरों, योजनाकारों एवं वास्तुकारों को आवश्यक जानकरी प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि समस्त सरकारी विभागों को उनकी अपनी आपातकाल योजना तैयार करने की सलाह दी गई है। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय, योजनकारों तथा प्रशासकों को दीर्घकालीन कार्यनीति एवं समाधान अपनाने का आग्रह किया ताकि विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यावरण संतुलन के साथ समुचित विकास सुनिश्चित हो।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश राहत मैनुअल की समीक्षा एवं नवीनीकरण की प्रक्रिया आरम्भ की है ताकि प्रभावित लोगों को उपयुक्त एवं समयबद्ध राहत व पुनर्वास उपलब्ध करवाया जा सके।

 

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