शिमला: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने आज ढाका (बांग्लादेश) में जनसंख्या और विकास में भागीदारों (पीपीडी) की 20वीं वार्षिक बोर्ड बैठक को संबोधित किया। इस अवसर पर सभी भागीदारों से सदस्य देशों की विविधताओं को ध्यान में रखते हुए सामान्य समस्याओं के टिकाऊ, प्रभावी, निपुण, सुलभ, स्वीकार्य और न्यायोचित समाधानों को साझा करने के लिए मिलकर कार्य करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस भागीदारी से बहुत लाभ हुआ है लेकिन कड़ी मेहनत और अनेक चुनौतियां भी सामने खड़ी हैं। उत्तरी देशों और संस्थानों से धन जुटाए जाने की जरुरत है और यह कार्य न केवल हिमायती प्रयासों से बल्कि परियोजना प्रस्तावों को तैयार करने के माध्यम से करना है।
उन्होंने कहा कि पीपीडी दक्षिण-दक्षिण भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह समर्पित है और यह प्रजनन स्वास्थ्य, जनसंख्या और विकास के क्षेत्रों में दक्षिण-दक्षिण सहयोग का विस्तार करने और उसमें सुधार लाने के लिए एक बहुत अच्छा मंच है। यह न्याय संगत और सार्वभौमिक विकास के प्रतिमान को अर्जित करने के लिए विकासशील देशों की आर्थिक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण साधन है। मंत्री महोदय ने कहा कि पीपीडी ने अपने क्षेत्र का विस्तार किया है और इसे एमडीजी के अधूरे एजेंडे को सुनिश्चित करने के लिए एक शीर्ष वैश्विक कारक के रूप में देखा जा रहा है और यह विकास मातृत्व, नवजात शिशु, बाल और किशोरों के स्वास्थ्य पर लगातार ध्यान केंद्रित कर रहा है और इन क्षेत्रों में संसाधन जुटाने तथा इन क्षेत्रों को राजनीतिक परिदृश्य पर एक प्राथमिकता के रूप में कायम रखने की जिम्मेदारी निभाता है।
नड्डा ने कहा कि ज्ञान प्रबंधन के लिए प्रभावी नीति, जिसमें जानकारी प्राप्त करने की साइटों की स्थापना, प्रजनन स्वास्थ्य पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम तैयार करना और कम लागत वाले नवाचारों को प्रदर्शित करने के लिए उत्कृष्ट केंद्रों की स्थापना करना शामिल हैं, को उच्च प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सभी सदस्य देशों की सहायता और समर्थन से पीपीडी इन कार्यों की शुरूआत करने में समर्थ होगी। पीपीडी को विकासशील देशों के लोगों के प्रजनन स्वास्थ्य को सुधारने में अवरोध पैदा करने वाली चुनौतियों और अवसरों से भी निपटना है। उन्होंने पीपीडी को पुनर्जीवित करने के लिए मिलजुल कर किये गए कार्यों के बारे में संतोष जाहिर किया। नड्डा ने कहा कि हमने संगठनात्मक रणनीतियों पर भी ध्यान केंद्रीत किया है और कार्यक्रमजनित तथा वित्तीय जिम्मदारियों की संरचनाओं का सृजन भी किया है।
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में कार्यकारी समिति और बोर्ड की बैठकें धीरे-धीरे रणनीतिक और नीति विचार-विमर्श मंचों में परिवर्तित हुई हैं। दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत करने के लिए पीपीडी ने सदस्य देशों की जरूरतों का मूल्यांकन करने के लिए एक सर्वेंक्षण कार्य शुरू किया है। उम्मीद है कि इनके प्रजेंटेशन से यह पता चलाने में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी कि हम कैसे आगे बढ़ें। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रजनन स्वास्थ्य, जनसंख्या और विकास में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत की लगातार प्रतिबद्धता को दोहराया है।