नदियों को आपस में जोड़ने के कार्यक्रम को उच्‍च प्राथमिकता

नदियों को आपस में जोड़ने के कार्यक्रम को उच्‍च प्राथमिकता

नई दिल्ली: सरकार ने राष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍य योजना (एनपीपी) के तहत नदियों को आपस में जोड़ने (आईएलआर) के कार्यक्रम को उच्‍च प्राथमिकता पर रखा है। केन-बेतवा लिंक परियोजना, दमनगंगा-पिंजल लिंक परियोजना और पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना से संबंधित विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली गई हैं। केन-बेतवा लिंक परियोजना के प्रथम चरण से जुड़ी विभिन्‍न मंजूरियां प्रोसेसिंग के अगले चरण में पहुंच गई हैं। इस परियोजना की सिफारिश मध्य प्रदेश राज्य वन्य जीव बोर्ड ने 9 सितंबर, 2015 को हुई अपनी बैठक में की थी, ताकि इस परियोजना को वन्‍य जीव मंजूरी प्रदान करने के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राष्‍ट्रीय वन्‍य जीव बोर्ड (एनबीडब्‍ल्‍यूएल) को संबंधित प्रस्‍ताव अग्रेषित किया जा सके। इस परियोजना के पहले चरण की बदौलत 6.35 लाख हेक्‍टेयर भूमि की सिंचाई सुनिश्‍चित होगी और 9393 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से मध्‍य प्रदेश और उत्‍तर प्रदेश के बुन्‍देलखंड क्षेत्र को 49 एमसीएम पेयजल की आपूर्ति होगी।

दमनगंगा-पिंजल लिंक परियोजना की डीपीआर मार्च, 2014 में पूरी कर ली गई थी और इसे महाराष्‍ट्र एवं गुजरात सरकारों को पेश किया गया था। ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम), जिसे महाराष्‍ट्र सरकार ने प्रमुख संगठन बनाया है, ने दमनगंगा-पिंजल लिंक परियोजना की विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट जनवरी, 2015 में केंद्रीय जल आयोग को सौंपी थी, ताकि इसका आकलन किया जा सके। इस परियोजना के जरिए मुंबई शहर की पेयजल संबंधी जरूरतें पूरी की जा सकेंगी।

पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना की विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट अगस्‍त, 2015 में गुजरात एवं महाराष्‍ट्र सरकारों को सौंप दी गई थी। दोनों ही राज्‍य सरकारों से इस पर अपनी टिप्‍पणी/विचार जल्‍द से जल्‍द पेश करने का आग्रह किया गया है। दमनगंगा-पिंजल और पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजनाओं के संदर्भ में गुजरात और महाराष्‍ट्र के बीच जल बंटवारे के मसले पर प्राथमिकता के साथ विचार किया जा रहा है।

एनपीपी लिंक के अलावा, राष्‍ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्‍ल्‍यूडीए) ने अंतर-राज्‍य लिंक (राज्‍य के भीतर आपस में जोड़ने) के प्रस्‍तावों को जोरदार ढंग से उठाया है। अंतर-राज्‍य लिंक से जुड़ी पूर्व-संभाव्‍यता रिपोर्ट तैयार कर ली गई हैं और इन्‍हें संबंधित राज्‍य सरकारों को पेश किया गया है। यही नहीं, दो अंतर-राज्‍य लिंक परियोजनाओं जैसे कि बूढ़ी गंडक-नून-बाया-गंगा और कोसी-मेची परियोजनाओं की डीपीआर पहले ही तैयार करने के बाद बिहार सरकार को पेश की जा चुकी हैं। इन पर सीडब्‍ल्यूसी में गौर किया जा रहा है। विभिन्‍न राज्‍यों के अंतर-राज्‍य लिंक से जुड़ी चार अन्‍य डीपीआर को भी तैयार करने का काम जारी है।

आईएलआर पर एक विशेष समिति जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री की अध्‍यक्षता में 23 सितंबर, 2014 को गठित की गई थी, ताकि आईएलआर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जा सके। नदियों को आपस में जोड़ने पर गठित विशेष समिति की सात बैठकें अब तक हो चुकी हैं। इसकी पिछली बैठक 18 नवंबर, 2015 को नई दिल्‍ली में हुई। नदियों को आपस में जोड़ने (आईएलआर) पर एक कार्यदल का गठन जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा 13 अप्रैल, 2015 को किया गया था। सभी संबंधित मुद्दों पर विचार करने के लिए कार्यदल की दो बैठकें 23 अप्रैल, 2015 और 5 नवंबर, 2015 को आयोजित की गईं, जिससे लिंक परियोजनाओं पर राज्‍यों के बीच सहमति कायम करने में मदद मिलेगी। कार्यदल और आईएलआर पर विशेष समिति द्वारा गठित की गई चार उप समितियां आईएलआर के लिए विशेष समिति को सहायता प्रदान करेंगी।

नदियों को आपस में जोड़ने का कार्यक्रम पूरे देश, खासकर जल की किल्‍लत, सूखा प्रभावित क्षेत्रों और वर्षा जल पर निर्भर खेती वाले क्षेत्रों में जल एवं खाद्य सुरक्षा को बेहतर करने के लिहाज से खास अहमियत रखता है। भारत सरकार संबंधित राज्‍य सरकारों के बीच आपसी सहमति एवं सहयोग के जरिए आईएलआर कार्यक्रम के क्रियान्‍वयन के प्रति कटिबद्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी, 2012 को सुनाए गए अपने फैसले में कहा था कि आईएलआर कार्यक्रम राष्‍ट्रीय हित में है और इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इसके जल्‍द क्रियान्‍वयन का निर्देश दिया है। नदियों को आपस में जोड़ने के कार्यक्रम को कामयाब बनाने के लिए सभी राज्‍यों का सहयोग निश्‍चित तौर पर अत्‍यंत जरूरी है, जिससे देश में समृद्धि आएगी।

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