चंबा : घर में लगी आग, दम घुटने से दो बच्चों समेत परिवार के चार लोगों की मौत

हिमाचल: कुल्लू के कोटला गांव में भयंकर आग, करीब 80 घर राख

कुल्‍लू: हिमाचल के कुल्‍लू जिले की सैंज घाटी के कोटला गांव में आग की चपेट में पूरा का पूरा गांव आ गया। गांव में आग इस कदर भड़की कि पूरा गांव देखते ही देखते आग में समा गया। वहीं गांव में स्थित तीन मंदिर भी आग की भेंट चढ़ गए हैं।

प्रारंभिक सूचना के अनुसार आग पहले घास को लगी बताई जा रही है। जिसके बाद तेज हवा के कारण आग पूरे गांव में फैल गई। सूचना मिलने तक 80 से अधिक घर जल चुके बताए जा रहे हैं। गांव तक सड़क सुविधा न होने के कारण फायर बिग्रेड की गाड़ी भी गांव तक नहीं पहुंच पाई। आग करीब शाम 5 बजे लगी बताई जा रही है। हादसे के समय गांव में एक देवली भी हो रही थी। सूचना मिलते ही बंजार से प्रशासन का दल एसडीएम के नेतृत्व में मौके पर रवाना हो गया। प्रारंभिक सूचना के अनुसार गांव में अभी तक 80 परिवार बेघर हो चुके हैं।

लोगों ने नलों के पानी और मिट्टी डाल कर आग पर काबू पाने का प्रयास जरूर किया। लेकिन आग पर काबू नहीं पाया गया । जिसके बाद आग इतनी भड़क गई कि लोग तमाशा देखने के अलावा और कोई कार्य नहीं कर पाए।

तीन देवताओं के मंदिर भी जलकर स्वाह, करोड़ों रुपये के सोने चांदी का भंडार राख

अग्निकांड में सराज घाटी के अराध्य देवता बड़ा छमाहूं के मंदिर के अलावा धामणी छमाहूं का मंदिर, देवता भूहणी का मंदिर, धामणी छमाहूं का भंडार, देवता बड़ा छमाहू का करोड़ों रुपये के सोने चांदी का भंडार भी राख हो गया। इसके अलावा दो दर्जन से अधिक गाय, बैल, भेड़-बकरी आदि मवेशी भी जिंदा जल गए। आग इतनी तेज थी कि ग्रामीणों ने स्वयं भागकर जान बचाई। अफरा-तफरी के बीच प्रभावित ग्रामीण तन के कपड़ों के सिवा कुछ भी नहीं बचा पाए।

लोगों ने अपने घरों से भागकर बचाई जान

भीषण अग्रिकांड में दर्जनों मवेशियों के जलने की भी सूचना है। आगजनी घटना की जानकारी मिलते ही गांव में एकाएक अफरा तफरी का माहौल पैदा हो गया और लोगों ने अपने घरों से भागकर जान बचाई, बस तन में पहने कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा पाए हैं। यह अग्रिकांड प्रदेश का सबसे बड़ा अग्रिकांड माना जा रहा है। गांव को बचाने के लिए एक घंटे के अंदर ही वहां पर हजारों लोग एकत्रित हो गए थे लेकिन इस भीषण अग्रिकांड ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया और वहां पर एकत्रित हजारों लोग किसी भी मकान को बचाने के लिए गांव के अंदर प्रदेश नहीं कर पाए। इस अग्रिकांड से जहां गांव में अफरा-तफरी का माहौल मच गया वहीं हड़कंप में कई  महिलाएं बेसुध हो गई हैं। रात भर चीख पुकारों से गांव गूंजता रहा और अग्रि शांत नहीं हुई। इस अग्रिकांड ने हर एक का दिल दहलाकर रख दिया है।

ऐतिहासिक एवं धरोहर गांव पूरी तरह खाक

इस अग्रिकांड से देवता बड़ा छमाहूं का ऐतिहासिक एवं धरोहर गांव पूरी तरह से मिट गया है। अब सिर्फ बड़ा छमाहूं व धामणी छमाहूं के रथ ही बच पाए है। ग्रामीणों के अनुसार देवता बड़ा छमाहू व धामणी छमाहू अपने हारियान के वहां निमंत्रण पर बालीचौकी गए हुए थे। बालीचौकी में देवरथों के समक्ष देव आयोजन हो रहा था और उसी समय यह घटना कोटला में घटी है। इस गांव में जहां देवता भूहणी का मंदिर था वहीं देवता बड़ा छमाहूं का विशाल मंदिर जिसे कोट कहा जाता है विराजमान था। इसी कोट में देवता बड़ा छमाहूं का रथ विराजमान होता था।

भड़की आग पर काबू पाने को आसपास के गांव के सैकड़ों लोग पहुंचे, लेकिन भंयकर आग के आगे न चला किसी का बस

हालांकि भड़की आग पर काबू पाने को आसपास के गांव के सैंकड़ो लोग पहुंचे लेकिन आग इतनी तेजी थी कि उन्हें घटना से दो सौ मीटर दूर से ही तमाशबीन बने रहना पड़ा। लोगों के घरों में रखे सिलेंडर फटने से घरों के पास जाना भी किसी खतरे से कम नहीं था। कोटला गांव में सभी मकान लकड़ी के बने हुए थे। इस कारण भी आग तेजी से फैली और समूचे गांव को चपेट में ले लिया। वहीं इस मौसम में क्षेत्र के लोग काफी लकड़ी इकट्ठी कर घर में रख लेते हैं।

बेघर हुए परिवार

गांव के राम सिंह, सोहन सिंह, उत्तम सिंह, टेक सिंह, तुले राम, ध्यान सिंह, मोहर सिंह, दलीप सिंह, तेेज राम, टिकम राम, गुलाब सिंह, दीवान सिंह, गिरजानंद, जगत सिंह, रत्न, ज्ञान चंद ,वेद व्यास, राज कुमार, नीरत सिंह, ज्ञान चंद, जोग राज, गिरधारी लाल, जगत राम, दसमी राम, फते चंद, राम चंद, उत्तम ङ्क्षसह, सोहन सिंह, गिरधारी लाल, देवी सिंह, ध्यान सिंह, दीवान सिंह, बलदेव सिंह सहित अन्य ग्रामीणों के घर जलकर राख हुए हैं।

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