भाई-बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव का त्यौहार : भाई दूज

भाई-बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव का त्यौहार “भाई दूज”

कार्तिक शुक्ल द्वितीय का पर्व भाईदूज

कार्तिक शुक्ल द्वितीय का पर्व भाईदूज

कार्तिक शुक्ल द्वितीय को भाई दूज का पर्व पूरे भारत वर्ष में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दीवाली के त्यौहार के साथ केवल दीपमालाएं ही नहीं बल्कि अनेकों उत्सवों की मालाएं भी गुंथी हुई हैं। त्रयोदशी से लेकर कार्तिक द्वितीय तक के पांच दिन अपनी परम्पराओं के साथ प्रतिवर्ष हमारे समक्ष प्रस्तुत होते हैं। इन्हीं में से एक है- भ्रातृ द्वितीया यानि “भाईदूज” जो दीवाली से दूसरे दिन मनाया जाता है। पूरे भारत में मनाए जाने वाले इस पर्व को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। जैसे बंगाल में भाई फोटा, महाराष्ट्र में भाऊ बीज, गुजरात में भाई बीज और पंजाब में टिक्का आदि। भाई दूज भाई बहन के स्नेह को सुदृढ़ करता है। यह त्यौहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक दो त्यौहार मनाये जाते हैं – एक रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें भाई बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है। दूसरा त्यौहार, ‘भाई दूज’ का होता है। इसमें बहनें भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती हैं। भाई दूज का त्यौहार कार्तिक मास की द्वितीया को मनाया जाता है।

भाई दूज (भातृ द्वितीया) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है। भाई दूज दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। दीपोत्सव का समापन दिवस है कार्तिक शुक्ल द्वितीय, जिसे भैया दूज कहा जाता है।

भैया दूज को भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं। इस पर्व का प्रमुख लक्ष्य भाई तथा बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव की स्थापना करना है। इस दिन बहनें बेरी पूजन भी करती हैं। इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं। इस दिन बहनें भाइयों को तेल मलकर गंगा यमुना में स्नान भी कराती हैं। यदि गंगा यमुना में नहीं नहाया जा सके तो भाई को बहन के घर नहाना चाहिए।

बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व

यदि बहन अपने हाथ से भाई को जीमाए तो भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। इस दिन चाहिए कि बहनें भाइयों को चावल खिलाएं। इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है। बहन चचेरी अथवा ममेरी कोई भी हो सकती है। यदि कोई बहन न हो तो गाय, नदी आदि स्त्रीत्व पदार्थ का ध्यान करके अथवा उसके समीप बैठ कर भोजन कर लेना भी शुभ माना जाता है।

यमराज तथा यमुना जी के पूजन का विशेष महत्व

इस दिन गोधन कूटने की प्रथा भी है। गोबर की मानव मूर्ति बना कर छाती पर ईंट रखकर स्त्रियां उसे मूसलों से तोड़ती हैं। स्त्रियां घर-घर जाकर चना, गूम तथा भटकैया चराव कर जिव्हा को भटकैया के कांटे से दागती भी हैं। दोपहर पर्यन्त यह सब करके बहन भाई पूजा विधान से इस पर्व को प्रसन्नता से मनाते हैं। इस दिन यमराज तथा यमुना जी के पूजन का विशेष महत्व है।

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One Response

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  1. anurag Singh
    Oct 31, 2016 - 05:00 PM

    Anurag is beautiful brothers. And any way

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