विश्व को महिलाओं को सशक्त करने की जरूरत..

महिलाएं 21वीं शताब्दी की शांति निर्माता….

भारत सोका गाक्काई द्वारा आयोजित वेबिनार “2030 की ओर: जीवन की सदी के निर्माण में नारी शक्ति का योगदान” रचनात्मक सह अस्तित्व को बढ़ावा देने में महिलाओं की भूमिका

नई दिल्ली: भारत सोका गाक्काई द्वारा आयोजित एक वेबिनार में वक्ताओं ने कहा कि, शांति और सद्भाव के नए युग के निर्माण में मानवता का मार्गदर्शन करने के लिए विश्व को महिलाओं को सशक्त करने की जरूरत है, क्योंकि युद्ध, मृत्यु और बीमारी ने जीवन को गहन क्षति पहुँचायी है। ऐसा वर्त्तमान मानव इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था।
सोका गाक्काई इंटरनेशनल (SGI) ज़मीनी स्तर के संगठनो का एक वैश्विक संघ है जो सभी लोगों के लिए शांति और सम्मान के मूल्यों को बढ़ावा देता है। भारत सोका गाक्काई (BSG) सोका गाक्काई इंटरनेशनल की सहयोगी संस्था है। BSG देश में पिछले 35वर्षों से लगातार महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य कर रही है ।
यह काम सोका गाक्काई इंटरनेशनल के अध्यक्ष दाईसाकु इकेदा के दर्शन को प्रतिध्वनित करता है, जो मानते हैं कि परिवार की रक्षा और बच्चों की परवरिश के अत्याधिक अपेक्षाओं से भरे एवं असमान्य मेहनत वाले काम के कारण महिलाओं में अन्य लोगों के साथ गहरी सहानुभूति विकसित हो जाती है।
इकेदा का मानना है, “संघर्ष, बहिष्कार और बल की विचारधारा के विपरीत महिलाएं स्वाभाविक रूप से एकता और सद्भाव जैसे मूल्यों की ओर उन्मुख होती हैं, जिस तरह का रचनात्मक सह-अस्तित्व और स्वायत्तता जिसे मैंने जीवन की शताब्दी के केन्द्रक के रूप में पहचाना है।”
वक्ताओं ने इस वेबिनार में बोलते हुए कहा की, महिलाओं में आनंद, हर्ष एवं एकता उत्पन्न करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है, जो दुनिया को नफरत और घृणा की प्रवृति से दूर ले जा सकती है तथा एक और अधिक समृद्ध समाज की शुरुआत कर सकती है।
अवतार समूह की संस्थापक-अध्यक्ष डॉ सौंदर्या राजेश ने अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए कहा कि, “यह कोई पहेली नहीं है कि लैंगिक समानता सभी के लिए अवसर और समृद्धि लाती है। किसी भी अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए कोई भी योजना तब तक अधूरी है जब तक उसमे महिलाओं को उचित स्थान नहीं मिलता तथा उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों को ध्यान में नहीं रखा जाता । “महिलाएं भारत की आबादी का 50% से अधिक हैं। फिर भी वे भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 15% से भी कम का योगदान देती हैं। वे अपने समकक्ष पुरुषों की तुलना में 25% से भी कम कमाती हैं। मुझे लगता है कि इंडिया इन्क्लेव अधिक समान कामकाजी माहौल बनाने के लिए, विभिन्न क्षेत्रों में लिंग अनुपात को संतुलित करने के लिए बहुत काम रहा है
वेबिनार में अन्य वक्ताओं ने शांति निर्माण की स्थापना में महिलाओं की भूमिका पर बल दिया।
द आर्ट्स कोशेंट की संस्थापक-निदेशक स्वाति आप्टे ने कहा, “अपने काम के माध्यम से हमने देखा है कि मात्र स्वयं की परिभाषा में बदलाव लाकर महिलाएं अपनी क्षमताओं को उजागर करतीं हैं। मैं आशा करती हूँ कि अधिक से अधिक महिलाएं अपने दृष्टिकोण में ऐसा परिवर्तन ला पायेंगी”।
संहिता सोशल वेंचर्स की संस्थापक और सीईओ, प्रिया नाइक ने कहा, “लैंगिक समानता से सभी को लाभ होता है! यदि महिलाएं और लड़कियां आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हैं, तो वे अपने जीवन के बारे में जानकारी आधारित विकल्प और निर्णय लेने में सक्षम हैं, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल विवाह, पोषण, लिंग आधारित हिंसा और आजीविका से संबंधित भारत की कई महत्वपूर्ण विकास चुनौतियों को हल करने के लिए अहम है। वे समाज जो महिलाओं को महत्व देते हैं, सुरक्षित, स्वस्थ और आर्थिक रूप से समृद्ध होते हैं। लैंगिक समानता में निवेश और महिलाओं तथा लड़कियों का पूर्ण सशक्तिकरण ही वह “अचूक शस्त्र” है । जिसकी भारत को परम आवश्यकता है।
भारत सोका गाक्काई की निदेशक एवं बाह्य संबंध प्रमुख सुश्री राशी आहूजा ने समाज में महिलाओं की बदलती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिलाओं का समाज में अत्यधिक योगदान है। महिलाएं गृहिणी, डॉक्टर, सीईओ आदि अनेक भूमिकाएं निभा रही हैं । महिलाओं के सशक्तिकरण के परिणामस्वरूप परिवर्तन स्पष्ट नज़र आ रहे हैं, और वे एक न्यायपूर्ण एवं समतापूर्ण समाज के निर्माण की अगुवाई कर रही हैं।
बीएसजी अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने कहा कि बीएसजी समाज में महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा देगी, ताकि शांति बनाने के लिए उनकी स्वाभाविक क्षमताओं का सदुपयोग किया जा सके। उन्होंने कहा, “ मेरा दृढ़ विश्वास है कि महिला और पुरुष मिलकर एक ऐसे युग का निर्माण कर सकते हैं जिसमें सभी को महत्वपूर्ण माना जाता है, और जहाँ जीवन की गरिमा का सम्मान किया जाता है। यह ‘जीवन की शताब्दी’ होगी जहां हम समस्त मानव विविधताओं का आनंद ले पायेंगे।

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