हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में बसा भारत का ऐतिहासिक अंतिम गांव “छितकुल”

किन्नौर जिले में बसा भारत का ऐतिहासिक अंतिम गांव “छितकुल”

गांव की पूज्या देवी को  ‘देवी मथी’ (माता देवी) के नाम से पुकारते हैं स्थानीय लोग

आटा पीसने के लिए यहां आज भी घराट इस्तेमाल में लाए जाते हैं। इस गांव से आगे कोई बस्ती नहीं है। गांव की पूज्या देवी

गांव की पूज्या देवी को स्थानीय लोग ‘देवी मथी’ (माता देवी) के नाम से पुकारते हैं

गांव की पूज्या देवी को स्थानीय लोग ‘देवी मथी’ (माता देवी) के नाम से पुकारते हैं

को स्थानीय लोग ‘देवी मथी’ (माता देवी) के नाम से पुकारते हैं। देवी का मुख्य पूजास्थल 500 वर्ष पुराना माना जाता है। इसके साथ ही यहां एक किला तथा बुद्ध मंदिर है जो लोगों की आस्था का प्रतीक है। हालांकि इस गांव के आगे कोई और बस्ती नहीं है लेकिन गांव के बुजुर्गों जीआ लाल, राम गुरु और नंद राम के कथनानुसार, ‘हमारे बुजुर्ग यहां से आगे (चीन की ओर) के गांव नीलींग, माणा आदि से आए थे और छितकुल में बसे थे।’

छितकुल से तीन कि.मी. आगे रानीकंडा में आईटीबीपी की चौकी है। इस चौकी से आगे किसी भी नागरिक का जाना वर्जित है क्योंकि छितकुल से लगभग 65 कि.मी. आगे चीन की सीमा आरंभ हो जाती है। हालांकि इसके आगे आईटीबीपी की दो और चौकियां भी हैं। छितकुल उत्तरांचल की सीमा से कुछ ही कि.मी. की दूरी पर है। यहां से उत्तरांचल ट्रेकिंग मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है।

छितकुल के आस-पास भोजपत्र का जंगल

छितकुल के आस-पास भोजपत्र का जंगल है। प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों ने इन्हीं भोजपत्रों पर ग्रंथ लिखे थे। इसके अलावा यहां सेब के बाग भी हैं। छितकुल चूंकि एक छोटा सा गांव है, इसलिये यहां ठहरने के लिये बडे होटल या गेस्टहाउस नहीं मिलेंगे। कुछ लोगों ने अपने घरों में ही कुछ कमरों को पर्यटकों के लिये खोल रखा है। इस तरह यहां ऐसे कुछ छोटे-मोटे गेस्टहाउस जरूर मिल सकते हैं। अगर यहां ठहरने की जगह न मिले तो सांगला में रुका जा सकता है, जहां कुछ होटल और गेस्टहाउस मिल सकते हैं। वैसे कुछ लोगों ने बस्पा नदी के पास कैम्प रिजार्ट भी बना रखे हैं।

छितकुल आने के लिए अप्रैल से सितम्बर का सही समय

छितकुल आने के लिए सही समय अप्रैल से सितम्बर अंत तक का है। बर्फ और ग्लेशियर देखने हों, तो अप्रैल और मई में आप

छितकुल आने के लिए सही समय अप्रैल से सितम्बर अंत तक का

छितकुल आने के लिए सही समय अप्रैल से सितम्बर अंत तक का

जा सकते हैं। पहाड़ों से गिरते झरनों को बस्पा नदी में मिलते देखना हो, तो बर्फ पिघलने के बाद यानि जून में। रंग बिरंगे फूलों और पेड-पौधों से सजी घाटी देखनी हो, तो अगस्त-सितम्बर हालांकि इन दिनों बारिश भी काफी होती है। चांदनी में नहाई घाटी के दीदार करने हों, तो किसी भी महीने की पूर्णिमा की रात।

छितकुल में ठहरने और जाने की उचित व्यवस्था

शिमला से किन्नौर के लिए काफी बसें मिल जाती हैं। राष्ट्रीय उच्च मार्ग-22 पर शिमला से रिकांगपिओ तक का सफर लगभग 10 घंटे का है। आप रिकांगपिओ या फिर कड़छम से छितकुल के लिए बस या फिर किराए की गाड़ी ले सकते हैं। छितकुल में ठहरने की उचित व्यवस्था है। यहां आपको आधुनिक सुख-सुविधा से सुसज्जित होटल मिल जाएंगे। छितकुल में ठहरने और खाने की उचित व्यवस्था है। यहां आधुनिक सुख-सुविधा से सुसज्जित होटल विद्यमान है। यहां घूमने पर चाहे कितनी भी गर्मी का मौसम हो, अपने साथ गर्म कपड़े जरूर रखें, क्योंकि यहां की बारिश के जरा से छींटे भी आपको दिसंबर और जनवरी की कड़कड़ाती सर्दी की याद दिला देती है।

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