प्राचीन धरोहरों एवं वास्तुकला के सरंक्षण में अग्निशमन सेवाएं विभाग का योगदान

फ़ीचर

हिमाचल प्रदेश की विविध एवं विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते यहां अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं की न केवल आंशका बनी रहती है, बल्कि यदा-कदा ये आपदाएं दस्तक भी देती रहती हैं। प्रदेश का अधिकांश भू-भाग समशीतोष्ण होने के कारण ऐसे क्षेत्रों में निर्मित विशेषकर पुराने मकानों में लकड़ी का अधिकतर उपयोग किया गया है। इसी प्रकार प्रदेश में बहुत से सैंकड़ों वर्ष पुराने ऐतिहासिक धरोहर भवनो में बहुतायत में लकड़ी से निर्माण किया गया है। ऐसे भवनों में अक्सर आगजनी की घटनाओं की आशंका बनी रहती है। आगजनी की इन्हीं घटनाओं से निपटने के लिये प्रदेश में अग्निशमन सेवाएं विभाग की स्थापना की गई है।

अग्निशमन सेवाएं विभाग न केवल प्रदेश की इन बहुमूल्य धरोहरों को आगजनी की घटनाओं से बचा रहा है, अपितु प्रदेश की प्राचीन वास्तुकला का सरंक्षण करने में भी अपनी शानदार भूमिका निभा रहा है। अक्समात् आगजनी की घटनाओं से प्रति वर्ष न केवल बहुमूल्य जीवन बल्कि अरबों रुपयेे की सम्पतियों को नष्ट होने से बचाने का अति महत्वपूर्ण एवं सराहनीय कार्य कर रहा है। अग्निशमन सेवाओं ने विगत तीन वर्षों के दौरान प्रदेश के विभिन्न भागों में आगजनी की घटनाओं के दौरान 460 जिन्दगियों के साथ-साथ 2081 करोड़ रुपये की परिसम्पतियों का भी बचाव किया है।

प्रदेश के कुछ बड़े भीष्ण अग्निकाण्डों मे शिमला जिले के रोहडू के बाहुआ गांव में वर्ष 2013 में भीष्ण अग्निकाण्ड में डेढ़ करोड़ रुपये की सम्पति का नुकसान जबकि अग्निशमन सेवाएं विभाग 15 करोड़ की सम्पति बचाने में सफल हुआ। इसी वर्ष कुल्लू जिले के शरान गांव, सोलन जिले में माजा हैल्थ केयर इण्डस्ट्री, वर्ष 2014 में महालेखाकार शिमला जो ऐतिहासिक धरोहर भवन है, में भीष्ण अग्निकाण्ड की घटना, सोलन जिले के बद्दी में डाबर इण्डिया लिमिटेड कम्पनी अग्निकाण्ड, इसी प्रकार शिमला की दीपक परियोजना, बरोटीवाला की आदित्य फूटवीयर कम्पनी, किन्नौर स्थित संजय विद्युत परियोजना, बद्दी स्थित सैजीब्रेटी बायोफार्मा हिल फैकट्री, तथा बद्दी स्थित विनर निप्पोन फैकट्री में हुए अग्निकाण्ड प्रदेश के बडे़ मुख्य अग्निकाण्डों में शुमार हैं जहां अग्निशमन सेवाओं ने अभूतपूर्व भूमिका निभाकर अरबों की सम्पति बचाई है।

राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यरत अग्निशमन केन्द्रों में पिछले तीन वर्षों के दौरान आगजनी की घटनाओं से सम्बन्धित कुल 4491 आगजनी तथा 776 बचाव सूचनाएं प्राप्त हुईं। अग्निशमन कर्मियों के लिए प्रत्येक कॉल महत्वपूर्ण है और सभी केन्द्र पूर्व नियोजित ढंग से ऐसी घटनाओं से निपटने के लिये चौबीस घण्टे सतर्क रहते हैं और बिना किसी विलम्ब के प्राप्त सभी आगजनी की सूचनाओं पर त्वरित एक्शन सुनिश्चित किया रहा है।

अग्निशमन सेवाओं की महता के दृष्टिगत वर्तमान प्रदेश सरकार ने विभाग के सुदृढ़िकरण के लिये अनेक पग उठाए हैं। प्रदेश के आबादी बाहुल्य शहरों, नगरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नए अग्निशमन केन्द्र अथवा चौकियां खोली जा रही हैं। गत तीन वर्षों के दौरान प्रदेश सरकार ने चम्बा जिला के बनीखेत, बिलासपुर जिला के नयना देवी तथा घुमारवीं, सिरमौर जिला के काला अम्ब, कुल्लू जिला के लारजी, मण्डी जिला के सरकाघाट, कांगड़ा जिला के बैजनाथ तथा शिमला जिला के सुन्नी में फायर पोस्ट स्थापित करने को मंजूरी प्रदान की गई है।

वर्तमान में प्रदेश में 37 शहरों व कस्बों में लोगों की सुविधा व के लिए अग्निशमन केन्द्र कार्य कर रहे हैं। इन केन्द्रों को आधुनिक तकनीकी साजोसामान से सुसज्जित करने के लिए प्रयास निरन्तर जारी हैं। वर्तमान सरकार ने शिमला के तिलक नगर, नाहन, मनाली, कांगड़ा, बद्दी, सोलन, मण्डी तथा पांवटा साहिब में अग्निशमन केन्द्र भवनों के निर्माण के लिए 10 करोड़ 28 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है। इसके अतिरिक्त अग्निशमन केन्द्र मनाली, मण्डी व नाहन में अग्निशमन केन्द्र की मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आधारशिला रखी है।

अग्निशमन केन्द्रों को आधुनिक नवीनतम तकनीकयुक्त यंत्रों को स्थापित करने के लिए विशेष प्राथमिकता दी जा रही है, जिसके लिए 3.83 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस राशि से फायर टैंडर, कम्प्रेसर, ब्रीथिंग एप्रेटस, मांउटेड ऑन मोटर साईकल, कम्प्रेसर एयर-फोम प्रणाली, डिसट्रेस इत्यादि स्थापित की जा रही हैं तथा कर्मचारियों की सुरक्षा के दृष्टिगत डिस्टेªस सिगनल यूनिट भी अग्निशमन केन्द्रों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। मांउटेड ऑन मोटर साईकलए कम्प्रेसर एयर फोम प्रणाली एक अति आधुनिक तकनीक है, जो तरल ज्वलनशील प्रदार्थों, विद्युत, साधारण आग व लाईव बिजली वाली आगजनी की घटनाओं के दौरान कारगर सिद्ध होती है। इस प्रणाली को ऐसे स्थानों में भी प्रयोग किया जा सकता है, जहां बड़े फायर टेंडर नहीं पहुंच पाते।

विभाग की श्रम शक्ति सुदृढ़ करने के उद्देश्य से विभिन्न श्रेणियों के लगभग 200 पद स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें सृजित व स्वीकृत किए गए हैं। इनमें लिडिंग फायरमैन के 15 पद, पम्प ऑपरेटर एवं चालक के 30 पद तथा फायरमैन के 45 पद सृजित किए गए हैं।

आगजनी की घटनाओं से बचने के लिए विभाग द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए औद्योगिक इकाइयों, शिक्षण संस्थानों व सरकारी कार्यालयों में प्रदर्शन/प्रशिक्षण तथा जागरूकता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। गत तीन वर्षों के दौरान विभाग द्वारा 3134 शिविरों का आयोजन किया गया। इन जागरूकता शिविरों में 50 हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया। विभाग दीपावली के मद्देनजर प्रदेशभर में लोगों एवं बच्चों को पटाखों के उपयोग बारे जानकारी प्रदान कर रहा है।

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