पार्टी की ओर से दिये गये सम्मान से पूरी तरह से संतुष्ट, भ्रामक बातें न फैलाएं : प्रो. धूमल

प्रदेश में व्याप्त सामाजिक समस्याओं और विकास के प्रति राज्यपाल की सोच सराहनीय: प्रो. धूमल

शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने राजभवन और सरकार के बीच हुए विवाद को अनावश्यक करार देते हुए कांग्रेस नेताओं से आग्रह किया है कि राज्यपाल की प्रदेश के विकास और समस्याओं के प्रति उनकी कर्तव्यनिष्ठा व ईमानदार सोच का सम्मान करें। ऐसे में जब राजभवन यह स्पष्ट कर चुका कि अधिकारियों के साथ मा0 राज्यपाल  की बैठक की सरकार के पास पूर्व सूचना थी, तो राज्यपाल पद के संवैधानिक महत्व और गरिमा को देखते हुए इस मामले को मीडिया के समक्ष ले जाने से बचना चाहिए था। मिल बैठकर इस संवादहीनता को खत्म करके इस विवाद का खात्मा यहीं कर देना चाहिए।

प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि प्रदेश में व्याप्त सामाजिक समस्याओं और विकास के प्रति  राज्यपाल  की सोच सराहनीय है। प्रदेश में व्याप्त नशाखोरी, जैविक खेती, गौपालन व पर्यटन एवं जातिवाद को लेकर अधिकारियों के साथ मा, राज्यपाल द्वारा किए गए संवाद के प्रति सरकार को सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण मानने के बजाए सरकार को चाहिए कि मा0 राज्यपाल महोदय के सुझावों को सरकार द्वारा बनाई जा रही विकास नीतियों में प्राथमिकता दें, जिससे प्रदेश के समान विकास के साथ-2 उच्च गति मिले। मा0 राज्यपाल महोदय के इन सकारात्मक प्रयासों को किसी भी तरह से राजनैतिक दृष्टिकोण से देखा जाना उचित नहीं है।

प्रो. धूमल ने कहा कि राज्यपाल ने जिन समस्याओं के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित किया है, विशेषकर जैविक खेती, गौपालन, पर्यटन का विकास, युवाओं में बढ़ती नशाखोरी व जातिवाद जैसी सामाजिक समस्याओं के प्रति सारा प्रदेश चिंतित है और अगर इन समस्याओं के समाधान के प्रति कोई भी पहल किसी द्वारा भी की जाती है, तो किसी भी राजनेता को अथवा सम्बन्धित व्यक्ति को बुरा नहीं मानना चाहिए। इन सभी मसलों के निराकरण के लिए दलगत राजनीति से उपर उठकर आज हम सभी को समान रूप से प्रयास करने होंगे। यह मात्र सरकार व एक पार्टी का काम न होकर समस्त प्रदेशवासियों का सामुहिक दायित्व है। इसमें समान भागीदारी में छोटे से छोटे व्यक्ति से लेकर विपक्षी दल सहित सत्ताधारी दलों समेत राज्यपाल के भी समान प्रयास होंगे तभी इन समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। इन क्षेत्रों में जो भी व्यक्ति या संस्थाएं कार्यरत है उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों को प्रोत्साहन भी देना होगा, ताकि भविष्य में देवभूमि हिमाचल पूर्ण वैभव के साथ देशभर में सर्वोच्च स्थान पर विराजमान रहे।

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